ब्रिटेन सरकार की इस संबंध में ‘मुस्तैदी’ इतनी है कि जिन खालिस्तानी तत्वों ने अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा में आतंक मचा रखा है, उन्हीं के समकक्ष उसने ‘हिन्दू राष्ट्रवाद’ को भी रखकर खुद को ‘निष्पक्ष’ दिखाने की कोशिश की है।
ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सरकार और उसके प्रधानमंत्री उस हिन्दू धर्म से ‘भयभीत’ हैं जो दुनिया में तेजी से अपनाया जा रहा है और जिसके मूल्यों के सामने पश्चिमी देश भी नतमस्तक हो रहे हैं। इसी हिन्दू धर्म और इसे मानने वालों से ब्रिटेन की स्टार्मर सरकार ‘खतरा’ महसूस करे तो यह उस सकरार की भ्रष्ट सोच ही दिखाता है। उस देश के गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट लीक हुई है जिसके कहा गया है कि ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ से देश को सावधान रहना है।
जानकारी के अनुसार, इस रिपोर्ट में ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ को लेकर अनर्गल प्रलाप किया गया है। कहा गया है कि ब्रिटेन में ‘हिंदू राष्ट्रवाद का खतरा’ बढ़ रहा है। मंत्रालय ने शायद इसे खालिस्तान पर लगाए गए अपने आरोपों को संतुलित करने के लिए किया हो। लेकिन जो भी है कम से कम स्टार्मर सरकार की हिन्दू विरोधी सोच तो सामने आ ही गई है। रिपोर्ट में ‘खालिस्तान अभियान’ को भी एक खतरे के तौर पर दर्शाया गया है।
लीक हुई इस रिपोर्ट में ‘खालिस्तान आंदोलन’ तथा ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ को एक ही पलड़े में रखने की कोशिश करते हुए इसे ‘उग्रवाद’ की संज्ञा दी गई है। ब्रिटेन की गृहमंत्री यवेट कूपर ने गत वर्ष एक समीक्षा करके ‘उग्रवाद’ को लेकर अपनी सरकार की नीतियों को तय करने की बात की थी। यवेट का कहना था कि ‘ब्रिटेन में उग्रपंथी सोच का पता लगाकर उन पर नजर रखे जाने की जरूरत है।’ इस समस्या को प्रतिकार करने हेतु उनकी समीक्षा एक रणनीतिक नजरिया प्रस्तुत करने वाली थी। लीक हुई गृह मंत्रालय की रिपोर्ट संभवत: उसी समीक्षा की उपज है।
ब्रिटेन सरकार की इस संबंध में ‘मुस्तैदी’ इतनी है कि जिन खालिस्तानी तत्वों ने अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा में आतंक मचा रखा है, उन्हीं के समकक्ष उसने ‘हिन्दू राष्ट्रवाद’ को भी रखकर खुद को ‘निष्पक्ष’ दिखाने की कोशिश की है। देश के एक जाने—माने थिंक टैंक ने लीक हुई उस रिपोर्ट पर नजर डाली है। उसका कहना है कि ब्रिटेन सरकार ‘उग्रवाद’ के 9 प्रकार मानती है। ये हैं, उग्र दक्षिणपंथ, महिला विरोधी हिंसा, इस्लामी आतंक, खालिस्तानी उग्रवाद, हिंदू राष्ट्रवाद, पर्यावरण से जुड़ी उग्रता, वामपंथी उग्रवाद, अराजकतावादी और एक ही मुद्दे से जुड़ा उग्रवाद, हिंसक सोच के प्रति नरम रवैया रखना।
इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट नहीं होता कि इसमें ‘हिन्दू राष्ट्रवाद’ को ‘खतरा’ बताने के पीछे जायज वजह क्या है। गृह मंत्रालय की समीक्षा रिपोर्ट में इस्लामी आतंकवाद जैसी विश्वव्यापी समस्या को भी बहुत हल्की तरह से रखा गया है। खुद ब्रिटेन इस जिहाद का भयानक रूप देख चुका है। उस देश में जितने भी आतंकवादी हमल हुए हैं या हिंसा की वारदातें हुई हैं, उनमें कट्टर मजहबी तत्वों की संलिप्तता सामने आई है।
रिपोर्ट में 2022 में लंदन के पास लीसेस्टर में उग्र मुस्लिमों द्वारा स्थानीय हिन्दू आबादी पर बेवजह हमला बोलने का संदर्भ लिया गया है। उसे ‘सांप्रदायिक हिंसा’ मानते हुए गृह मंत्रालय ने ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ को खतरे के तौर पर बताया है। लेकिन दुनिया जानती है कि उस घटना में कट्अर मजहबियों की भीड़ सुनियोजित तरीके से संगठित होकर हिन्दुओं को निशाना बना रही थी, मंदिर में तोड़फोड़ की कोशिश कर रही थी।
गृह मंत्रालय की लीक हुई रिपोर्ट कहती है, “सितंबर 2022 में लीसेस्टर में हिंदुओं तथा मुसलमानों के बीच हिंसा हुई। इस परिप्रेक्ष्य में सरकार ने कथित हिंदू राष्ट्रवादी ‘उग्रपंथ’ को सामने लाने का फैसला किया जो उचित ही है। विशेषकर इस वजह से कि इसके बारे में लोगों को अमूमन उतना पता नहीं है।”
खालिस्तानी उग्रवाद के लिए रिपोर्ट में है कि ‘खालिस्तान अभियान स्वयं में उग्रपंथी नहीं है।’ इस समीक्षा रिपोर्ट से इसे बनाने वालों की समझ पर हंसी आती है। मालूम देता है कि उन्हें विश्व भर में दिख रहे तथ्यों की बजाय अपने राजनीतिक हित—अहित की चिंता ज्यादा है। मासूम लोगों को खुलेआम मार डालने की धमकियां देने वाले, मंदिरों पर बेवजह हमले करने वाले, हिन्दुओं के प्रति जहर उगलने वाले खालिस्तानी उन्हें ‘स्वयं में उग्रपथी नहीं’ लगते!
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