प्रयागराज महाकुंभ में 7वें दिन भी श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचकर गंगा के पवित्र जल में स्नान कर रहे हैं। महाकुंभ का सातवां दिन है। इस बीच सनातन धर्म और उसकी महिमा से प्रभावित 1500 जीवित लोगों ने नागा सन्यासी बनने का संकल्प लिया। इन सभी ने पंच दशनाम जूना अखाड़े से जुड़कर हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच नागा सन्यासी बनने की दीक्षा ली।
जूना अखाड़े के रमता पंच के श्री महंत रामचंद्र गिरि, दूध पुरी, निरंजन भारती और मोहन गिरि की देखरेख में पहले सभी लोगों का मुंडन संस्कार किया गया। इसके बाद सभी ने 108 बार गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाई। इसके बाद गंगा पूजन किया औऱ अपना पिंडदान किया। पिंडदान के बाद सभी ने एक स्वर में खुद को सांसारिक मोह माया से अलग करते हुए सांसारिक तौर पर खुद के मृत होने का ऐलान कर दिया।
जूना अखाड़े के श्री महंत चैतन्य पुरी के अनुसार, अखाड़े में 5.3 लाख से अधिक नागा सन्यासी हैं। सन्यासी बनने वाली सभी लोगों को सनातन धर्म की शिक्षा, अखाड़े के संचालन की कार्यप्रणाली और उसके नियमों के विषय में बताया। रात में ही सभी को हवन करवाया गया। संगम घाट पर सुरक्षा की जिम्मेदारी अखाड़ों के चारों मढ़ियों के कोतवालों ने निभाई। उल्लेखनीय है कि महाकुंभ हो या हो कुंभ सभी में नागा सन्यासी बनाने का कार्य केवल निरंजनी, महानिर्माणी, शैव जूना अखाड़ा, आवाहन, अटल और आनंद अखाड़ा नागा सन्यासी बनाने का काम करते हैं।
महिलाएं भी बनेंगी नागा सन्यासी
महाकुंभ के दौरान केवल पुरुष ही नहीं हैं, जो कि सन्यास ले रहे हैं। महिलाएं भी इसमें पीछे नहीं है। महाकुंभ के सातवें दिन 19 महिलाएं भी आज सासारिक मोह माया को त्यागकर आज नागा सन्यासी बनेंगी। इन महिलाओं को गुरु परंपरा के अनुसार ही दीक्षा दिलाई जाएगी।
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