जिन्ना के देश पर इस सख्त कदम के प्रभावों की बात करें तो सबसे पहले, आर्थिक मदद रोकने का तात्कालिक प्रभाव उस देश की विकास परियोजनाओं पर पड़ेगा। इस मदद के रुकने से ऊर्जा क्षेत्र की पांच महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रभावित होंगी। इनमें पावर सेक्टर सुधार से लेकर जलवायु वित्तपोषण तक की गतिविधियां शामिल हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने बांग्लादेश के बाद जिन्ना के जिहादी सोच के देश पर आर्थिक प्रतिबंध का चाबुक चलाया है। ट्रंप ने इस संबंध में जो कार्यकारी आदेश पास किया है उसका विश्लेषण करें तो यह उनका फैसला बहुआयामी लगता है। यह कदम बेशक पाकिस्तान के विकास और अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों पर दूरगामी प्रभाव डालने वाला साबित हो सकता है। ट्रंप ने अब तक पाकिस्तान को विभिन्न परियोजनाओं के लिए दी जा रही आर्थिक मदद की पुनर्समीक्षा करने के भी आदेश दिए हैं।
कराची स्थित अमेरिकी दूतावास की ओर कहा गया है कि एएफसीपी कोष के रास्ते ऐतिहासिक भवनों, पुरातात्विक स्थलों, संग्रहालय की संपदाओं तथा विश्व भर में स्वदेशी भाषाओं और शिल्प जैसी पारंपरिक सांस्कृतिक गतिविधियों के संरक्षण के लिए आर्थिक मदद दी जाती है। अमेरिका के कराची स्थित वाणिज्य दूतावास की एक रिपोर्ट बताती है कि ट्रंप ने कार्यकारी आदेश जारी करके अमेरिका द्वारा पुनर्मूल्यांकन किए जाने तक के लिए पाकिस्तान को जा रही विदेशी सहायता पर रोक लगाई है।
जिन्ना के देश पर इस सख्त कदम के प्रभावों की बात करें तो सबसे पहले, आर्थिक मदद रोकने का तात्कालिक प्रभाव उस देश की विकास परियोजनाओं पर पड़ेगा। इस मदद के रुकने से ऊर्जा क्षेत्र की पांच महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रभावित होंगी। इनमें पावर सेक्टर सुधार से लेकर जलवायु वित्तपोषण तक की गतिविधियां शामिल हैं। यह निलंबन पाकिस्तान की ऊर्जा सुरक्षा और आधुनिकीकरण की योजनाओं को प्रभावित कर सकता है।
दूसरे, इस मदद के रुकने से वहां की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण भी प्रभावित हो सकता है। एएफसीपी कोष से मिलने वाली राशि को ही स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का काम हो रहा था। इस सहायता के रुकने से पाकिस्तान की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में चुनौतियां आ सकती हैं।
तीसरे, अमेरिकी आर्थिक मदद रुकने से सामाजिक विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और खाद्य सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र प्रभावित होंगे। विशेष रूप से 2025 तक चलने वाले सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम अब अटक जाएगा।
इसमें संदेह नहीं है कि लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों के लिए मिलने वाली सहायता का रुकना पाकिस्तान में नागरिक समाज के विकास को प्रभावित कर सकता है। आर्थिक प्रभाव की बात करें तो इस बारे में अभी ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता क्योंकि वर्तमान सहायता राशि का विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है। साथ ही, यह स्पष्ट नहीं है कि कौन से कार्यक्रम स्थायी रूप से बंद होंगे और किनमें केवल कटौती की जाएगी।
अमेरिका के नए राष्ट्रपति के इस कड़े कदम पर पाकिस्तान की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह बताता है कि इस निर्णय से जिन्ना का देश ठगा रह गया है या रणनीतिक कारणों से चुप्पी साधे है। दोनों ही स्थितियां पाकिस्तान को लेकर अमेरिका की बदली सोच दिखाती हैं और भविष्य में संबंधों के तनावपूर्ण रहने की ओर संकेत करती हैं।
आर्थिक मदद को निलंबित किया जाना अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ जैसा दिख रहा है। हो सकता है है इससे क्षेत्रीय भू-राजनीति, विकास सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर पड़े। राष्ट्रपति ट्रंप कट्टर इस्लामवाद के मुखर विरोधी रहे हैं। बांग्लादेश और अब उसका आका बनने की कोशिश में जुटे जिन्ना के देश में आतंकवाद को राज्य नीति के तौर पर देखा जाना उसके लिए एक बहुत बड़ी मुश्किल पैदा करता दिखता है।
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