महाकुम्भ नगर, (हि.स.)। महाकुम्भ में 144 साल बाद आए अद्भुत संयोग का साक्षी हर कोई बनना चाहता है। अमृत स्नान के लिए करोड़ों लोग प्रयागराज पहुंचे हैं। इन सबके बीच नागा साधुओं की भी चर्चा है। वे सबसे पहले अमृत स्नान करते हैं। आखिर इसकी वजह क्या है, वह भी जानिये।
महाकुम्भ में वसंत पंचमी पर तीसरा अमृत स्नान जारी है। इस दौरान 13 अखाड़ों के साधु त्रिवेणी संगम में आस्था की पवित्र डुबकी लगा रहे हैं। महाकुम्भ मेले का मुख्य आकर्षण अमृत स्नान (शाही स्नान) को ही माना जाता है। इसमें सबसे पहले स्नान का अवसर नागा साधुओं को दिया जाता है, ये परम्परा प्राचीन काल से जारी है। नागा का स्नान धर्म और आध्यत्मिक ऊर्जा की केंद्र माना जाता है। इसके पीछे कई अलग-अलग मान्यताएं हैं। साथ ही 265 साल पुराना एक किस्सा भी है।
क्यों करते हैं पहले नागा स्नान?
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो जब देवता समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की रक्षा कर रहे थे, तो अमृत की 4 बूंदे कुंभ के 4 जगहों (प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नाशिक) में गिरीं। इसके बाद यहां महाकुंभ मेले की शुरुआत की गई। नागा साधु भोले बाबा के अनुयायी माने जाते हैं और वह भोले शंकर की तपस्या और साधना की वजह से इस स्नान को नागा साधु सबसे पहले करने के अधिकारी माने गए। तभी से यह परंपरा चली आ रही कि नागा साधु सबसे पहले अमृत स्नान करेंगे।
एक मान्यता यह भीएक मान्यता और है। आदि शंकराचार्य ने धर्म की रक्षा के लिए नागा साधुओं की टोली बनाई थी। इस पर संतों ने धर्म की रक्षा करने वाले नागा साधुओं को पहले स्नान करने को आमंत्रित किया था। चूंकि नागा भोले शंकर के उपासक है, इस कारण भी इन्हें पहले हक दिया गया।
इस अखाड़े ने किया पहला स्नान
वर्षों से चली आ रही परम्परा को इस बार भी दोहराया गया है, अखाड़ों में भी पहले अखाड़ा महानिर्वाणी एवं शम्भू पंचायती अटल अखाड़ा को स्नान का पहला अवसर मिला है। ऐसे में आज सुबह 4.45 बजे पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने अमृत स्नान (शाही स्नान) कर लिया है। इसके पीछे अब निरंजनी अखाड़ा, आनन्द अखाड़ा, जूना अखाड़ा, दशनाम आवाहन अखाड़ा और पंचाग्नि अखाड़ा, पंच निर्मोही, पंच दिगंबर, पंच निर्वाणी, अनी अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा बड़ा उदासीन व अन्य अखाड़े अमृत स्नान कर रहे हैं।
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