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जापान में बढ़ रही मुस्लिमों की जनसंख्या, कब्रों के लिए नहीं मिल रही जमीन

जापान में मुस्लिम जनसंख्या बहत तेजी से बढ़ने के साथ कब्रिस्तानों की कमी एक बड़ी समस्या बन रही है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

Published by
सोनाली मिश्रा

जापान में इस्लाम तेजी से बढ़ रहा है और बढ़ती जनसंख्या के साथ कई समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। इसमें सबसे बड़ी समस्या कब्रगाह के लिए जमीनों की जरूरत है। जापान में शवों को जलाने की परंपरा है और मुस्लिमों के लिए मौत के बाद दफनाने का रिवाज है। kyodonews के अनुसार जापान में मुस्लिम स्थायी निवास की तलाश में भी हैं और अपने भविष्य के बारे में भी सोच रहे हैं।

दिसंबर में मियागी के गवर्नर योशीहीरो ने कहा था कि वे एक नया कब्रिस्तान बनाने पर विचार कर रहे हैं। दरअसल जापान ने इंडोनेशिया की सरकार के साथ वर्ष 2023 में स्थानीय उद्योगों को समर्थन देने के लिए मानव संसाधन प्रदान करने के लिए समझौता किया था। इंडोनेशिया में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम रहते हैं।

मियागी के गवर्नर का यह कहना है कि जापान एक बहुसंस्कृति वाला देश होने का दावा भले ही करे, मगर बहुसंस्कृतिवाद की कमी के प्रति हमें अधिक ध्यान देना चाहिए। जापान में बेपु मुस्लिम एसोसिएशन द्वारा हिजई, ऑइटा प्रीफेक्चर में  एक बड़ा कब्रिस्तान बनाए जाने की योजना बनाई गई थी, मगर शहर के मेयर ने इस योजना पर रोक लगा दी थी।

पहले यह योजना निर्बाध रूप से चल रही थी। मगर जब एक और प्लॉट इसके लिए खरीदा गया तो लोगों ने विरोध दर्ज कराया कि इससे भूजल की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। हालांकि मौजूदा योजना के लिए, अनुबंध में यह शर्तें थीं कि जहां पर एक बार लोगों को दफनाया जा चुका है, उन प्लाट पर 20 वर्षों तक कोई भी अतिरिक्त दफनाने का कार्य नहीं होगा और भूजल की जांच वर्ष में एक बार की जाएगी।

मगर स्थिति तब और बिगड़ गई, जब सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में चिंता जताकर इस योजना का विरोध करने वाले तेतसूय एबे ने वर्ष 2024 में मेयर का चुनाव जीत लिया। ऐसा माना जाता है कि एबे इस योजना पर आगे नहीं बढ़ना चाहते हैं।

kyodonews वेबसाइट के अनुसार जापान में मुस्लिम मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर हीरोफऊमी तनदा बताते हैं कि जापान में वर्ष 2024 के आरंभ में मुस्लिमों की जनसंख्या लगभग 3,50,000 थी। जापान में जून 2024 तक मस्जिदों की संख्या 150 तक हो गई है और इनकी संख्या बढ़ने का अनुमान है।

जापान में श्रमिकों की घटती संख्या के कारण दूसरे देशों से लोगों को काम के लिए बुलाया जा रहा है और इस कारण सांस्कृतिक समस्याएं पैदा हो रही हैं। बेपु मुस्लिम एसोसिएशन ने सरकार के पास इस बात के लिए याचिका दायर की थी कि एक ऐसा सार्वजनिक कब्रिस्तान बनाया जाए, जहां पर लोग अपने मतों के अनुसार अंतिम संस्कार चुन सकें, मगर अभी तक इस पर कोई भी परिवर्तन नहीं हुआ है।

जापान में डिपार्टमेंटल स्टोर्स और शॉपिंग मॉल में नमाज पढ़ने के कमरे भी बढ़ रहे हैं। इसी वेबसाइट को कुछ और खंगालते हैं तो इसमें अगस्त 2024 की एक रिपोर्ट थी, जिसके अनुसार जापान में इस्लामिक मुल्कों से जिस प्रकार से लोग आ रहे हैं, तो उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए डिपार्टमेंटल स्टोर्स और शॉपिंग मॉल में उनके लिए नमाज पढ़ने के लिए कमरों को बनाया जा रहा है।

जापान की रीटेल इंडस्ट्री के अधिकारी ने कहा कि नमाज पढ़ने के लिए कमरे बाथरूम और नर्सिंग रूम के जैसे ही जरूरी हैं।  वर्ष 2023 में इंडोनेशिया, मलेशिया और तुर्किए से जापान में 8,70,000 से अधिक पर्यटक आए थे। इन देशों में आने वाले पर्यटक दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं और इन पर्यटकों के कारण मॉल जैसी जगहों पर भी नमाज के लिए कमरे बनाए जा रहे हैं।

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