दिल्ली

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 : 1993 के जनता दल की राह पर कांग्रेस पार्टी

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन 'करो या मरो' की स्थिति में है। आम आदमी पार्टी के बढ़ते प्रभाव ने कांग्रेस को नई चुनौती दी है। जानें कांग्रेस की रणनीति और इसके राजनीतिक प्रभाव।

Published by
अभय कुमार

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी करो या मरो की लड़ाई लड़ रही है। कांग्रेस पार्टी पिछले दो विधानसभा चुनाव और तीन लोकसभा चुनाव में शून्य से आगे नहीं बढ़ पा रही है। कांग्रेस पार्टी को दिल्ली के इस बुरे प्रदर्शन का खामियाजा सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, वरन् देश के अन्य भागों में भी उठाना पड़ रहा है। दिल्ली में कांग्रेस पार्टी की हार का असल जिम्मेदार अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी है।

लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी का दिल्ली पर राजनीतिक वर्चस्व था, मगर वर्तमान में कांग्रेस पार्टी दिल्ली में अपनी स्थिति 1993 के जनता दल पार्टी की स्थिति में पहुंच रही है। 1993 में जनता दल ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी और तीन सीटों पर दूसरे पायदान पर रही थी। जनता दल को 1993 के विधानसभा चुनाव में 12.65 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। जनता दल ने 1993 विधानसभा चुनाव में सीलमपुर, ओखला, मटिया महल और बदरपुर की सीट जीती थी। इन सभी सीटों में तीन सीटें मुस्लिम बहुल सीटें थीं, जबकि बदरपुर सीट पर मुस्लिमों की अच्छी संख्या है। 1993 में जनता दल बवाना, सुल्तानपुर माजरा और पटपड़गंज सीटों पर दूसरे पायदान पर रही थी। ये सभी सुरक्षित सीटें थीं। कांग्रेस पार्टी का पूरा ध्येय वर्तमान विधानसभा चुनाव में सिर्फ मुस्लिम बहुल और कुछ सुरक्षित सीटों पर आकर टिक गया है।

कांग्रेस पार्टी अपने को आम आदमी पार्टी के दिल्ली में उम्दा प्रदर्शन के आधार पर गुजरात और कई अन्य राज्यों में कमजोर कर रही है। कांग्रेस पार्टी को इस बात का पूरा ज्ञान है कि अगर आम आदमी पार्टी इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में उम्दा प्रदर्शन करने में सफल हो जाती है तो आने वाले समय में गुजरात की तरह आम आदमी पार्टी कांग्रेस पार्टी को अन्य कई राज्यों में कांग्रेस पार्टी के जनाधार का खंडन कर उसे और भी कमजोर करेगी। जिन राज्यों पर आप ने कांग्रेस को कमजोर करने की नीयत बना रखी है, वे राज्य हैं राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कुछ अन्य। आप ने अपने विस्तार के लिए उन राज्यों का चयन किया, जहाँ सीधा मुकाबला कांग्रेस पार्टी और भाजपा के बीच होता है। इसी कड़ी में केजरीवाल ने अपनी शुरुआत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से की और उसमें केजरीवाल सफल भी हुए।

कांग्रेस पार्टी के मुस्लिम मतदाताओं की उम्मीद का सबसे बड़ा कारण 2024 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं के एक बड़े वर्ग का कांग्रेस पार्टी को मत देना है। कांग्रेस पार्टी के रकीबुल हुसैन ने असम के धुबड़ी लोकसभा सीट पर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के सर्वेसर्वा और असम के सबसे बड़े मुस्लिम वर्ग के नेता बदरुद्दीन अजमल को पूरे देश में सबसे अधिक 10 लाख से भी अधिक मतों से हराया है। साथ ही ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट असम में लोकसभा चुनाव में एक भी विधानसभा सीट पर वोटों के मामले में सबसे आगे नहीं रही, जबकि इस पार्टी के विधानसभा में 15 विधायक हैं। असम और कुछ अन्य राज्यों में मुस्लिम वर्ग का कांग्रेस पार्टी के प्रति अपना रुख करना कांग्रेस को विश्वास अवश्य दे रहा है।

Share
Leave a Comment