दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले चौतरफा आरोपों में घिरे केजरीवाल के लिए उनके पुराने साथी ही मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। इनमें आआपा सरकार में परिवहन व पर्यावरण मंत्री रहे कैलाश गहलोत, मुनीश रायजादा और कपिल मिश्रा हैं, जो अब आआपा सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। ये सभी समाजसेवी अण्णा हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जुड़े हुए थे और आआपा के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं।
भाजपा ने कपिल मिश्रा को करावलनगर, कैलाश गहलोत को बिजवासन विधानसभा सीट से उतारा है, जबकि अमेरिका में बच्चों के डॉक्टर रह चुके और भारतीय लिबरल पार्टी के अध्यक्ष मुनीश रायजादा नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। राजयादा का आरोप है कि आआपा ने ‘रेवड़ी कल्चर’ को बढ़ावा दिया, जिससे दिल्ली के विकास पर नकारात्मक असर पड़ा है। वे केजरीवाल की विलासिता और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लगातार हमला कर रहे हैं। गत दिनों उन्होंने अपने गुरु अण्णा हजारे को एक पत्र लिखा, ‘‘हम सभी की एक ही इच्छा थी कि देश में जनलोकपाल के जरिये भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था बने और समाज में सुधार आए। लेकिन दुर्भाग्यवश हमारे बीच से ही एक नेता ने धोखा दिया। आज वही व्यक्ति एक भ्रष्ट पार्टी बनाकर हमारे संघर्ष को बदनाम कर रहा है।’’
कैलाश गहलोत पिछले वर्ष भाजपा में शामिल हो गए थे। उनके बाद कई और नेताओं ने भी आआपा छोड़कर भाजपा का दामन थामना मुनासिब समझा। इनमें मुंडका के पूर्व विधायक सुखबीर सिंह दलाल, सीमापुरी सीट से विधायक और पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, पटेलनगर सीट से विधायक राजकुमार आनंद, करतार सिंह तंवर, बलबीर सिंह, हरशरण और गुरमीत सिंह बल्ली प्रमुख नाम हैं। इसके अलावा, कांग्रेस में भी कई लोग शामिल हुए हैं, जिनमें सीलमपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले अब्दुल रहमान शामिल हैं।
इन सभी ने आआपा पर भ्रष्टाचार और वादों से भटकाने का आरोप लगाया और कहा कि पार्टी अपने मूल उद्देश्यों और नैतिकता से भटक गई है। इससे पहले, अंदरूनी मतभेदों के चलते दिग्गज नेताओं किरण बेदी, कवि कुमार विश्वास, आशुतोष, आशीष खेतान, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, शाजिया इल्मी और कपिल मिश्रा पार्टी से दूर होते चले गए।
‘केजरीवाल फिसल गया’
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अण्णा हजारे ने भी केजरीवाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि वे सत्य के मार्ग से भटक गए हैं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘केजरीवाल के दिमाग में पैसा बैठ गया है और वह पैसे के पीछे भागने वाले लोगों के साथ है। यह दुर्भाग्य की बात है। वह एक कार्यकर्ता के नाते मेरे साथ आगे आए। मैंने हमेशा कहा कि जीवन में आचार शुद्ध रखना। विचार शुद्ध रखना। जीवन निष्कलंक रखना, जीवन में त्याग करना। हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलते रहना। मैं उसको हमेशा यह सब पढ़ाता रहा।’’
अण्णा हजारे ने आगे कहा कि उस वक्त हमारे साथ किरन बेदी भी थीं। किरन बेदी ने कहा था कि कि अण्णा की पाठशाला शुरू करो। कई जगह पर इसे शुरू भी किया गया, लेकिन दिमाग में पैसा बैठा और वह फिसल गया। उसको क्या कर सकते हैं। ये पैसे के पीछे दौड़ने वाले लोग हैं। उनको कुछ भी नहीं कह सकते हैं।
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