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अपनी सरहद पर बंदूकों की गरज सुन चौंक गया चीन, कराई म्यांमार सेना और विद्रोहियों में युद्धबंदी

चीन नहीं चाहता था कि सैन्य सत्ता का विरोध कर रहे विद्रोही ज्यादा ताकतवर होते जाएं और उसके और बड़े इलाके को कब्जा लें

by Alok Goswami
Jan 21, 2025, 06:08 pm IST
in विश्व, विश्लेषण
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चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि म्यांमार की सेना तथा विद्रोही संगठनों में से एक म्यांमार राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन सेना में युद्ध विराम का एक औपचारिक समझौता हुआ है। इस संधि की वजह से चीन-म्यांमार सीमा के निकट युद्ध रुक गया है। दोनों ओर के प्रतिनिधियों ने चीन के दक्षिण-पश्चिमी शहर कुनमिंग में इस बारे में चर्चा की थी। दोनों पक्षों ने शांति प्रयासों के लिए बीजिंग का शुक्रिया अदा किया है।


म्यांमार में सैन्य सत्ता और विद्रोहियों में लंबे समय से संघर्ष जारी है। दोनों ओर से रह—रहकर मोर्चा मार लेने की घोषणाएं की जाती हैं लेकिन युद्ध कहीं थमता नहीं दिख रहा। यह संघर्ष बढ़ते हुए चीन से सटी म्यांमार की सीमा तक जा पहुंचा है। लेकिन अपनी धरती पर युद्ध की छाया और धरती का हिस्सा हाथ से जाने की संभावना से चीन के नीतिकार सतर्क हो गए। युद्ध को रोकने की कोशिश की गई और अंतत: एक विद्रोही संगठन के साथ सेना का समझौता कराकर बंदूकें शांत कर दीं। लेकिन इससे बाकी जगहों पर जारी संघर्ष के थमने के आसार नहीं दिख रहे हैं।

म्यांमार में ताजा समझौते को चीन अपनी एक बड़ी उपलब्धि मान रहा है कि तो इसमें आश्चर्य कैसा। इसे वह अपनी कामयाबी के तौर पर प्रचारित कर रहा है। चीन ने म्यांमारी सेना और म्यांमार के सेना पर हमलावर विद्रोही गुटों में से एक म्यांमार राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन सेना के बीच कुछ वक्त के लिए सुलह कराई है। अब म्यांमार-चीन सीमा पर चल रहा संघर्ष थम जाएगा और चीन की सीमा पर पैदा हुआ खतरा टल जाएगा।

इसके बारे में चीन के विदेश मंत्रालय ने खास बयान जारी किया। इसमें बीजिंग ने कहा है कि म्यांमार की सेना तथा विद्रोही संगठनों में से एक म्यांमार राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन सेना में युद्ध विराम का एक औपचारिक समझौता हुआ है। इस संधि की वजह से चीन-म्यांमार सीमा के निकट युद्ध रुक गया है। विदेश विभाग की प्रवक्ता का कहना है कि दोनों ओर के प्रतिनिधियों ने चीन के दक्षिण-पश्चिमी शहर कुनमिंग में इस बारे में चर्चा की थी। दोनों पक्षों ने शांति प्रयासों के लिए बीजिंग का शुक्रिया अदा किया है।

म्यांमार सेनाध्यक्ष मिन आंग

जैसा पहले बताया, इस संधि से म्यांमार में शांति नहीं आ जाएगी। लेकिन हां, चीन—म्यांमार सीमा पर कुछ शांति अनुभव होगी। भारत के पड़ोसी म्यांमार में अशांति का असर भारत पर भी परोक्ष रूप से पड़ता ही है। इसलिए भारत की कोशिश है कि पूरे म्यांमार में शांति कायम हो जिसके लिए दोनों पक्ष आपस में बात करके मुद्दे सुलझाएं।

चीन की प्रवक्ता ने संतोष जताया कि म्यांमार के उत्तर में स्थिति शांत हुई है। हालांकि इसे उसने म्यांमार के सभी पक्षों और इलाके के सभी देशों के हित में बताया है। उसने कहा कि चीन शांति और संवाद को और आगे ले जाने के प्रयास करता रहने वाला है।

म्यांमार राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन सेना म्यांमार के अनेक जातीय अल्पसंख्यक सशस्त्र गुटों में से एक है। यह सेना को सत्ता से हटाने का युद्ध लड़ रहा है। वे नहीं चाहते कि सेना ‘उनके क्षेत्र’ में आए। तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी और अराकान आर्मी के मुख्य गुट ‘ब्रदरहुड एलायंस’ ने अक्तूबर 2023 के अंत से ही सैन्य सत्ता के विरुद्ध हिंसक अभियान छेड़ा हुआ है। इस गुट ने चीनी सीमा से सटे एक बड़े इलाके को अपने कब्जे में ले लिया है।

जानकार कहते हैं कि चीन इसी कब्जे से चिंतित था। वह नहीं चाहता था कि सैन्य सत्ता का विरोध कर रहे विद्रोही ज्यादा ताकतवर होते जाएं और उसके और बड़े इलाके को कब्जा लें। इसलिए दोनों पक्षों में सुलह कराकर चीन ने एक प्रकार से अपनी मुसीबत दूर की है। लेकिन यह मुसीबत कितने दिन तक बीजिंग को नहीं सताएगी, इस बारे में कुछ ठोस नहीं कहा जा सकता।

Topics: beijingbordermyanmarceasefireChinaविद्रोहीarmy juntamillitant groupsचीनम्यांमार
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