चंडीगढ़ नगर निगम में हुए मेयर चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला ने जीत दर्ज की है, हालांकि ठीक बाद हुए सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव को कांग्रेस ने जीत लिया है। दिल्ली चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए यह बड़ा झटका है। भाजपा को इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग का भी समर्थन मिला, जिसके कारण पार्टी को 19 वोट मिले, जबकि AAP और कांग्रेस के इंडी गठबंधन की ओर से आम आदमी पार्टी की पार्षद प्रेम लता को 17 वोट मिले, जोकि AAP और कांग्रेस के इंडी गठबंधन के लिए झटके से कम नहीं है। यह चुनाव कोर्ट के आदेश पर पूर्व जस्टिस जयश्री ठाकुर की निगरानी में संपन्न हुआ। हालांकि इसके ठीक बाद हुए सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के दौरान कांग्रेस ने इन दोनों पदों पर जीत हासिल की, जिससे कहीं ना कहीं यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के मेयर पद के प्रत्याशी के खिलाफ क्रॉस वोटिंग कांग्रेसी पार्षदों द्वारा की गई हो सकती है।
हालांकि यह सिर्फ अंदाजे ही हैं जबकि बैलेट से हुई वोटिंग किसने किसे की, इसकी जानकारी मिल पाना नामुमकिन है। चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी के मेयर प्रत्याशी का हार जाना और उसके बाद सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर पर कांग्रेस के प्रत्याशियों के जीत जाने के बाद दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान इस बात की तलखी देखने को मिल सकती है।
वहीं, सियासी जानकार मानते हैं कि पंजाब के अमृतसर में कांग्रेस के पास बहुमत होने का बावजूद जिस ढंग से आम आदमी पार्टी ने अपना मेयर बना लिया, उसका असर चंडीगढ़ में हुए मेयर के इन चुनावों पर हुआ दिखाई दे रहा है। क्या इसी वजह से कांग्रेस नहीं चाहती थी कि चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी का मेयर बने या फिर आम आदमी पार्टी के ही पार्षदों में से किसी ने क्रॉस वोटिंग की होगी ? यह वो सवाल है जिसका जवाब अब एक साल तक इंडी गठबंधन को सताएगा जरूर। अब इसे भाजपा की सियासी रणनीति का असर कहा जाए या फिर AAP और कांग्रेस के इंडी गठबंधन की आपसी अंर्तकल्ह, लेकिन इस पूरे सियासी घटनाक्रम ने दोनों ही पार्टियों के वर्करों में एक दूसरे को लेकर जो नाराजगी व असंतोष है, उसे पूरी तरह से उजागर करके रख दिया है।
इस चुनाव में भाजपा के पास कुल 16 पार्षदों का समर्थन था, जबकि AAP के पास 13 और कांग्रेस के पास 6 पार्षद थे जबकि एक वोट सांसद का था जोकि निगम के मेयर चुनाव में डाला जा सकता है। कुल मिलाकर, AAP और कांग्रेस का गठबंधन 20 वोटों के साथ पूर्ण बहुमत के करीब था, लेकिन भाजपा को मिली 19 वोटों की जीत ने गठबंधन की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। भाजपा ने मेयर पद की जीत के साथ सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में ऐसा देखने को नहीं मिला और इन दोनों पदों पर कांग्रेसी पार्षद गठबंधन की ओर से प्रत्याशी थे, जिन्हें 19-19 वोट मिले और यह दोनों पद कांग्रेस ने जीत लिए। इस चुनाव में भी भाजपा ने अपनी स्थिति मजबूत की और पार्टी को इस चुनाव से स्पष्ट राजनीतिक लाभ मिला है। बता दें कि चंडीगढ़ में पिछले एक साल के कार्यकाल में AAP और कांग्रेस के कई पार्षदों ने अपने ही गठबंधन की नीति और कार्यों पर असंतोष जताया। खासकर, कांग्रेस और AAP के पार्षद पिछले मेयर के कार्यकाल के दौरान विकास कार्यों की कमी से नाराज थे। भाजपा नेताओं का कहना है कि विपक्षी दलों के पार्षदों का जमीर जागा और उन्होंने भाजपा के पक्ष में वोट दिया। भाजपा का मानना है कि यह जीत न सिर्फ पार्टी की रणनीति का परिणाम है, बल्कि चंडीगढ़ में विकास के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता और पारदर्शिता का भी परिणाम है।
केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि राजधानी में भाजपा की जीत ने पंजाब में भाजपा को बल दिया है। बिट्टू ने भाजपा मेयर हरप्रीत कौर बबला को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास को इस जीत का श्रेय दिया है।
उधर, स्थानीय भाजपा नेता संजय टंडन व अन्यों ने इस जीत की बधाई नवनियुक्त मेयर हरप्रीत कौर बबला को देते हुए कहा कि यह जीत भाजपा के सुशासन और प्रधानमंत्री मोदी के विकास के दम पर आई है चूंकि स्थानीय पार्षदों को इस बात का पता चल चुका है कि आने वाले समय में चंडीगढ़ निगम के होने वाले आम चुनावों के दौरान लोगों के बीच जाना है और तब लोगों ने विकास के मुद्दों पर सवाल पूछने हैं और विकास यदि कोई कर सकता है तो वो सिर्फ भाजपा, इसलिए उन्होंने अपने जमीर की आवाज को सुना व भाजपा को चुना, जिसके चलते भाजपा का मेयर बन सका है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ से ही इंडी गठबंधन का आगाज हुआ था और आज चंडीगढ़ से ही इंडी गठबंधन का अंत होना शुरू हो गया है।
वहीं, कांग्रेस के चंडीगढ़ यूनिट के प्रधान एच.एस लक्की ने कहा है कि कुछ पार्षदों के चेहरे सुबह ही पढ़े जा रहे थे जिन पर उन्हें क्रॉस वोटिंग का शक है, हालांकि उन्होंने किसी का भी नाम नहीं बताया लेकिन इतना जरूर कहा कि जल्द ही ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाएगी जो क्रॉस वोटिंग में शामिल पाए जाएंगे, वो चाहे कांग्रेस के हों या फिर आम आदमी पार्टी के पार्षद हों।
गौरतलब है कि, चंडीगढ़ में हुए इस सारे घटनाक्रम का असर दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी देखने को मिल सकता है कि क्योंकि वहां पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव में भाजपा ने एक मजबूत स्थिति बनाई, जबकि AAP और कांग्रेस का गठबंधन इसका फायदा उठाने में असफल रहा। इस चुनाव से पहले AAP के नेता कुलदीप कुमार टीटा ने मेयर पद पर काबिज थे, लेकिन इस बार भाजपा ने मेयर की कुर्सी छीन ली। विशेष रूप से, क्रॉस वोटिंग के कारण भाजपा को 3 अतिरिक्त वोट मिले, जो AAP और कांग्रेस के गठबंधन के पार्षदों से आए।
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