‘जिस तरह से दिल्ली सरकार CAG की रिपोर्ट को जारी करने से अपने कदमों को पीछे खींच रही है, इससे उसकी नीयत पर शक होता है।’ दिल्ली हाई कोर्ट ने ये टिप्पणी आतिशी मार्लेना की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार पर 13 जनवरी को की थी। अब आज (24 जनवरी, शुक्रवार) को हाई कोर्ट सीएजी की रिपोर्ट जारी करने के मामले में अपना फैसला सुनाएगा। इससे पहले 16 जनवरी को कोर्ट ने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था।
दरअसल, ये मामला दिल्ली सीएजी की रिपोर्ट से जुड़ा है। दिल्ली नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की 14 पन्नों की रिपोर्ट में मुख्यमंत्री के बंगले को बनाने में करोड़ों के खर्च और शराब नीति से सरकारी खजाने को 2000 करोड़ रुपए से अधिक की चपत लगने का खुलासा किया गया है। नियमानुसार दिल्ली सरकार को इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाना था और उस पर चर्चा होनी थी, लेकिन केजरीवाल सरकार ने ऐसा नहीं किया।
हुआ ये कि सीएजी की दो रिपोर्ट अब तक लीक हो चुकी है। इसी मामले पर सुनवाई करते हुए 13 जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता की पीठ ने दिल्ली सरकार पर कई सारे सवाल दागे। जस्टिस दत्ता की पीठ ने आम आदमी पार्टी सरकार को जोर देकर कहा था कि आपको सीएजी की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश कर इस चर्चा करवानी थी, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया। जिस तरह से आपने चर्चा से बचने की कोशिश की है, ये आपकी ईमानदारी पर शक पैदा करता है। आपने जानबूझकर इस रिपोर्ट को उपराज्यपाल के पास भेजने में देरी की।
इससे पहले इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार, स्पीकर के साथ ही सभी पक्षों से जबाव तलब किया था। इस पर दिल्ली सरकार का कहना था कि उन्होंने स्पीकर को ये रिपोर्ट सौंप दी थी। उल्लेखनीय है कि सीएजी रिपोर्ट पर चर्चा नहीं होने को लेकर भाजपा के 7 विधायकों ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। दावा है कि दर्जन भर से अधिक सीएजी रिपोर्ट राज्य विधानसभा में लंबे वक्त से लंबित हैं।
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