चेन्नई, 21 जनवरी (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि गौमूत्र को लेकर दिए अपने बयान का बचाव किया है। उन्होंने साफ किया है कि गोमूत्र के लाभों को लेकर कही गई उनकी बातें वैज्ञानिक शोधों पर आधारित हैं। उन्होंने अपने बयान पर कायम रहते हुए कहा कि वह खुद पंचगव्य का सेवन करते हैं जो कि एक आयुर्वेदिक मिश्रण है और इस मिश्रण में गाय का मूत्र, गोबर, दूध, घी और दही शामिल है।
कुछ दिन पहले, चेन्नई में एक गौ संरक्षण शाला कार्यक्रम में एक संन्यासी का किस्सा सुनाया था, जो कथित तौर पर गोमूत्र पीने के बाद तेज बुखार से ठीक हो गए थे। उन्होंने गोमूत्र के औषधीय महत्व का जिक्र किया था। बाद में उनके बयान का वीडियो वायरल होने के बाद कुछ वर्गों ने इसकी कड़ी आलोचना की थी।
पांच शोधपत्र का किया उल्लेख
उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि पांच शोधपत्र हैं जो गोमूत्र में मौजूद “एंटी फंगल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी इंफ्लेमेटरी” गुणों की पुष्टि करते हैं। उन्होंने जिन पांच शोधपत्रों का हवाला दिया उनमें से एक शोधपत्र सुप्रसिद्ध विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित हो चुका है। उन्होंने कहा कि नेचर मैं प्रकाशित पेपर में कहा गया है कि गौमूत्र से निकाले गए पेप्टाइड्स-अमीनो एसिड की एक छोटी श्रृंखला में रोगाणुरोधी गतिविधि के सबूत मिले हैं, जिसमें खासकर ई. कोली बैक्टीरिया और स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया को नष्ट करने की क्षमता पाई गई। शोधपत्र में यह भी कहा गया है कि इस प्रयोग में अध्ययन में सूजनरोधी, उच्च रक्तचापरोधी और कैंसररोधी क्षमता को प्रमाणित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। अन्य शोध पत्रों में मुख्य रूप से गौमूत्र के लाभों पर शोध का हवाला दिया गया है।
अमेरिकी पेटेंट किया शेयर
वी. कामकोटि ने एक अमेरिकी पेटेंट को भी साझा कियाए जिसमें औषधीय संरचना विकसित करने के लिए औषधीय रूप से स्वीकार्य योजकों के साथ गौमूत्र से जैवसक्रिय अर्क की ‘प्रभावी मात्रा’ का उपयोग किया गया था।
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