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शिमला: गुड़िया हत्याकांड के आरोपी की पुलिस हिरासत में मौत मामले में आईजी और डीएसपी सहित 8 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद

हिमाचल प्रदेश में 16 वर्षीय छात्रा के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। छात्रा का शव कोटखाई के तांदी जंगल में निर्वस्त्र हालत में मिला था।

by WEB DESK
Jan 27, 2025, 06:51 pm IST
in हिमाचल प्रदेश
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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Shimla Gudiya murder case : (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में बहुचर्चित कोटखाई गुड़िया हत्या और दुष्कर्म मामले से जुड़े लॉकअप सूरज हत्या केस में केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई की चंडीगढ़ स्थित विशेष अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाया। अदालत ने हिमाचल पुलिस के आईजी व आईपीएस अधिकारी जहूर हैदर जैदी, एचपीएस अधिकारी व डीएसपी मनोज जोशी सहित आठ पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा दी। इन्हें एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला पुलिस हिरासत में नेपाली नागरिक सूरज की मौत के मामले में सुनाया गया। अदालत का ये फैसला हिरासत में मौत की घटना के करीब सात साल बाद आया है।

दोषियों में जैदी और जोशी के साथ कोटखाई थाने के तत्कालीन एसएचओ रजिंदर सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, हेड कांस्टेबल मोहन लाल, सूरत सिंह, रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रंजीत स्टेटा शामिल हैं। इन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), 302 (हत्या), 338, 348, 195, 196, 218 और 201 (सुबूत नष्ट करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

सीबीआई कोर्ट ने बीते 18 जनवरी को इन सभी को दोषी करार दिया था। अदालत ने गवाहों के बयान, सबूतों और सभी पक्षों की दलीलों के आधार पर यह निर्णय लिया। वहीं शिमला के तत्कालीन एसपी डी. डब्ल्यू. नेगी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। इसके बाद सभी दोषियों को हिरासत में लेकर चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल भेज दिया गया।

यह मामला 16 वर्षीय छात्रा के साथ 4 जुलाई 2017 को हुए दुष्कर्म और हत्या के बाद शुरू हुआ। छात्रा का शव कोटखाई के तांदी जंगल में निर्वस्त्र हालत में मिला था। इस केस की जांच के लिए तत्कालीन आईजी जहूर हैदर जैदी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की गई थी। एसआईटी ने सात लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें एक नेपाली नागरिक सूरज भी शामिल था।

सूरज की 18 जुलाई 2017 को कोटखाई थाने की हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य सबूतों से खुलासा हुआ कि सूरज की मौत पुलिस की बर्बरता के कारण हुई। इस पर राज्य सरकार और पुलिस की भी तीखी आलोचना हुई।

सीबीआई ने संभाली जांच

हाई कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने पाया कि सूरज की हत्या पुलिस हिरासत में हुई और इसके लिए पुलिसकर्मियों ने षड्यंत्र रचा। इसके बाद अगस्त 2017 में सीबीआई ने जैदी, जोशी और अन्य पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया। जांच और सुनवाई के दौरान जैदी पर गवाहों को धमकाने के भी आरोप लगे। इससे उनकी जमानत भी रद्द कर दी गई थी।

582 दिन जेल में रहे आईजी जैदी

आईपीएस एच जहूर जैदी को गिरफ्तार कर शिमला के कंडा जेल में रखा गया। वह 582 दिन तक जेल में रहे और अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर रिहा हुए। हालांकि ट्रायल उनके खिलाफ जारी रहा।

जैदी को अगस्त 2017 में निलंबित कर दिया गया था। लेकिन नवंबर 2019 में उन्हें बहाल कर दिया गया। 2020 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने जैदी को दोबारा निलंबित किया। जनवरी 2023 में कांग्रेस सरकार ने जैदी की सेवाएं बहाल कर दीं। सितंबर 2023 में उन्हें पुलिस विभाग में तैनाती भी दे दी गई थी।

मुख्य आरोपित को भी मिल चुकी है उम्र कैद

गुड़िया हत्याकांड के मुख्य आरोपित अनिल उर्फ नीलू को भी उम्र कैद की सजा मिल चुकी है। मामले में सत्र एवं जिला न्यायाधीश शिमला राजीव भारद्वाज की विशेष अदालत ने 18 जून 2021 को दोषी करार अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ कमलेश को नाबालिग से दुष्कर्म और हत्या की धाराओं के तहत आजीवन आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अप्रैल 2018 में सीबीआई ने चिरानी नीलू को गिरफ्तार किया था। 28 अप्रैल 2021 को शिमला की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया था।

Topics: हिमाचल प्रदेश समाचारशिमला गुड़िया हत्याकांडगुड़िया दुष्कर्म और हत्याकांडआईजी और डीएसपी को उम्रकैदपुलिसकर्मियों को उम्रकैद
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