Delhi Assembly Election-2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अनेकों संस्थानों के द्वारा दिल्ली में विधानसभा चुनाव परिणामों पर एग्जिट पोल जारी किया गया है। इन एग्जिट पोलों को देखने के बाद दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणाम की एक बानगी समझने को मिल रही है। एग्जिट पोलों के रुझानों के मुताबिक, दिल्ली में पिछले तीन बार से सरकार में काबिज आम आदमी पार्टी चुनाव में पिछड़ती दिख रही है।
एग्जिट पोलों के मुताबिक, दिल्ली की राजनीति एक बड़े राजनीतिक परिवर्तन मुहाने पर है। 1998 से लगातार तीन विधानसभा चुनावों में शीला दीक्षित के नेतृत्व में सरकार बनाने में सफल रहीं। अरविन्द केजरीवाल ने भी लगातार तीन बार सरकार बनाई। यद्यपि पहली बार थोड़े समय के लिए कांग्रेस पार्टी की मदद से बनाया.
भाजपा 2014 के बाद दिल्ली की राजनीति में एक नए अवतार में आयी और 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी सातों सीटों पर जीत दर्ज़ किया। भाजपा 2014 के विधानसभा चुनाव में 60 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाने में सफल रही थी। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दिल्ली की सभी सातों विधानसभा की सीट पर जीत दर्ज़ करने के साथ ही 65 विधानसभा की सीटों पर बढ़त बनाने में सफल रही। अब इस चुनाव के बाद भाजपा सरकार बनाने की दहलीज पर खड़ी है। 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी और आप के गठबंधन के बाजवूद भी भाजपा ने सभी सातों सीटों पर जीत दर्ज़ करने के साथ ही 52 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाने में सफल रही।
विगत तीन लोकसभा चुनावों का परिणाम यह बताने के लिए काफी है कि भाजपा का दिल्ली में मजबूत जनाधार रहा है और लगातार तीन लोकसभा चुनावों में भी अपना जनाधार कायम रखा। विधानसभा की 2015 और 2020 चुनावों में कांग्रेस के मतदाताओं द्वारा पूर्णतः आप को समर्थन करने के कारण भाजपा अवश्य पीछे रही, मगर फिर भी भाजपा का अपना जनाधार कायम रहा। वहीं कांग्रेस पार्टी आप के हाथों अपना जनाधार पूरी तरह खो चुकी है।
अगर दिल्ली में आप सरकार बनाने में विफल रहती है तो इस पार्टी के अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगेगा। इसका कारण आंदोलन से निकली इस पार्टी ने दिल्ली में एक दशक से अधिक समय में भी अपना ढांचा या अपना समर्पित कार्यकर्ता वर्ग तैयार नहीं कर सकी है। इस दल के विधायक सरकार नहीं बनने की स्थिति में अन्य दल भाजपा या किसी और दल की ओर रुख कर सकते हैं।
आप और अरविन्द केजरीवाल एक अन्य बड़ी समस्या को ओर बढ़ते दिख रहे हैं। रुझानों के मुताबिक, अपनी परंपरागत विधानसभा सीट नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल भी चुनाव हार सकते हैं। अगर केजरीवाल चुनाव हार जाते हैं तो आप में बिखराव होना निश्चित माना जा सकता है।
कांग्रेस पार्टी के लिए एक उम्मीद की किरण यह है कि तीन लोकसभा और दो विधानसभा चुनावों में शून्य सीट प्राप्त करने के बाद इस बार एग्जिट पोलों के मुताबिक अपना खाता खोलते दिख रही है।
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