इन दिनों युवाओं में छोटी-छोटी बातों में तकरार और फिर बात अलगाव तक पहुंचना एक सामान्य सी बात हो गई है। युवा कथित आधुनिकता और स्वतंत्रता की इस दौड़ में कुछ इस कदर अंधे हो गए हैं कि उन्हें पारिवारिक मूल्यों का ख्याल ही नहीं रहा। इसका नजारा उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में देखने को मिल रहा है, जहां की फैमिली कोर्ट में इस वक्त 14,000 से भी अधिक तलाक की अर्जियां लग चुकी हैं।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, छोटी-छोटी बातों पर युवा अपने दांपत्य जीवन को छोड़कर अलगाव की राह चुन रहे हैं। कहीं घूमने को लेकर विवाद के बाद पति-पत्नी ने तलाक की अर्जी फाइल कर दी। कोई अपने साथ बुजुर्ग माता-पिता को नहीं रखना चाहता है और इस कारण वो तलाक लेना चाह रहे हैं। लोगों के अंदर का अहम भाव इस कदर बढ़ गया है कि वो एक-दूसरे को समझने की कोशिशें ही नहीं करते हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि केवल गाजियाबाद शहर की फैमिली कोर्ट में ही 14,800 तलाक के मामले विचाराधीन चल रहे हैं, जिन पर कोर्ट को अभी फैसला देना है। इसमें दहेज उत्पीड़न, तलाक, आपसी सहमति से तलाक और भरण पोषण तक की याचिकाएं लगी हुई हैं। हालात ये हो गए हैं कि इन मामलों के निस्तारण के लिए गाजियाबाद शहर में ही 6 अलग से पारिवाद न्यायालय को गठित करना पड़ गया है। लेकिन फिर भी तलाक के मामले हैं कि थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।
तलाक की भी है प्रक्रिया
गौरतलब है कि इन केसों के बढ़ने का एक कारण ये भी है कि तलाक लेने की एक अलग ही प्रक्रिया है। अगर कोई दंपत्ति तलाक के लिए आवेदन करता है तो पहले उसे कोर्ट समझाता है और सुलह करने के लिए कहता है। लेकिन अगर बात नहीं बनती है तो फिर कोर्ट इन्हें 6 माह का वक्त देता है कि शायद इस दरमियां इनकी सोच बदल जाए। लेकिन, जब हालात वैसे ही बने रहते हैं तो उन्हें कानूनी तौर पर तलाक दिलवा दिया जाता है।
इसके अलावा तलाक लेने के लिए ये आवश्यक है कि तलाक के लिए आवेदन करने वाले दंपत्ति एक साल से अधिक वक्त से साथ रह रहे हों।
क्यों बढ़ रही तलाक की घटनाएं
तलाक की घटनाओं के पीछे कई सारे कारण माने जाते हैं-
- अहंकार
- एक-दूसरे के साथ संवाद में कमी
- कमाई के बीच अंतर
- घरेलू हिंसा
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