पाकिस्तान से कुछ हिन्दू अपने 480 परिजनों, रिश्तेदारों व पचान वालों की अस्थियां लेकर भारत आए हैं। वे इन अस्थियों का गंगा में विसर्जन कर पितृों का तर्पण करेंगे, उनके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करेंगे। अटारी सीमा पर इन अस्थियों को कराची स्थित श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के मुख्य सेवक महंत श्री रामनाथ महाराज लेकर पहुचे। उन्होंने बताया कि इन अस्थियों को गंगाजी में बहाने के लिए मंदिरों अथवा श्मशानघाटों में कलश में सुरक्षित रखे गये थे। वे अपने को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उनके हाथों से इतने लोगों की अस्थियों को गंगा नसीब हो रही है अन्यथा वहां से लाखों हिन्दुओं के लिए गंगा सबसे दुर्लभ नदी बन गई।
पाकिस्तान के हिन्दू पूछते हैं कि उन्होंने तो बंटवारा नहीं मांगा था पर उनसे गांगा क्यों छीन ली गई। अब उनके मृतकों को सालों-साल तो क्या दशकों तक गांगा का इंतजार करना पड़ता है। गरीबों हिन्दुओं के लिए हजारों का खर्च, वीजा-पासपोर्ट की भारी भरकम औपचारिकताएं पूरी करना आसान नही। इसके लिए केवल दो ही रास्ते बचते हैं कि या तो लम्बा इंतजार या फिर किसी और नदी में अस्थियों का विसर्जन। ज्ञात रहे कि मान्यताओं के अनुसार मृत्यु के दस दिनों के भीतर गंगा विसर्जन जरूरी होता है। भारत सरकार की तरफ से इस कार्य के लिए दो साल पहले ही अनुमति दे दी गई थी।
महंत श्री रामनाथ ने बताया कि इससे पहले वे 2011 और 2016 में भी हिंदुओं की अस्थियों को प्रवाहित करने के लिए भारत ला चुके हैं। इस कार्य के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से 10 दिन का वीजा दिया गया है। महंत ने बताया कि वह अस्थियों को हरिद्वार में विधि विधान से विसर्जित करने के बबाद प्रयागराज में कुंभ स्नान भी करेंगे।
दस दिन का वीजा सरकार ने किया जारी
पाकिस्तान में करीब 20 लाख हिंदू रहते हैं। उन्होंने भारत सरकार से अपने प्रियजनों की अस्थियों को प्रवाहित करने की आज्ञा मांगी थी। इसके तहत 2022 में पाकिस्तानी हिंदू परिवारों को गंगा में अस्थियां प्रवाहित करने के लिए स्पांसरशिप पॉलिसी लागू की गई थी। इसके तहत पाकिस्तानी परिवार को भारत में अस्थियां विसर्जित करने की आज्ञा दी जाती थी जिनका कोई स्वजन भारत में रहता है। अब इसमें परिवर्तन कर पाकिस्तान के हिंदू परिवारों को अस्थियां विसर्जित करने के लिए दस दिन का वीजा जारी किया जा रहा है।
1947 के बाद तीसरी बार है कि अस्थियां भारत लाई गई हैं। श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के संरक्षक रामनाथ ने कहा कि हम कई सालों से भारत सरकार से जो मांग कर रहे थे, जो पूरी हुई। पहली बार 2011 में 135 अस्थियां लाए थे। ये अस्थियां 64 वर्ष से संभालकर रखी गई थीं। इन्हें गंगा में विसर्जित किया जाए। 2016 में भी 160 अस्थियों को गंगा लाया गया था।
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