भारत में अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों के बारे में अक्सर चिंता जताई जाती हैऔर इस बीच दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी रह रहे हैं, खासकर बांग्लादेश और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों से।
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में अवैध प्रवासन ने शहर की जनसंख्या पर काफी असर डाला है। ये प्रवासी अक्सर सीलमपुर, जामिया नगर, जाकिर नगर, सुल्तानपुरी, मुस्तफाबाद, जाफराबाद, द्वारका, गोविंदपुरी जैसे भीड़-भाड़ वाले इलाकों में बसते हैं, जिससे स्थानीय संसाधनों पर दबाव बढ़ता है और समाजिक तनाव पैदा होता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बांग्लादेश से अवैध प्रवास का एक प्रमुख कारण 2017 का रोहिंग्या संकट है, जब लाखों शरणार्थी भारत आए थे। इनमें से कई दिल्ली में बस गए। ये प्रवासी रहने और काम करने के लिए स्थान ढूंढने में सहायता के लिए दलालों और एजेंटों जैसे अनौपचारिक नेटवर्क पर निर्भर रहते हैं। ये नेटवर्क फर्जी पहचान पत्र भी बनाते हैं, जिससे देश की कानूनी प्रणाली और चुनावी प्रक्रिया कमजोर होती है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रवासियों द्वारा बनाए गए घरों के कारण दिल्ली में झुग्गियों और अनियोजित कॉलोनियों की संख्या बढ़ गई है। इससे दिल्ली की बुनियादी संरचना, जैसे आवास, स्वच्छता और जल आपूर्ति, प्रभावित हुई है। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दबाव बढ़ गया है, जिसके कारण दिल्ली के अस्पताल और क्लीनिक अत्यधिक भीड़भाड़ वाले हो गए हैं और यहां तक कि कानूनी निवासियों को भी अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन क्षेत्रों में अवैध बांग्लादेशी प्रवासी रह रहे हैं, वहां स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ने से शिक्षा प्रणाली पर भी दबाव पड़ रहा है। इसका शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, विशेषकर निम्न आय वाले क्षेत्रों में।
अंत में, रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि स्थानीय श्रमिकों और प्रवासियों के बीच कम वेतन वाली नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, जिससे दिल्ली के मूल निवासियों में नाराजगी बढ़ी है। चूंकि ये प्रवासी कम वेतन पर भी काम करने के लिए तैयार रहते हैं, कई क्षेत्रों में लोगों की आय घट गई है, जो एक बड़ी समस्या बन गई है।
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