महाकुंभ प्रयागराज में आयोजित होने वाला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन केवल भारतीय संस्कृति और परंपराओं का संगम नहीं है, बल्कि यह वैश्विक एकता का भी प्रतीक बन गया है। लाखों श्रद्धालुओं के साथ-साथ, दुनिया के विभिन्न कोनों से आए विदेशी प्रतिनिधिमंडल ने भी इस अद्वितीय आयोजन में भाग लिया।
महाकुंभ के भव्य आयोजन में इस बार 10 देशों से आए 21 सदस्यीय अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया। इनमें फिजी, फिनलैंड, गुयाना, मलेशिया, मॉरीशस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, त्रिनिदाद और टोबैगो और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रतिनिधि शामिल थे। इन प्रतिनिधियों ने कुंभ मेले की व्यवस्थाओं का जायजा लिया, त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया और संतों के साथ भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को समझा।
प्रतिनिधिमंडल की खास सदस्य, संयुक्त अरब अमीरात की मुस्लिम महिला सैली एल अज़ाब ने महाकुंभ की भव्यता व्यवस्थाओं की खुलकर तारीफ की। सैली ने कहा, “मैंने मध्य पूर्व से भारत आकर ऐसा आयोजन पहले कभी नहीं देखा। यह न केवल विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, बल्कि यहां की व्यवस्थाएं और सुरक्षा भी अभूतपूर्व हैं।”
उन्होंने कुंभ मेले के ऐतिहासिक महत्व पर भी प्रकाश डाला और 12 साल बाद कुंभ और 6 साल बाद अर्धकुंभ के आयोजन की परंपरा की सराहना की। सैली ने संगम क्षेत्र में मिली शांति और एकता के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि यहां आकर घर जैसा महसूस होता है। उन्होंने महाकुंभ की व्यवस्थाओं को पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बताया और कहा कि वे अपने देश में इस अद्वितीय आयोजन के अनुभवों को साझा करेंगी।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने न केवल संगम में स्नान किया, बल्कि संतों और अखाड़ों की भूमिका को भी नजदीक से समझा। संतों ने भारतीय संस्कृति, प्राचीन परंपराओं और महाकुंभ के धार्मिक महत्व को विस्तार से बताया। प्रतिनिधि भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे अद्वितीय बताया। महाकुंभ ने इन अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों को भारतीय संस्कृति की वह गहराई दिखाई, जो सदियों से लोगों को जोड़ने का काम करती आई है।
Leave a Comment