महाकुंभ, एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक मेला, जो हर बार 144 वर्षों में होने वाले खगोलीय संयोग से हो रहा है, दुनिया भर के श्रद्धालुओं और आगंतुकों के लिए एक अद्वितीय अनुभव बन चुका है। इस साल के महाकुंभ के दौरान,लंदन से आए न्यूरो साइंटिस्ट डॉक्टर इतिएल ड्रॉर ने अपने अनुभव साझा किए, तो उन्होंने न सिर्फ भारतीय संस्कृति और महाकुंभ के आयोजन की सराहना की, बल्कि भारत और भारतीयों के प्रति अपनी गहरी भावनाओं को भी व्यक्त किया।
डॉक्टर ड्रॉर, जो 60-70 से अधिक देशों का दौरा कर चुके हैं, उन्होंने भारत के बारे में जो बातें कहीं, वे न सिर्फ हमारे देश के प्रति उनकी गहरी समझ और सम्मान को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रभाव आज भी पूरी दुनिया में है। उन्होंने सबसे पहले भारत की चाय को लेकर अपनी खुशी जाहिर की। चाय के बारे में उनका कहना था कि भारत की चाय सबसे बेहतरीन है।
महाकुंभ के बारे में बात करते हुए, डॉक्टर ड्रॉर ने कहा कि यह आयोजन अतुल्य और अनोखा है। उनका मानना था कि महाकुंभ में शामिल होने का अनुभव अद्वितीय है, क्योंकि यह सिर्फ एक धार्मिक मेला नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा है। यहाँ के युवा अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े हुए हैं और उनके अंदर एक अनोखी ऊर्जा का संचार है, जो इस आयोजन को और भी खास बनाता है।
उन्होंने ब्रिटिश काल के दौरान भारतीयों को हुए शोषण का भी उल्लेख किया। डॉक्टर ड्रॉर ने बताया कि कैसे ब्रिटिश शासन ने भारतीयों को पीड़ा दी और यहाँ की संपत्ति और संसाधनों को अपने देश भेजने के लिए ट्रेनें बनाई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ के बारे में डॉक्टर ड्रॉर ने कहा कि वह इनके बारे में ज्यादा नहीं जानते, लेकिन महाकुंभ के आयोजन को देखकर उन्हें यह महसूस हुआ कि भारत में कुछ खास है। उनकी बातें न सिर्फ भारतीयों के लिए गर्व का कारण हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि भारत की सांस्कृतिक पहचान और परंपराएँ आज भी पूरी दुनिया में एक विशेष स्थान रखती हैं।
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