चंडीगढ़ । विश्व के कई देशों तक अपनी पहचान बना चुके सेल्फी विद डॉटर अभियान के पीछे की कहानी बेहद अनूठी है। इस ग्लोबल कैंपेन के जन्मदाता हैं जींद जिले के गांव बीबीपुर के पूर्व सरपंच सुनील जागलान हैं। सुनील जागलान ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके अभियानों से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश में न केवल नौ बार उनके नाम का जिक्र कर चुके हैं, बल्कि केंद्र व राज्य सरकारों ने जागलान द्वारा छोटे स्तर पर आरंभ किए गए करीब एक दर्जन से ज्यादा अभियानों को अपनी मुहिम, योजना तथा मिशन बनाकर जनता में पेश किया है।
सुनील जागलान दो बेटियों के पिता हैं। वह कहते हैं, देखिये…मैं बदल गया। जब दूसरे पुरुषों को अहसास होगा तो वह भी बदल जाएंगे। शुक्रवार को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय बालिका दिवस की पूर्व संध्या पर सुनील जागलान ने बताया कि 24 जनवरी 2012 की बात है। अस्पताल में उनकी बेटी का जन्म हुआ तो अस्पताल की एक नर्स के चेहरे भाव बड़े अजीबो-गरीब थे। अस्पताल से छुट्टी के समय उन्होंने जब नर्स को मिठाई बांटने के लिए दो हजार रुपये दिए तो नर्स ने यह कहते हुए लेने से इनकार कर दिया कि अगर बेटा होता तो हम यह ले सकते थे। आप केवल 100 रुपए ही दे दीजिए।
इस घटनाक्रम के बाद सुनील जागलान ने समाज की बेटियों के प्रति सोच बदलने तथा उन्हें गौरव दिलाने की दिशा में कई प्रयास किए, जो बेहद सफल हुए हैं। उनकी बेटी का नाम नंदिनी है। जागलान बताते हैं कि सबसे पहले मैं गांव के के स्वास्थ्य केंद्र पर गया। वहां रजिस्टर में चेक किया तो पता चला कि बीबीपुर का लिंगानुपात बहुत खऱाब है। फिर देश की पहली महिला ग्राम सभा की, जिसमें पता चला कि कोख में लडक़े की चाह में कन्या भ्रूण हत्याएं होती हैं। फिर बेटी बचाओ अभियान को जन आंदोलन के रूप में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। गांव में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए खाप पंचायत की, जिसमें इतिहास में पहली बार महिलाओं ने भाग लिया। इसके बाद खाप पंचायतों के समानांतर लाडो पंचायत का आयोजन किया गया। भारतीय संसद द्वारा भी लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने के संबंध में विचार रखने के लिए लाडो पंचायत को आमंत्रित किया गया।
महिला ग्राम सभाओं के माध्यम से जहां देशभर में यह अभियान चलाया वहीं बीबीपुर को देश की पहली महिला हितेषी ग्राम पंचायत भी सुनील जागलान ने बनाया। अब देशभर के सैकड़ों गांवों को इस अभियान के साथ जोड़ा जा रहा है। नौ जून 2015 को जब नंदिनी मोबाइल के कैमरे से सेल्फी ले रही थी तो सेल्फी विद डॉटर का आइडिया दिमाग में आया। सुनील जागलान ने बेटी नंदिनी के साथ इंटरनेट मीडिया पर सेल्फी अपलोड की तो वह खूब वायरल हुई, जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे देखकर जन आंदोलन बनाने के लिए प्रेरित हुए। आज यह अभियान बड़ा अभियान बन चुका है। 6 जुलाई 2015 को घर के बाहर सुनील जागलान सरपंच व पिता मास्टर ओमप्रकाश जागलान का नाम हटाकर बेटी नंदिनी के नाम की प्लेट लगाई गई। दस साल के भीतर करीब 50 हजार नेम प्लेट ऐसी लग चुकी हैं। विभिन्न राज्य सरकारों ने इस अभियान को आत्मसात किया है।
सुनील जागलान कहते हैं कि मैं भी वहीं आम पुरूष हूं, जो पितृसत्ता देखते व महसूस करते हुए बड़ा हुआ था। मैं भी कभी नहीं बदलता, अगर नंदिनी मेरी जिंदगी में विभिन्न तरह के अहसास के साथ नहीं आई होती। वह पैदा हुई तो कन्या भ्रूण हत्या को रोकने का अहसास पैदा हुआ। सेल्फी विद डाटर का अभियान अब भारत समेत 70 देशों में फैल चुका है। यह सब कोई जादू नहीं है। बतौर जागलान मुझे अहसास हुआ तो मैं बदल गया, जिस दिन दूसरे पुरूषों को अहसास होगा तो वह बदल जाएंगे।
पिता की मुहिम को आगे बढ़ा रही बेटी
सुनील जागलन ने पितृ सत्ता में बेटियों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए अब तक 75 अभियान चलाए हैं वहीं इन अभियानों के रूप में सुनील की सत्ता में उनकी बेटी नंदिनी भी अब भागीदार बन गई हैं। जागलान ने अपने इस सफर के दौरान गाली बंद घर, पीरियड चार्ट, मैनोपॉज क्लॉसेज फॉर मैन जैसे अभियान शुरू किए वहीं उनकी बेटी नंदिनी अब अपने स्तर पर गाली मुक्त स्कूल व फस्र्ट पिरियड स्माइल जैसे अभियान चलाकर अपनी हम उम्र लड़कियों के लिए प्रेरणा बन रही हैं।
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