सर्वोच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आआपा) के पूर्व पार्षद और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को 28 जनवरी को दिल्ली चुनाव प्रचार के लिए 6 दिन की सशर्त कस्टडी पैरोल दी है। ताहिर इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से मुस्तफाबाद सीट से उम्मीदवार हैं। हालांकि शीर्ष अदालत ने 20 जनवरी को जेल में बंद दिल्ली दंगों में आरोपी ताहिर हुसैन की चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, ”ऐसे सभी लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए।” ताहिर हुसैन से पहले आआपा के नेता अरविन्द केजरीवाल को भी लोकसभा चुनावों में प्रचार के लिए जमानत मिली थी।
ताहिर हुसैन साल 2017 के एमसीडी चुनाव में आआपा के टिकट पर जीता था। दिल्ली दंगे 2020 के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में ताहिर हुसैन का नाम सामने आया। इसके ऊपर दंगों के लिए फंडिंग करने का भी आरोप था। उत्तर-पूर्वी दिल्ली की चांद बाग पुलिस चौकी के पास स्थित ताहिर हुसैन के घर की छत पर पत्थर, पेट्रोल बम इकट्ठे करके रखे गए थे।
हिन्दू बस्तियों के अन्दर तक हमले करने के लिए उसकी छत पर एक बड़ी गुलेल भी लगाई गई थी। चांदबाग में हुए दंगों के दौरान ताहिर हुसैन का घर दंगा भड़काने का केंद्र बना हुआ था। वह आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का मुख्य आरोपी है। अब वह रिहा होकर अपना चुनाव प्रचार कर रहा है। ताहिर ने दंगों में अपनी लाइसेंसी पिस्तौल का इस्तेमाल किया था। पुलिस के अनुसार, हुसैन ने दंगों से ठीक एक दिन पहले खजूरी खास पुलिस स्टेशन में जमा अपनी पिस्टल निकलवाई थी जो जांच के दौरान पुलिस ने जब्त की थी।
आरोप पत्र में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि हिंसा के समय ताहिर अपने घर की छत पर था और उसकी वजह से ही हिंसा भड़की थी। ताहिर के मामले में न्यायमूर्ति पंकज मित्तल ने कहा, ”ताहिर की याचिका स्वीकार करने से एक नई प्रथा शुरू हो जाएगी। विचाराधीन कैदी चुनाव में खड़े हो जाएंगे और चुनाव लड़ने और प्रचार के लिए अंतरिम जमानत मांगेंगे।”
नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 के पारित होने के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया गया। इन विरोध प्रदर्शनों की आड़ में 23, 24 और 25 फरवरी 2020 के दौरान दिल्ली के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्र उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सुनियोजित दंगे कराए गए।
दिल्ली के जाफराबाद, सीलमपुर, भजनपुरा, ज्योति नगर, करावल नगर, खजूरी खास, गोकुलपुरी, दयालपुर और न्यू उस्मानपुर समेत 11 पुलिस स्टेशन के इलाकों में मजहबी उन्मादियों ने जमकर उत्पात मचाया था। इन दंगों में 53 लोगों की जान चली गई थी और कई लोग घायल हो गए थे। करोड़ों की संपत्ति जलकर खाक हो गई थी। दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस ने कुल 758 एफआईआर दर्ज की थीं।
जिस दौरान दंगे भड़काए गए, उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत में थे और दुनिया भर का मीडिया भारत में जमा था। ताहिर हुसैन, उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी और अन्य उन्मादियों द्वारा साजिश रची गई। दिल्ली पुलिस ने न्यायालय में दाखिल अपने आरोप पत्र में कहा है, ”ट्रंप के दौरे के दौरान भारत को बदनाम करने के लिए ताहिर हुसैन, उमर खालिद ने दंगों की साजिश रची थी। आरोप पत्र के मुताबिक उमर खालिद ने वैश्विक प्रचार के लिए डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान दिल्ली दंगें की साजिश रची थी।
साजिश का उद्देश्य था षड्यंत्र, आंतक एवं सांप्रदायिक हिंसा के इस्तेमाल से एक वैध रूप से चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंकना। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय में भी यह कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहा प्रदर्शन सहज स्पूर्त या स्वतंत्र आंदोलन नहीं था। पुलिस के अनुसार, पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआई) शाहीन बाग और विभिन्न स्थानों पर हुए धरनों को शह दे रही थीं।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंदू और मुस्लिमों की मिश्रित आबादी है। इन दंगों का एक उद्देश्य हिंदुओं को इस क्षेत्र से भागने के लिए मजबूर करके क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलना भी था। हिंदू-मुस्लिम मुहल्लों की सीमा पर रणनीतिक तौर पर सीएए विरोधी टेंट लगाए गए थे। इस षड्यंत्र का खुलासा दिल्ली पुलिस की जांच से हुआ। दंगा भड़कने से पहले ताहिर हुसैन, फैजल फारुकी, सफूरा जरगर, मीरान हैदर, आसिफ इकबाल, इशरत जहां, खालिद सैफी, शरजील इमाम, गुलिस्ता फातिमा, शफी-उर-रहमान, नताशा नरवाल, देवांगना कलीता पर किसी ने भी संदेह नहीं किया था।
दंगों की जांच के दौरान नताशा नरवाल और देवांगना कलिता का नाम प्रमुखता से सामने आया था। दोनों पर दंगे कराने की साजिश रचने का आरोप है। उनके तार ‘इंडिया अगेंस्ट हेट’ गुट और उमर खालिद से जुड़े पाए गए थे। इसके अलावा कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) के कई पदाधिकारियों को भी गिरफ्तार किया गया था। इस संगठन को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
Leave a Comment