मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने UCC (Uniform Civil Code) लागू करते हुए स्पष्ट कहा कि लिव इन रिलेशन का इसमें पंजीकरण के पीछे एक मात्र उद्देश्य लड़कियों की महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षण है। लिव इन रिलेशन से पैदा हुई संतान को जैविक संतान मानते हुए उसे संपूर्ण अधिकार दिए जाएंगे।
अपने संबोधन में CM धामी ने लिव इन रिलेशन में 2022 में हुए श्रद्धा बालकर और आफताब मामले का उल्लेख किया कि कैसे एक 300 लीटर के फ्रिज में श्रद्धा के टुकड़े टुकड़े काट कर रख दिए थे। उन्होंने कहा कि अब कोई आफताब या श्रद्धा जैसी लड़की की हत्या न करे, इसलिए उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है और युगल के माता-पिता को इसकी सूचना दी जाएगी।इसमें सरकार का किसी की निजता खत्म करने का इरादा नहीं है, हम सिर्फ लड़कियों की सुरक्षा और संरक्षण करने जा रहे हैं।
CM धामी ने कहा UCC किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है,सबको एक समान अधिकार मिल रहा है। निकाह,आनंद कारज,सात फेरे पहले की तरह ही होंगे लेकिन विवाह की उम्र 21 साल लड़कों की और लड़कियों की 18 साल अनिवार्य कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि विवाह विच्छेद में अब एक समान नियम और कानून होंगे। यानि तीन तलाक व्यवस्था यहां भी लागू नहीं है। जो भारत सरकार ने संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन किया था वहीं UCC में भी है। एक रिश्ते में दूसरे विवाह को प्रतिबंधित किया गया है। बेटे के समान बेटी को भी संपत्ति में बराबर के हक मिलेगा। अब बच्चों में कोई भेदभाव नहीं रहेगा। मृतक के माता पिता को भी उनकी संपत्ति में हिस्सा मिलेगा ताकि उनका भविष्य भी सुरक्षित रह सके।
सीएम धामी ने कहा कि UCC,मुस्लिम देशों में पहले से लागू है,अन्य देशों में भी ये समानता अधिकार की व्यवस्था लागू है, भारत में भी इसे लागू करने की बात संविधान निर्माताओं ने कही ,फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी कही। UCC जनसंघ से लेकर बीजेपी के हर संकल्प पत्र का हिस्सा थी, जिसे पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में आज पूरा कर लिया गया।
टिप्पणियाँ