देहरादून: क्या उत्तराखंड के निकाय चुनावो में जमीयत उलेमा ए हिंद और जमात की भी एंट्री हो रही है? सूत्रों के मुताबिक, मुस्लिम वोट एक जुट होकर बीजेपी को हराने के लिए पड़े इसके लिए ये मुस्लिम संगठन रणनीति बना रहे हैं।
खबर है कि उत्तराखंड के मुस्लिम मरकज के इंतजामिया कमेटी सदस्य और मस्जिदों के मौलवियों को अहम बैठकें मुरादाबाद, बरेली और सहारनपुर में हुई बताई गई है। इसमें क्षेत्रवार लोग शामिल हुए हैं। इनमें आए हुए प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्र की राजनीतिक हालात पर चर्चा कर, मुस्लिम वोटों की एक जुट होकर, बीजेपी प्रत्याशियों को हराने की योजना बनाई है।
जमीयत उलेमा ए हिंद, मुस्लिम सेवा संगठन, भीम आर्मी के पदाधिकारी और जमात के लोग एक जुट होकर बीजेपी के प्रत्याशियों को हराने के लिए योजना पर काम कर रहे हैं। दरअसल, ये मुस्लिम संगठन स्थानीय निकाय चुनावों में इस लिए रुचि ले रहे हैं कि इनके लोग किसी तरह से नगर निकायों के भीतर चले जायें, ताकि आगे चल कर वे मुस्लिम समुदाय के लिए काम करे, उल्लेखनीय है कि देवभूमि। उत्तराखंड में अवैध कब्जे कर हजारों मुस्लिम बसे हुए हैं, उनकी मलिन बस्तियों का नियमितीकरण किया जाना है, नए वोटर बनेंगे तो इनकी ताकत बढ़ेगी। राज्य में इनकी आबादी तेजी से बढ़ रही है उनके प्रोटेक्शन के लिए उनके जनप्रतिनिधि भी चाहिए।
बहुजन समाज पार्टी को बेअसर करने के लिए जमीयत ने अपने समर्थित संगठन भीम आर्मी को भी सक्रिय किया है। मुस्लिम बाहुल्य, पिछड़े इलाकों में जहां आंबेडकरवादी हिंदू रहते है उनमें भीम आर्मी को सक्रिय किया गया, ताकि वहां से वोट भी बीजेपी को नहीं पड़े।
जानकारी के अनुसार, हल्द्वानी में समाजवादी पार्टी ने शोएब अहमद को टिकट दिया था, नामांकन भी हुआ और फिर बाद में नाम वापिस ले लिया गया। इस मामले में पर्दे के पीछे जमीयत की भूमिका बताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी में बनभूलपुरा क्षेत्र में करीब 34 हजार मुस्लिम वोट है और इन्हें बीजेपी प्रत्याशी को हराने के लिए एक जुट किया जाना इससे कांग्रेस प्रत्याशी ललित जोशी को इसका फायदा मिलेगा।
हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा मामले में जमीयत उलेमा ए हिंद की भूमिका तब सामने आई जब इस संगठन ने अतिक्रमण भूमि पर मदरसा, मस्जिद होने की बात कहते हुए गृह मंत्री अमित शाह को दुबई से पत्र लिखा था। बाद में हिंसा के आरोपियों की जमानत कराने के लिए दिल्ली मुंबई से वकील बुलवाए और हिंसा प्रभावित परिवारों को मदद भी की। नैनीताल जिले में इसी तरह से रामनगर में बीजेपी प्रत्याशी मदन सिंह को हराने के लिए मुस्लिम वोट यहां के पुराने मुस्लिम चेयरमैन अकरम के लिए डाला जाएगा।
उधम सिंह नगर, हरिद्वार देहरादून जिले में भी हुआ। संकेत स्पष्ट है कि मुस्लिम वोट एक जुट करके डलवाएं जायेंगे। ये बात भी सबकी जानकारी में है कि समाजवादी पार्टी का उत्तराखंड में जनाधार न के बराबर है, मुस्लिम वोट विभाजित न हो इसलिए सपा में अपने प्रत्याशी या तो खड़े नहीं किए या फिर उनके नाम वापिस हो गए। एक तरह से कांग्रेस, सपा का इंडिया गठबंधन यहां बना हुआ है और उसे जमीयत, जमात समर्थन दे रहे हैं। हरिद्वार में एक निर्दलीय प्रत्याशी तरन्नुम को लेकर भी ऐसी ही बात सामने आई और उनको बिठा दिया गया।
काशीपुर, रुद्रपुर, जसपुर, बाजपुर, खटीमा में भी मुस्लिम मतदाता इस समय खामोश है और वो मरकज के इशारों का इंतजार कर रहा है। काशीपुर में बहुजन समाज पार्टी का मुस्लिम उम्मीदवार है खबर है कि उन्हें भी खामोश कर दिया गया है। पहले ये खबर आ रही थी कि आने वाली 17 जनवरी को जुम्मे की नमाज के दिन ऐसा संदेश सभी मुस्लिमों को दे दिया जाएगा कि उन्हें वोट कहां डालना है, लेकिन उसमें परिवर्तन करके अब 22 जनवरी को ये संदेश जारी किया जाएगा कि वोट कहां पड़ेगा ?
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