महाकुंभ नगर (हि.स) । विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित शक्ति समागम में साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि अपने अंगों का प्रदर्शन करती हुई स्त्री समाज मे प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं कर सकती। अमर्यादित जीवन जीती हुई, अपनी प्रतिष्ठा चाहती हुई, स्त्री को सही मार्ग पर लाने का काम दुर्गा वाहिनी की बहनों का है। स्त्री की प्रतिष्ठा वात्सल्य प्रेम व मर्यादा से होती है। साध्वी ऋतम्भरा रविवार को सेक्टर 18 के विहिप शिविर मे आयोजित शक्ति समागम को संबोधित कर रही थीं।उन्होंने कहा कि अपने स्वाभिमान व गौरव को पहचानो। अगर विचलित हुई तो पतन निश्चित है। विचलन का अधिकार हमारे चित्त में नहीं हो सकता।
ऋतम्भरा ने कहा कि हिन्दू समाज में शौर्य का बोध जागृत करना समय की आवश्यकता है। जब समाज के हर वर्ग में शक्ति और संकल्प का संचार होता है, तब राष्ट्रनिर्माण की दिशा में ठोस कदम ऊठाये जा सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि संकल्प में यदि विकल्प न हो, तो वह सिद्धि की ओर ले जाता है। विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने हिन्दू धर्म की जड़ों को पहचानने का आह्वान करते हुए पंच परिवर्तन के बारे में बहनों को बताया।
उन्होंने कुटुम्ब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, स्व का बोध, पर्यावरण सुरक्षा और नागरिक कर्तव्य पर बल दिया। इसके लिए उन्होंने अपने विचारों में हिन्दू धर्म और संस्कृति की गहरी समझ हो, यह वर्तमान की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया।
दुर्गावाहिनी की राष्ट्रीय संयोजिका प्रज्ञा महाला ने कहा कि अनादिकाल से ही भारतीय महिलाओं ने समाज में प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। वह अपनी ऊर्जा, दूरदर्शिता, उत्साह और दृढ़ संकल्प के बल पर हर चुनौती का सामना करने में सक्षम रही हैं। इन्हीं विचारों को साकार करते हुए प्रयागराज कुंभ में ‘शक्ति समागम’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को संगठित करना, समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे छुआछूत और भेदभाव को समाप्त करना और समाज में समानता का भाव जागृत करना था। साथ ही, यह कार्यक्रम महिलाओं को आत्मरक्षा के प्रति सक्षम बनाने और हिंदू समाज के जीवन मूल्यों का रक्षण एवं संवर्धन करने पर केंद्रित था। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश विजयलक्ष्मी ने की।
इस अवसर पर विहिप के संरक्षक दिनेशचंद्र,संगठन महामंत्री मिलिन्द परान्डे,सह संगठन मंत्री विनायक राव देशपान्डे,बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक नीरज दोनेरिया,दुर्गा वाहिनी की संयोजिका प्रज्ञा महाला और मातृशक्त की संयोजिका मीनाक्षी पेशवे उपस्थित रही।
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