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सलवान मोमिका : प्रश्न कई, उत्तर नहीं

इराकी शरणार्थी सलवान मोमिका की स्वीडन में हत्या कर दी गई। सलवान ने कुरान की प्रतियां जलाई थीं। आईएसआईएस की कट्टरता का शिकार भी हुए थे

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सोनाली मिश्रा

स्वीडन में इराक के ईसाई शरणार्थी सलवान मोमिका की हत्या उनके लाइव सेशन के दौरान कर दी गई। उनकी पहचान यह कहते हुए बताई जा रही है कि उन्होंने कुरान की प्रतियां जलाई थीं। यह भी कहा जा रहा है कि वह इराक के ऐसे ईसाई थे, जिन्होंने आतंकी संगठन आईएसआईएस का भी सामना किया था।

dr.Maalouf नामक यूजर ने लिखा कि सलवान मोमिका ने एक ऐसी मुस्लिम महिला को चुप कराया था, जो आईएसआईएस का महिमामंडन कर रही थी और यजीदी महिलाओं की गुलामी को भी सही ठहरा रही थी।

उन्होंने लिखा कि कुछ लोग कहते हैं कि सलवान ने कुरान की प्रतियां केवल ध्यानाकर्षित करने के लिए जलाई थी, मगर यह सच नहीं है। उसे पूरी तरह से विश्वास था कि वह किसके लिए लड़ रहा है। वह इराक से आया ईसाई था, जिसने इस्लाम के अत्याचार झेले थे और जो भी उस खतरे के दायरे में आता था, तो वह उसकी परवाह करता था।

वहीं स्वीडन की नीतियों को लेकर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। एक एस-मुस्लिम यूजर ने स्वीडिश सांसद की एक पोस्ट साझा की। उसमें उस सांसद ने सलवान मोमिका को इस्लामोफोबिक कहा।

कट्टरता को लेकर लगातार मुखर रहने वाले एमी मेक ने लिखा कि कैसे स्वीडन के प्रधानमंत्री ने सलवान मोमिका को धोखा दिया और उसकी हत्या के लिए मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने लिखा कि कैसे स्वीडन की सरकार ने अपने अभिव्यक्ति की आजादी के कानून के स्थान पर कट्टरपंथी मुस्लिमों के गुस्से को प्राथमिकता दी।

मोमिका को स्वीडन की सरकार द्वारा पुलिस संरक्षण भी नहीं दिया गया। यहां तक कि स्वीडन के प्रधानमंत्री ने इस हत्या की निंदा तक करने से इनकार कर दिया। हेट स्पीच के लिए मुकदमा चलाया गया। सोशल मीडिया पर इसको लेकर यही कहा जा रहा है कि कुरान जलाने का समर्थन नहीं किया जा सकता है, मगर इसके लिए किसी का खून भी नहीं किया जा सकता है।

नॉर्वे की पत्रकार रेबेका ने सलवान मोमिका की हत्या को लेकर एक वीडियो भी पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि सलवान मोमिका इस्लाम से बचकर यूरोप आया था, इस्लाम के हाथों मरने के लिए। रेखाएं खींची जा चुकी हैं, और मौतों की संख्या बहुत अधिक है। इसे रोका जाना चाहिए।

यूरोप के कई लोगों के भीतर इस हत्या को लेकर गुस्सा है। एक यूजर ने लिखा कि सबसे संवेदनशील लोगों ने उसे मार डाला, क्योंकि उसने उनकी भावनाओं को आहत किया था। सभी यूरोपीय पुरुषों के लिए समय है कि हम एक साथ आएं और याद करें कि हमारे पूर्वजों ने किसलिए लड़ाई की थी।

वहीं हैरान करने वाली बात यह भी है कि मोमिका की हत्या के पांचों संदिग्धों को छोड़ दिया गया है। हालांकि वे अभी भी संदिग्ध हैं, मगर उन्हें अभी जेल में नहीं रखा गया है। वहीं मोमिका पर घृणा फैलाने का मुकदमा चल रहा है।

एक यूजर ने लिखा कि ईराकी शरणार्थी सलवान मोमिका इसलिए नहीं मारा गया क्योंकि उसने कुरान जलाई थी। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पश्चिमी राजनेता, पत्रकार, पुलिस और शिक्षक लगातार उन लोगों का पक्ष लेते हैं जो उनकी हत्या करना चाहते थे।

वहीं स्वीडन में बमबारी की घटनाएं भी लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसके साथ ही स्वीडन के प्रधानमंत्री और सरकार ने यह पुष्टि भी की है कि स्वीडिश सरकार के नियंत्रण से चीजें बाहर जा रही हैं। स्वीडन में बढ़ती इस्लामिक कट्टरता के विरोध में लगातार लिखने वाले पीटर स्वीडन ने लिखा कि जनवरी में स्वीडन में 32 बमबारी की घटनाएं हुई हैं। प्रधानमंत्री इसे अब घरेलू आतंकवाद कह रहे हैं। मैं सालों से इस बमबारी के संकट पर लिख रहा हूं और लेफ्ट मुझे “conspiracy theorist” कह रहा था।

स्वीडन में कट्टरता लगातार बढ़ रही है और पीटर स्वीडन जैसे लोग लगातार इन घटनाओं के विषय में लिख रहे हैं। मगर यह भी सच है कि कथित मुख्यधारा की मीडिया इन घटनाओं को छिपाती है, मोमिका जैसे लोगों पर लगातार विमर्श करवाती है और देश के लिए बात करने वालों को कट्टर और पिछड़ा घोषित करती है।

यह सच है कि किसी भी पंथ की पुस्तक जलाने की निंदा होनी चाहिए, मगर उसके लिए ऐसा विमर्श बनना कि उसकी जान की ही कोई कीमत न हो, ऐसा भी नहीं होना चाहिए।

 

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