बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। अब बांग्लादेश में महिलाओं का एक फुटबॉल मैच भी रद्द कर दिया गया। स्थानीय मदरसे में पढ़ने वाले लड़कों ने फुटबॉल मैच जहां होना था, वहाँ पर सब कुछ तहस नहस कर दिया। अलजजीरा के अनुसार स्थानीय आयोजकों ने बताया कि उत्तरपश्चिमी शहर जॉयपुरहाट में बुधवार को जिला महिला टीम और निकटवर्ती रंगपुर की टीम के बीच एक मैत्रीपूर्ण फुटबॉल मैच होना था, लेकिन आयोजन स्थल और उसकी सुविधाओं में तोड़फोड़ की गई।
टूर्नामेंट के आयोजक शमसुल हसन ने कहा कि उनके इलाके में इस्लामिस्ट्स एक मैदान में इकट्ठे हुए और जहां पर मैच होना था, उस ओर बढ़ने लगे। वे सैकड़ों की संख्या में थे, और उन्होनें कहा कि हालात बिगड़ने लगे और उन्हें यह मैच रद्द करना पड़ा। एक स्थानीय मदरसे में हेडमास्टर अबू बकर सिद्दीकी ने कहा कि उन्होनें भी मदरसे में पढ़ने वाले लड़कों के साथ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। इस विरोध प्रदर्शन में कई और मदरसों से टीचर और मदरसे में पढ़ने वाले लड़के शामिल थे।
इन सभी का कहना है कि “लड़कियों का फुटबॉल इस्लाम के खिलाफ है। यह उनकी मजहबी जिम्मेदारी है कि वे अपने मजहब के खिलाफ होने वाली हर चीज को रोकें।“
5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद कट्टरपंथियों द्वारा लगातार ऐसे कदम उठाए जाने जारी हैं, जो कट्टर इस्लामी देश में उठाए जाते हैं। ऐसा नहीं है कि यही एक मैच रद्द करवाया गया हो। इससे पहले एक दिन पहले ही दिनाजपुर शहर में एक और मैच ऐसे ही रद्द करवाया गया था।
इस मैच को रोकने के लिए कट्टर इस्लामिस्ट्स हाथ में डंडे लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। टीचर मोनीरुजज़मान जिया के अनुसार उन्हें खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए उन्हें वहाँ से लेकर जाना पड़ा। दिनाजपुर में इस्लामिक प्रदर्शनकारियों का विरोध भी हुआ था और कई लोगों ने उनके खिलाफ भी प्रदर्शन किया था। दोनों ही समूहों ने लाठी और ईंट का प्रयोग किया था। स्थानीय सरकारी अधिकारी अमित रॉय ने चार लोगों के घायल होने की पुष्टि की थी।
इस घटना को लेकर बांग्लादेश फुटबॉल फेडरेशन ने भी प्रतिक्रिया दी। फेडरेशन ने इस प्रकार मैच रोके जाने की निंदा की और कहा कि महिलाओं का भी अधिकार है कि वे खेलों में भाग लें। फेडरेशन के मीडिया मैनेजर सद्दाम साकिब ने एक बयान में कहा कि “फुटबॉल सभी के लिए है और महिलाओं का पूरा अधिकार है कि वे इसमें भाग लें।“
शेख हसीना के जाने के बाद जिस प्रकार से कट्टरपंथी इस्लामिक समूह बांग्लादेश में हावी हो रहे हैं, उससे यह आशंका लगातार तेज हो रही है कि कहीं बांग्लादेश भी कट्टर इस्लामिक अफगानिस्तान की राह पर न चला जाए। वहाँ पर भी महिलाओं के खेलकूद से ही प्रतिबंध लगना आरंभ हुए थे। इस बात को लेकर बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन लगातार चिंता जताती रही हैं।
हाल ही में बांग्लादेश में पुलिस की वर्दी का डिजाइन और रंग भी बदला है। इसे लेकर भी तस्लीमा नसरीन ने लिखा था कि कुछ लोग कह रहे हैं कि बांग्लादेश की पुलिस की वर्दी का नया रंग पाकिस्तानी पुलिस की यूनिफ़ॉर्म जैसा लग रहा है। उन्होनें कहा कि ऐसा हो सकता है क्योंकि यूनुस सरकार को पाकिस्तान से बहुत प्यार है, मगर यूनिफॉर्म के रंग में बदलाव इतना अर्जेंट क्यों था?
बांग्लादेश में कई लोग कट्टरपंथी सोच के बढ़ने से परेशान हैं और वे लगातार इस बात को उठा रहे हैं कि वास्तविक बदलावों पर काम कब होगा?
और अब तो लड़कियों के फुटबॉल मैच तक को इस्लाम के खिलाफ बताकर रोका जा रहा है, यह भी नहीं पता कि कट्टरसोच का सिलसिला कहाँ जाकर रुकेगा।
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