दिल्ली

Delhi Elections 2025: आम आदमी पार्टी का साफ-सुथरी राजनीति का दावा और आपराधिक बैकग्राउंड वाले उम्मीदवार

आम आदमी पार्टी (AAP), जो खुद को ईमानदार और साफ-सुथरी राजनीति करने वाली पार्टी कहती है, अब उसके खिलाफ फिर से गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

Published by
Mahak Singh

साफ-सुथरी राजनीति का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जारी की गई पार्टी की उम्मीदवारों की लिस्ट में कई ऐसे नाम सामने आए हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह बात चुनाव से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट से सामने आई है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कुल 70 उम्मीदवारों का ऐलान किया, जिनमें से 44 उम्मीदवारों ने खुद यह बताया कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। यह संख्या पार्टी के कुल उम्मीदवारों का लगभग 63% है। जिनमें से 29 उम्मीदवारों के खिलाफ तो गंभीर आपराधिक धाराओं के तहत मामले दर्ज हैं। ये आंकड़े उन दावों को चुनौती देते हैं, जिनमें आम आदमी पार्टी हमेशा से साफ-सुथरी राजनीति की बात करती रही है।

आम आदमी पार्टी से पहले कांग्रेस की ओर से भी आपराधिक मामलों के आरोपित उम्मीदवारों को टिकट दिए गए हैं। कांग्रेस ने 29 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें से 13 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ गंभीर मामलों के आरोप हैं।

132 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कुल 699 उम्मीदवारों में से 132 ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी दी है, जो कुल उम्मीदवारों का 19% हैं। यह आंकड़ा पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले थोड़े कम समय में स्थिर रहा है। हालांकि, गंभीर आपराधिक मामलों के आरोपित उम्मीदवारों की संख्या 12% तक पहुंच गई है, जो पिछले चुनाव में 15% थी।

महिलाओं के खिलाफ अपराध

यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि इस बार के चुनाव में 13 उम्मीदवारों के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले दर्ज हैं। इनमें से 2 पर हत्या और 5 पर हत्या की कोशिश के आरोप हैं। इस प्रकार, महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़ी मामले भी चिंता का कारण बन रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में राजनीतिक दलों को यह निर्देश दिया था कि वे यह स्पष्ट करें कि उन्होंने आपराधिक बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों को क्यों चुना। इस बार के चुनाव में इस मुद्दे पर कोई खास बदलाव नहीं दिख रहा है, और अब राजनीतिक दलों के लिए यह और भी महत्वपूर्ण हो गया है कि वे इस पर जवाबदेह हों।

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