जनसंख्या के घटने से चीन सरकार के सामने अनेक प्रकार की चुनौतियां पैदा हो गई हैं। इस स्थिति से बचने के लिए कम्युनिस्ट सरकार ने युवा जोड़ों के सामने कई तरह के लुभावने नजारे पेश किए थे, दो—तीन बच्चे होने पर अनुदान देने से लेकर नौकरी की गारंटियां देने तक के वादे बढ़ती महंगाई झेल रहे युवा जोड़ों को रिझाने में नाकाम ही साबित हुए हैं।
कम्युनिस्ट विस्तारवादी चीन की जनसंख्या में विस्तार की बजाय गिरावट दर्ज होती आ रही है। कभी दुनिया में अपनी सबसे ज्यादा आबादी होने का डंका पीटने वाले चीन की सत्ता सकपकाई हुई है। लगातार तीन साल से जनसंख्या के गिरते आंकड़े देख राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी सरकार के माथे पर शिकन झलकने लगी है। कम्युनिस्ट सरकार के आबादी बढ़ाने के तमाम उपाय निष्फल साबित हो रहे हैं।
जनसंख्या के घटने से चीन सरकार के सामने अनेक प्रकार की चुनौतियां पैदा हो गई हैं। इस स्थिति से बचने के लिए कम्युनिस्ट सरकार ने युवा जोड़ों के सामने कई तरह के लुभावने नजारे पेश किए थे, दो—तीन बच्चे होने पर अनुदान देने से लेकर नौकरी की गारंटियां देने तक के वादे बढ़ती महंगाई झेल रहे युवा जोड़ों को रिझाने में नाकाम ही साबित हुए हैं।
जिनपिंग सरकार के इस स्थिति से घबराने की एक वजह और है और वह है विशेषज्ञों की ताजा चेतावनी। उनका कहना है कि जनसंख्या के घटने की दर में गिरावट में और भी तेजी आ सकती है। उल्लेखनीय है कि जनसंख्या के मामले चीन को भारत ने पिछले साल ही पीछे छोड़ा है।
चीन ही नहीं, जनसंख्या जापान की भी तेजी से घटती जा रही है। वहां भी नवविवाहित जोड़े बच्चे पैदा करने से पहले काफी सोच—विचार करते दिख रहे हैं। जोड़ों में अब एक ही बच्चा पैदा करने का चलन बढ़ता दिखने की वजह से विशेषज्ञों को इस का की आशंका है कि जनसंख्या में यह गिरावट आने वाले वक्त में और गंभीर रूप ले लेगी। जापान में स्वास्थ्य क्षेत्र में हुई बेहतरी से औसत आयु भी अब ज्यादा मानी जा रही है।इसी प्रकार इटली तथा दक्षिण कोरिया में भी आबादी में गिरावट दर्ज की जा रही है।
चीन की बात करें तो 2024 लगातार तीसरा साल रहा जब जनसंख्या का आंकड़ा नीचे गया है। आबादी में आ रही यह कमी चीन में सरकार को तो परेशानी में डाल ही रही है, यह अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी एक चुनौती मानी जा रही है। चीन में भी इटली और दक्षिण कोरिया की तरह युवाओं के मुकाबले बुजुर्गों की संख्या बढ़ती दिख रही है।
कम्युनिस्ट देश चीन के नेशनल स्टेटिस्टिक्स ब्यूरो का कहना है कि साल 2024 में जनसंख्या में 14 लाख की कमी दर्ज की गई है यानी अब चीन की कुल आबादी घटकर 1.408 अरब हो गई है। घटती जनसंख्या ने सरकार के सामने आने वाले वक्त में कामगारों और उपभोक्ताओं की कमी होती दर्शाई है। इसके मायने ये है कि महाशक्ति बनने का सपना देख रहे चीन को सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने रहने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
चीन में बुजुर्गों की देखभाल पर हो रहा खर्च बढ़ रहा है। इसके अलावा सेवानिवृत्ति के बाद के भत्ते देने में राजस्व का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो रहा है। वहां की कई राज्य सरकारें पहले से ही कर्ज में डूबी हैं, इस स्थिति से उन पर और ज्यादा बोझ पड़ सकता है। जापान की बात करें तो वहां तो पिछले 15 साल से जनसंख्या घटती ही गई है। उधर दक्षिण कोरिया में यह उतार 2021 के बाद से देखने में आ रहा है।
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