महाकुंभनगर, (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा कृष्ण गोपाल ने मंगलवार को सेक्टर 17 में आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए कहा कि महाकुंभ सारे विश्व को अध्यात्म का संदेश देगा। विश्व के लिए यह आदर्श कुम्भ है। इस समय पूरा हिन्दुस्तान महाकुंभ क्षेत्र में बिखरा पड़ा है। प्रयाग की पावन धरती सम्पूर्ण हिन्दुओं को एक सूत्र में गूंथने का काम कर रही है। कुंभ से एकता, समता, समानता व समरसता का संदेश देने के साथ ही समाज से भेदभाव को समाप्त करने का संकल्प लें।
उन्होंने कहा कि सारे देश को एकता के सूत्र में बांधने का सामार्थ्य कुंभ रखता है। भारत ऐसा देश है जिसने नदी को मां माना। गंगा की धारा में अमीर गरीब सब लोग स्नान करते हैं। विषमता को दूर करने का सामार्थ्य गंगा का किनारा रखता है। हजारों वर्षों से प्रयाग का क्षेत्र सम्पूर्ण विश्व के हिन्दू समाज को एकत्रित करता है। अपना समाज और अधिक आध्यात्मिक भावनाओं को लेकर आता है।
डा.कृष्ण गोपाल ने कहा कि मुगलकाल में हमारी व्यवस्थाएं बिगड़ गयीं। तीर्थयात्रा के लिए टैक्स देना पड़ता था। हमारे मठ मंदिर नष्ट किये गये। हिन्दू समाज सिकुड़ गया। ऐसे समय में सामाजिक एकता भी संकट में आ गयी। इस कारण नाना प्रकार के भेदभाव व कुरीतियां समाज में आ गयीं। समाज के बीच दूरियां बढ़ गयीं। इस महाकुंभ में गंगा की पवित्र धारा में स्नान कर समाज की कुरीतियों को दूर कर सारे विश्व को अध्यात्म का संदेश दें।
सामाजिक समरसता गतिविधि के अखिल भारतीय संयोजक श्याम प्रसाद ने कहा कि विषमता को दूर करने के लिए सामाजिक समरसता आवश्यक है। उन्होंने संतों से निवेदन किया कि आपके पास ज्ञान है, साधना है। संतों के द्वारा समाज में आवश्यक परिवर्तन लाया जा सकता है।
विहिप के केन्द्रीय मंत्री देवजी भाई रावत ने कहा कि अनुसूचित जाति के बंधुओं को षड़यंत्र के तहत धर्म से विमुख करने का प्रयास हो रहा है। आर्थिक विषमता के कारण धर्मान्तरण बढ़ रहा है।
इस अवसर पर सामाजिक समरसता गतिविधि के सह संयोजक रवीन्द्र किरकोले जी, विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री देवजी भाई रावत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रान्त प्रचारक रमेश, अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य शिवनारायण, क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष, सामाजिक समरसता गतिविधि के क्षेत्र संयोजक नरेन्द्र सिंह, प्रान्त प्रचार प्रमुख डा.मुरार त्रिपाठी व अवध प्रान्त के सामाजिक समरसता प्रमुख राजकिशोर प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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