दिल्ली

आप सरकार की असफलता: दिल्ली के निराश सफाई कर्मचारी और सीवर क्लीनर

दिल्ली सरकार को यह समझना होगा कि सफाई कर्मचारियों की स्थिति में सुधार का काम केवल कुछ सफाई कर्मचारियों को स्थायी करने से नहीं होगा, बल्कि उनके जीवन को एक सम्मानजनक और सुरक्षित बनाने के लिए व्यापक नीतिगत बदलावों की आवश्यकता है।

Published by
Prof. Pintu Kumar

दिल्ली में सफाई कर्मचारियों के लिए हालात अभी भी बेहद चुनौतीपूर्ण और असंवेदनशील हैं। मैनुअल स्कैवेंजिंग, जो कि संविधान और कानून के तहत एक मानवाधिकार उल्लंघन है, दिल्ली में लगातार जारी है। यह न केवल एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य समस्या है, बल्कि हमारे समाज की गहरी जातिवादी मानसिकता और असमानता का भी प्रमाण है।

दिल्ली सरकार ने 200 सीवर सफाई मशीनों की शुरुआत की है और कुछ सफाई कर्मचारियों को स्थायी करने का कदम भी उठाया, लेकिन ये प्रयास उस हकीकत को नकारने का प्रयास नहीं कर सकते कि दिल्ली के सफाई कर्मचारी अभी भी बदतर हालात में काम करने के लिए मजबूर हैं। स्थायी सफाई कर्मचारियों को भले ही कुछ सुविधाएं मिलती हों, लेकिन अस्थायी सफाई कर्मचारियों की स्थिति अधिक दयनीय है। वे न केवल कम वेतन पर काम करते हैं, बल्कि शोषण और खतरनाक परिस्थितियों का शिकार भी होते हैं।

दिल्ली सरकार के प्रयासों का सच

21 फरवरी 2022 को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में लगभग 67,000 सफाई कर्मचारी हैं, जिनमें से लगभग आधे स्थायी नहीं हैं। स्थायी और अस्थायी सफाई कर्मचारियों के बीच भेदभाव बहुत बड़ा है। स्थायी कर्मचारियों को अधिक वेतन, बोनस, चिकित्सा सुविधाएं और अवकाश मिलते हैं, जबकि अस्थायी कर्मचारियों को केवल 16,000 रुपये प्रति माह मिलते हैं। इसके अलावा, अस्थायी सफाई कर्मचारी शोषण का शिकार होते हैं और अक्सर उन्हें सीवर में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिसके कारण कई कर्मचारी अपनी जान गंवा देते हैं।

दिल्ली में सफाई के कार्य में मुख्य रूप से वाल्मीकि समुदाय के लोग लगे हुए हैं। प्रोफेसर अदिति नारायणी पासवान ने 4 दिसंबर 2024 को इंडियन एक्सप्रेस में अपनी राय में कहा है कि सीवर कर्मचारियों की मौत हमारे जाति-ग्रस्त समाज का असल प्रतिबिंब और लड़ाई दोनों है, क्योंकि लोग उन्हें इंसान नहीं मानते हैं और इस कारण उनके बारे में सोचा नहीं जाता।

यह स्पष्ट है कि कोई भी स्वेच्छा से सीवर में नहीं उतरेगा। अनुसूचित जाति के लोग अक्सर अपनी जान जोखिम में डालकर सफाई और रखरखाव के लिए सेप्टिक टैंकों और जहरीले सीवरों में उतरने के लिए मजबूर होते हैं, यहां तक कि ऐसे क्षेत्रों में भी जहां सीवेज प्रणाली कार्यशील है। इसके पीछे दो प्रकार के बल कारक कार्य करते हैं- आंतरिक और बाह्य।

आंतरिक कारण: गरीब, अशिक्षित और बेरोजगार अनुसूचित जाति के लोग, जो कुछ पैसे पाने के लिए सीवर सफाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

बाह्य कारण: ठेकेदारों, इंजीनियरों, प्रबंधकों और निवासियों द्वारा इन लोगों का शोषण किया जाता है।

इन दोनों कारकों का संबंध अंततः सरकार से है, क्योंकि यह सरकार ही है जो सीवरों के रखरखाव में सक्षम नहीं है और मैन्युअल या मशीनी सफाई की व्यवस्था करने में विफल रही है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ-

केजरीवाल जी के लंदन-पैरिस के वादों का सच अब जनता खुद देख रही है। सड़कों की हालत खस्ताहाल है, नालियां जाम हैं, सीवर बह रहा है, और पानी की आपूर्ति तक ठीक नहीं है। बुजुर्गों और दिव्यांगजनों की पेंशन तक नहीं बन पाती। गंदगी का हाल ऐसा है कि शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। दूसरी तरफ़ देखिए, दिल्ली के शहंशाह केजरीवाल जी का शीश महल, जहां ऐशो-आराम की हर सुविधा मौजूद है।

दिल्ली की जनता टूटी सड़कों, कूड़े के पहाड़ों, सीवर के पानी और गंदे पीने के पानी के साथ जूझ रही है, और वह कहते हैं कि उन्हें काम नहीं करने दिया गया। पर अपने घर में, COVID के दौरान भी, सारा काम करा लिया। यह है जनता के सेवक का असली चेहरा।”
– राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल

“दिल्ली को कूड़े का ढेर और सड़कों को दलदल बना दिया गया है। चारों तरफ कूड़े के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ लोगों की सांसों में ज़हर घोल रहे हैं। सनातन आस्था से जुड़ी यमुना नदी भी विष बन चुकी है। जिस तरह भगवान ने कालिया नाग के विष का मर्दन किया था, आज दिल्लीवासियों को भी वैसा ही मर्दन एकजुट होकर करना होगा।”
– वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल जी

 

आप सरकार की जिम्मेदारी और सुधार की आवश्यकता

आप सरकार ने सफाई कर्मचारियों के पुनर्वास की दिशा में कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन ये कदम पर्याप्त नहीं हैं। सरकारी रिपोर्ट और आंकड़े यह बताते हैं कि सफाई कर्मचारियों की मृत्यु दर उच्च बनी हुई है, और इन मौतों के बाद सरकार से कोई ठोस न्याय या मुआवजा प्राप्त नहीं होता। इसके अलावा, सीवर की सफाई में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की कमी और तकनीकी अव्यवस्था भी साफ दिखती है। जो 200 मशीनें खरीदी गईं, उनमें से अधिकांश खराब हैं और जो कार्यात्मक हैं, वे भी आवश्यक नहीं हैं।

दिल्ली की आप सरकार की जिम्मेदारी-

दिल्ली सरकार को सीवर सफाई कर्मचारियों के लिए बेहतर वेतन, चिकित्सा सुविधाएं, और पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके लिए सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के साथ साझेदारी की आवश्यकता है।

भविष्य के सुधार की आवश्यकता-

सीवर सफाई और सफाई कर्मचारियों के कल्याण के लिए जरूरी है कि सरकार आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करे, कर्मचारियों के लिए वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था करे और मशीनीकरण को बढ़ावा दे।

दिल्ली सरकार को चाहिए कि वह सफाई कर्मचारियों की स्थिति में सुधार के लिए वास्तविक, ठोस कदम उठाए। यह आवश्यक है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग को पूरी तरह से समाप्त किया जाए और इसे मशीनीकरण के जरिए किया जाए। साथ ही, सफाई कर्मचारियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए उनके पुनर्वास की योजना को लागू किया जाए। यह भी जरूरी है कि उन्हें बेहतर वेतन, चिकित्सा सुविधाएं और जीवनयापन की बेहतर स्थितियां प्रदान की जाएं।

साथ ही, दिल्ली सरकार को सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसे उपकरणों की व्यवस्था करनी चाहिए जो सुरक्षित और प्रभावी हों, ताकि उनकी जान जोखिम में न डाले जाएं। अगर सरकार इस दिशा में गंभीर कदम नहीं उठाती है, तो यह स्थिति न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन करेगी, बल्कि हमारे समाज की नैतिकता पर भी प्रश्नचिह्न लगाएगी।

दिल्ली सरकार को यह समझना होगा कि सफाई कर्मचारियों की स्थिति में सुधार का काम केवल कुछ सफाई कर्मचारियों को स्थायी करने से नहीं होगा, बल्कि उनके जीवन को एक सम्मानजनक और सुरक्षित बनाने के लिए व्यापक नीतिगत बदलावों की आवश्यकता है। अगर दिल्ली को एक सशक्त और प्रगतिशील शहर बनाना है, तो हमें इन श्रमिकों को उनके अधिकार देना होगा, उनके शोषण को खत्म करना होगा, और उन्हें सम्मानपूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान करना होगा।

दिल्ली जल बोर्ड सेप्टिक टैंकों के रखरखाव की देखरेख नहीं करता है तथा केवल नियमित अंतराल पर सीवेज की सफाई की निगरानी करता है। यह मैनुअल स्कैवेंजिंग के प्रति सरकारी प्रयासों की लापरवाही को दर्शाता है। आप सरकार सुरक्षित और अधिक कुशल सीवेज सफाई के लिए अधिक शक्तिशाली मशीनीकरण और आधुनिक जेटिंग उपकरण लाने का प्रयास नहीं कर रही है। पिछले दस वर्षों के शासनकाल में सफाई कर्मचारियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है। राजधानी के 3% से भी कम सफाई कर्मचारियों को कोई लाभ मिला।

आप सरकार को सीवर सफाई के लिए अधिक कल्याणकारी, तकनीकी रूप से उन्नत और स्थानीय रूप से उन्मुख दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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