पंजाब में शिक्षा का स्तर चिंताजनक हालत में है। गणित, विज्ञान, भू-गोल की बातें तो दूर अधिकतर बच्चे ‘क’ से ‘कबूतर’ पढऩे की बजाय कन्फ्यूज हो जाते हैं स्कूलों के बच्चे। प्रथम फाउंडेशन की एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट-2024 में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार सरकारी व निजी दोनों स्कूलों में ही पांचवीं कक्षाओं के बच्चों की शिक्षा का ग्राफ गिरा है। सिर्फ 61.4 बच्चे ही दूसरी कक्षा का पाठ पढऩे में समक्ष हैं, जबकि वर्ष 2022 में 66.2 बच्चे दूसरी कक्षा का मूल पाठ पढऩे में समर्थ पाए गए थे।
गणित विषय परेशानी का सबब
ग्रामीण क्षेत्रों में गणित का विषय सभी बच्चों के लिए परेशानी का सबब बना है। पांचवीं कक्षा के 48.8 प्रतिशत बच्चे ही भागफल के सवाल हल कर पा रहे हैं, लेकिन वर्ष 2022 के मुकाबले इसमें सुधार जरूर देखने को मिला है। पिछले सर्वे में सिर्फ 41.1 फीसदी बच्चे ही भागफल के सवालों को अच्छे से हल कर पा रहे थे। इसी तरह तीसरी कक्षा के बच्चों को समर्थ बनाने के लिए अभी भी बहुत काम करने की जरूरत है। केवल इतना ही नहीं, तीसरी कक्षा के 48.9 फीसदी बच्चों को घटाव नहीं आता है। अगर सिर्फ सरकारी स्कूलों की बात की जाए, तो तीसरी कक्षा के सिर्फ 27.7 बच्चे ही दूसरी कक्षा का पाठ पढ़ सकते हैं, जबकि वर्ष 2022 के मुकाबले इसमें 3.4 फीसदी का ही सुधार हुआ है।
इन आंकड़ों ने शिक्षा विभाग की चिंता भी बढ़ा दी है, क्योंकि मिशन समर्थ के तहत पहले ही बच्चों की सीखने की क्षमता बढ़ाने के लिए विभाग काम कर रहा है। दूसरी से आठवीं तक की कक्षाओं के बच्चों की पंजाबी, अंग्रेजी व गणित में पकड़ मजबूत बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
गांवों में 46 फीसदी बच्चों के पास मोबाइल
रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 14 से 16 वर्ष के 94.2 फीसदी बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसमें से 46 फीसदी बच्चों के पास अपना खुद का मोबाइल है। इसी तरह 96.2 फीसदी बच्चों के पास घर में मोबाइल है। 63.3 फीसदी बच्चे मोबाइल का शिक्षा संबंधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करते हैं। 92.5 फीसदी बच्चे यूट्यूब पर वीडियो खोज लेते हैं और इसमें से 96.8 फीसदी बच्चे इसे शेयर भी कर लेते हैं। स्कूलों में पहले ही डिजिटल शिक्षा को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। कोरोना काल के बच्चों में पहले ही मोबाइल का उपयोग बढ़ गया है।
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