नई दिल्ली, (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर के आसपास कथित अवैध निर्माण पर हुए बुलडोजर एक्शन के मामले में दाखिल उस अर्जी पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें सोमनाथ मंदिर के पास स्थित दरगाह पर ऊर्स मनाने की मांग की गई थी। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि सालों से उर्स होता आया है लेकिन कल प्रशासन ने इसकी इजाजत देने से इन्कार कर दिया। प्रशासन का कहना है कि वहां कोई दरगाह नहीं है, जबकि रिकॉर्ड में 1960 तक का जिक्र है जहां कुछ शर्तों के साथ इजाजत मिलती रही है और तीन दिनों तक चलने वाला ये महोत्सव हर साल होता रहा है। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह दरगाह सन् 1299 से मौजूद है और यह एक संरक्षित स्मारक है, लेकिन इसे तोड़ दिया गया है।
गुजरात सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 1951 में यह जमीन सरदार पटेल ट्रस्ट को सौंपी जा चुकी है। उस इलाके में सभी धर्मों के अवैध निर्माण तोड़ दिए गए, जिसमें मंदिर भी है। इससे जुड़ा मुख्य मामला अभी हाई कोर्ट मे लंबित है। साथ ही एएसआई ने भी कहा है कि यहां कोई संरक्षित स्ट्रक्चर नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 अक्टूबर, 2024 को सोमनाथ मंदिर के पास बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर हमें लगता है कि अधिकारियों ने कोर्ट की अवमानना की है तो हम न केवल उन्हें जेल भेजेंगे बल्कि वहां यथास्थिति फिर से बहाल करने का भी निर्देश देंगे। सुप्रीम कोर्ट में दायर अवमानना याचिका में कहा गया है कि कोर्ट के बुलडोजर एक्शन पर रोक के आदेश के बाद भी बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की कार्रवाई गई है। गिर सोमनाथ के कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई थी।
इससे पहले 17 सितंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में आरोपियों को सजा देने के तौर पर इस्तेमाल हो रहे ‘बुलडोजर जस्टिस’ पर लगाम कसते हुए विभिन्न राज्यों में हो रही बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगली सुनवाई तक बिना कोर्ट की इजाजत के इस दरम्यान कोई बुलडोजर कार्रवाई नहीं होगी। हालांकि, कोर्ट ने साफ किया था कि अगर सार्वजनिक रोड़, फुटपाथ, रेलवे लाइन पर किसी भी तरह का अतिक्रमण है, तो वो हटाया जा सकता है। उसके हटाये जाने पर कोई रोक नहीं है।
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