विश्लेषण

Delhi Assembly Election-2025: AAP सरकार में ‘महिला सुरक्षा’, एक ‘मजाक’

आम आदमी पार्टी की सरकार ने पहले दिल्ली की बसों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए तैनात मार्शलों की सेवा को खत्म कर दिया और अब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक बार फिर से मार्शलों की बहाली की बात कर रही है।

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डॉ प्रीती शर्मा, प्रोफेसर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया

Delhi Assembly Election-2025 : दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। ऐसे में दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा, जो कि एक बड़ा मुद्दा है, उस पर भी आम आदमी पार्टी की ओर से बयानबाजी की जा रही है। आम आदमी पार्टी प्रचार कर रही है कि भाई हो तो केजरीवाल जैसा, बेटा हो तो केजरीवाल जैसा, जैसे नारे और बयानबाजी की जा रही है। लेकिन, सवाल उस वक्त खड़ा होता है, जब इसी भाई के घर पर उसी की पार्टी की एक सांसद पर हमला किया जाता है और केजरीवाल चुप्पी साधे बैठे रहते हैं।

बात हो रही दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाती मालिवाल की, जिन पर दिल्ली के सीएम रहे अरविंद केजरीवाल के घर पर उनके ही सहयोगी के द्वारा हमला किया जाता है, उन्हें धमकाया जाता है, जबकि केजरीवाल अपने घर पर ही मौजूद रहते हैं। इस वारदात के बाद सुधारात्मक उपाय तो दूर, इसकी निंदा तक केजरीवाल ने नहीं की। उनकी मौन स्वीकृति एक सोची-समझी साजिश की तरफ इशारा करती है। इस मामले में यही रुख मौजूदा सीएम आतिशी मार्लेना समेत अन्य नेताओं का भी था। सवाल AAP नेताओं की भूमिका पर भी खड़ा होता है, जो कि अपने ही एक साथी के सम्मान के लिए एक शब्द भी नहीं बोल सके। ऐसे एक सवाल ये ही खड़ा हुआ कि जब खुद पार्टी की नेता और सांसद तक सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर क्या दिल्ली आम महिलाओं के लिए सुरक्षित हो सकता है? सवाल ये भी कि महिला सुरक्षा की बात करने वाली आम आदमी पार्टी किस प्रकार से हमें पारिवारिक संरचना, स्त्री सम्मान, आशाजनक भविष्य और सक्षम वर्ग प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है?

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AAP का महिला सुरक्षा का दावा-दिखावा

अगर आम आदमी पार्टी के कार्यों की जांच की जाए तो स्वत: ही उसकी महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण वाली बात एक दिखावे से अधिक कुछ नहीं मालूम पड़ती हैं। आप सरकार की कुछ योजनाएं, जो कि महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर शुरू तो हुईं, लेकिन दिखावा ही बन कर रह गईं। इनमें से एक है 2019 में शुरू की गई पिंक टिकट योजना। इस योजना को तब के मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल ने डीटीसी और क्लस्टर बसों में लॉन्च किया था। इसमें महिलाओं को मुफ्त सवारी की पेशकश की गई थी, लेकिन सुरक्षा की बात यहीं पर खत्म हो जाती है। यही कारण था कि अक्तूबर 2023 में केंद्रीय सचिवालय के पास पावर द पेडल समुदाय ने विरोध प्रदर्शन करते हुए पब्लिक बसों में महिलाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार को लेकर आवाज उठाई थी।

महिला सुरक्षा को लेकर एक और योजना केजरीवाल ने लॉन्च की। उन्होंने खुद को दिल्ली का बेटा घोषित करते हुए दिल्ली की पब्लिक बसों में नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों के तौर पर बस मार्शलों की एक टास्क फोर्स शुरू करने का ऐलान किया। बाद में गैर जिम्मेदारी दिखाते हुए निरस्त भी कर दिया। इन मार्शलों को वेतन तो दिया नहीं जाता था, अंतत: मार्शल सेवा को वापस ले लिया गया। आप सरकार के इस गैर जिम्मेदाराना रवैये का असर ये हुआ कि कई मार्शलों की रोजी-रोटी पर बात आ गई। कुछ ने तो अवसादग्रस्त होकर अपनी जान तक दे दी। वहीं महिला सुरक्षा एक मजाक बनकर रह गया। मार्शलों का आरोप था, “हमें स्थायी नौकरी और बुनियादी लाभ देने का वादा किया गया था, लेकिन अब, हमारी सेवाओं का उपयोग करने के बाद, हमें बिना किसी नोटिस के बर्खास्त कर दिया गया है”। वहीं पूरी बेशर्मी के साथ हमेशा की तरह ही आप सरकार ने टालमटोल की नीति अपनाते हुए अपनी नाकामी के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदारा ठहरा दिया।

अब जब दिल्ली विधानसभा चुनाव होने में कुछ दिन बचे हैं तो एक बार फिर से आम आदमी पार्टी दिल्ली के 10,000 मार्शलों की सेवा को बहाल करने की बात कर रही है। लेकिन, ये अवसरवादी राजनीति से अधिक कुछ नहीं दिखती। इसी तरह से दिसंबर 2024 में भी आप सरकार ने दिल्ली की महिलाओं को 2100 रुपए प्रति माह देने वाली मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना शुरू की। लेकिन सवाल फिर से वही है कि क्या ये 2100 रुपए महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा दे सकते हैं। हकीकत ये है कि अक्तूबर 2024 में ग्रीनपीस इंडिया की राइडिंग द जस्टिस रुट रिपोर्ट में दावा किया गया कि दिल्ली की करीब 75 फीसदी महिलाएं उत्पीड़न, खराब रोशनी और अनिश्चित बसों के शेड्युल में यात्रा करने पर खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। ये हाल केवल महिला यात्रियों का ही नहीं, बल्कि कर्मियों का भी है। आकंड़ों की मानें तो 2023 में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) में दर्ज मामलों में से 8.4% मामले यानी कुल 2411 शिकायतें दिल्ली की थी। 2022 एनसीआरबी की रिपोर्ट्स की मानें तो कुल 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने राष्ट्रीय औसत 66.4 से अधिक अपराध दर दर्ज की। 144.4 की दर से दिल्ली इस सूची में शीर्ष पर है। 2022 में भारत के 19 महानगरीय शहरों में महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधों की संख्या के मामले में दिल्ली शीर्ष पर थी। NCRB ने 14,158 घटनाओं की सूचना दी, जिनमें 1,204 बलात्कार के मामले, 3,909 अपहरण या अपहरण और 129 दहेज हत्याएं शामिल हैं 2015 में आप सरकार के कार्यकाल के आरंभ में शील भंग करने के इरादे से किये गए हमलों की संख्या 82,422 थी, जबकि महिलाओं के शील को ठेस पहुंचाने के मामलों की संख्या 8,685 थी। दिल्ली में महिला मतदाताओं की संख्या 69 लाख यानि कि कुल वोटर्स का 48 फीसदी है। ये दिल्ली की सत्ता के लिए निर्णायक है, लेकिन फिर भी आम आदमी सरकार में महिला सुरक्षा एक मजाक से अधिक कुछ भी नहीं प्रतीत होती है।

दिल्ली सरकार की महिला योजना कागजों में फल-फूल रही

1. बालिका शादी योजना

इसे अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री रहते हुए शुरू किया था। इसमें यह था कि 30,000 रुपए की आर्थिक सहायता एससी/एसटी और ओबीसी समुदाय की लड़कियों की शादी दिया जाना था। लेकिन, ज्यादातर को जानकारी के अभाव में इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है या यूं कहें कि ये योजना कागजों में दफ्न हो गई।

2- दिल्ली लाडली योजना

दिल्ली लाडली योजना की शुरुआत 1 जनवरी 2008 को दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा दिल्ली में जन्म लेने वाली बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए की गई थी। इसके तहत बच्चियों को कुल 35-36,000 रुपये की सरकारी मदद चरणबद्ध तरीके से मिलती है जो बच्ची के 18 साल का होने तक बैंक में जमा रहती है। लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली में करीब 1.86 लाख लाभार्थी बच्चियों ने लाडली योजना के तहत मिलने वाले फायदों को लेने के लिए दावा नहीं किया है। जबकि 1.66 लाख ने या तो अपने आवेदनों का नवीनीकरण नहीं कराया है या स्कूल छोड़ दिया है।

AAP के महिला सुरक्षा वाले दावे पर क्या बोलीं स्वाति मालीवाल 

राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल आम आदमी पार्टी के महिला सुरक्षा वाले दावे पर अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहती हैं, “आप पार्टी के महिला सुरक्षा के दावों की सच्चाई आप इस तरह समझ सकते हैं कि एक गुंडे को बचाने के लिए सड़क पर धरने दिए जाते हैं, देश के सबसे महंगे वकील हायर किए जाते हैं, और मेरे खिलाफ पूरी सरकारी मशीनरी झोंक दी जाती है। मुझे पीटने के इनाम में उसे शानदार सरकारी पद, कोठी, Z प्लस सुरक्षा, बुलेटप्रूफ गाड़ियाँ, जैमर, एस्कॉर्ट वाहन, एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड का काफिला तक मिलता है। यही है केजरीवाल का ‘महिला सम्मान’—साधु के भेष में रावण का काम!”

 

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