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Demographic Change: ‘बौद्ध बहुल अरुणाचल आज ईसाई बहुल, ये प्रजनन दर से संभव नहीं’: धर्मान्तरण पर PM की सलाहकार का बयान

देश में डेमोग्राफी चेंज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ शमिका रवि ने कहा कि डेमोग्राफी बदलने के पीछे प्रजनन दर नहीं, बल्कि धर्मान्तरण बड़ा कारण है।

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Kuldeep singh

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ. शमिका रवि ने जनसांख्यकी परिवर्तन के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि प्रजनन दर में गिरावट होने का अर्थ ये कतई नहीं है कि जनसांख्यकीय परिवर्तन नहीं हो रहा है। 2001 तक बुद्धिस्ट बहुल राज्य रहा अरुणाचल प्रदेश 2011 में ईसाई बहुल हो गया। प्रजनन क्षमता से आगे धर्मान्तरण की समस्या है।

क्या है पूरा मामला

समाचार एजेंसी एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश को दिए इंटरव्यू में अर्थशास्त्री शमिका ने प्रजनन दर और जनसाख्यकी के मुद्दे पर बात की। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि जिस प्रकार से डेमोग्राफी बदल रही है, उसके पीछे केवल प्रजनन दर जिम्मेदार नहीं हो सकती। इसका एक बड़ा कारण धर्मान्तरण है। अर्थशास्त्री ने कहा कि विभिन्न धर्मों की प्रजनन दर अलग-अलग है। लेकिन बात केवल मुस्लिमों की जाती है कि उनके प्रजनन दर में गिरावट देखी जा रही है।

ये अंकगणितीय रूप में सच है, लेकिन, इससे जमीनी स्तर पर चीजों में कोई अंतर नहीं पड़ता है। क्योंकि असली चिंता तो एक जिले के अंदर बैठी आबादी के हिस्से की है। उदाहरण के तौर पर पश्चिमी यूरोप के कई देशों में तेजी से अल्पसंख्यकों की संख्या बढ़ी है। लेकिन, ये केवल और केवल प्रजनन दर के कारण संभव नहीं है। धर्मान्तरण इसका एक बड़ा कारण है। भारत भी पश्चिमी लोकतंत्रों की तरह ही है, जहां वास्तव में अल्पसंख्यकों की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। जबकि, हम दुनिया के एकमात्र देश हैं, जहां बहुसंख्यक सिकुड़ रहे हैं और अल्पसंख्यक बढ़ रहे हैं।

अरुणाचल समेत कई राज्यों का उदाहरण

डॉ शमिका रवि धर्मान्तरण और जनसांख्यकी परिवर्तन का उदाहरण देते हुए कहती हैं कि देश में जिस प्रकार से जनसांख्यकी परिवर्तन हो रहा है, वो प्रजनन क्षमता के आधार पर कायम नहीं रह सकती है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के मुताबिक, प्रजनन क्षमता एकमात्र कारक है, लेकिन धर्मान्तरण उससे आगे है। 2001 तक बौद्ध बहुल आबादी वाला राज्य रहा अरुणाचल प्रदेश 2011 में ईसाई बहुल हो गया। इसी तरह से पश्चिम बंगाल, असम, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में धर्मान्तरण बड़ा मुद्दा है।

पिछले वर्ष मई में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC) ने एक रिसर्च पेपर जारी किया था, जिसके अनुसार 1950 से 2015 के बीच देश में हिन्दुओं की आबादी में 7.82 प्रतिशत की कमी आई, जबकि इसी अवधि के दौरान मुसलमानों की जनसंख्या में 43.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

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