मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश: वक्फ बोर्ड ने मनमाने तरीके से रीवा में मुस्लिम व्यक्ति की जमीन पर ठोंका दावा, हाई कोर्ट ने लगाई रोक

मोहम्मद अली ने बताया कि 100 साल पहले रीवा के अमहिया में उनके दादा ने अपने पूर्वज अब्दुल मन्नान हाजी सैयद जहूर अली की मजार की मजार बनाई थी। उस जमीन को उन्होंने कभी भी वक्फ बोर्ड को दान नहीं किया था।

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Kuldeep singh

वक्फ बोर्ड है कि अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह उन संपत्तियों पर भी अपना दावा कर रहा है, जो उसकी हैं ही नहीं। ताजा मामला मध्य प्रदेश के रीवा जिले का है, जहां मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के मंसूबों को बड़ा झटका देते हुए एक मुस्लिम व्यक्ति की जमीन पर कब्जा करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।

क्या है पूरा मामला

मामला कुछ यूं है कि रीवा जिले के अमहिया में मुस्लिम व्यक्ति हाजी मोहम्मद अली नाम के व्यक्ति रहते हैं। उनकी जमीन को वक्फ बोर्ड ने क्लेम कर लिया और उसे अपने राजपत्र में शामिल कर लिया। मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड की इस हरकत पर हाजी मोहम्मद अली ने बताया कि 100 साल पहले रीवा के अमहिया में उनके दादा ने अपने पूर्वज अब्दुल मन्नान हाजी सैयद जहूर अली की मजार की मजार बनाई थी। उस जमीन को उन्होंने कभी भी वक्फ बोर्ड को दान नहीं किया था।

बावजूद इसके वक्फ बोर्ड ने जबरदस्ती उस जमीन को वक्फ बोर्ड के राजपत्र में शामिल कर लिया। इसके बाद हाजी अली ने वक्फ बोर्ड की इस मनमानी के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया। अपनी याचिका में हाजी अली ने दावा किया कि उसके मृतक दादा अब्दुल मन्नान ने 1924-25 में 400 वर्ग फीट जमीन पर सैयद जहूर अली शाह की मजार का निर्माण करवाया था। उनकी मौत उसके अब्बू अनवारुल हक इस जमीन के मालिक थे। 206 में उनकी जमीन का रजिस्ट्रेशन हुआ था। उस वसीयत में हाजी अली उस जमीन का केयरटेकर बना।

हाजी अली का कहना है कि 2020 में उसके अब्बू का देहांत हो गया। इसके बाद वह उस संपत्ति का मालिक बन गया और उसका उपयोग कर रहा है। कभी भी उक्त जमीन को वक्फ बोर्ड को दान नहीं किया गया, बावजूद इसके वक्फ बोर्ड ने मनमाने तरीके से अपनी संपत्ति के तौर पर रजिस्टर किया और उसे राजपत्र में प्रकाशित किया। बहरहाल, मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस विशाल धगत की पीठ ने वक्फ बोर्ड के अधिग्रहण पर रोक लगा दिया है।

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