काबुल में पाकिस्तानी जासूसों के मंडराने के सुराग अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के निकट के लोगों ने दिए हैं। उनका दावा है कि पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के लगभग 150 जासूस अफगानिस्तान के भीतर जासूसी कर रहे हैं, हवाई मार्गों पर खासतौर से नजर रखी जा रही है।
जिन्ना के देश वाले अपनी ना-पाक हरकतों से बाज नहीं आ सकते। अफगानिस्तान में बंदूकधारी लड़ाकों की सरकार बनाने वाली पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई अब तालिबान के कान घुमाकर पकड़ना चाह रही है। पता चला है कि पाकिस्तान ने राजधानी काबुल में उथलपुथल मचाने के लिए अपने एजेंट छोड़ रखे हैं जो टीटीपी के विरुद्ध एक दूसरे जिहादी गुट को उकसा रहा है। कारण यह कि तालिबान और टीटीपी जिन्ना के देश की नाक में दम कर रहे हैं और फौजियों को कत्ल कर रहे हैं।
तालिबान की बढ़ती उग्रता का दंश झेल रहा पाकिस्तान बेचैन हो चला है कि कैसे भी काबुल की लड़ाकाओं की सत्ता को अपने शिकंजे में कसे। लेकिन वहां अब उसका ऐसा प्रतिरोध हो रहा है कि न आईएसआई की चल रही है, न पिंडी की। खुफिया एजेंसी आईएसआई ने लगभग के 150 एजेंट काबुल में छोड़े हुए हैं जो तालिबानी मंत्रियों, बड़े लड़ाका नेताओं के घरों के सुराग पकड़ रहे हैं। अफगानिस्तान के हवाई इलाकों में पाकिस्तानी जासूस मंडरा रहे हैं।
जिन्ना के देश तथा अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के पीछे वजह यह भी मानी जा रही है कि तालिबान भारत के साथ संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है। इस्लामाबाद ऐसा किसी कीमत पर नहीं चाहता। काबुल नई दिल्ली के निकट जाए, यह बात उसे हजम नहीं हो सकती।
पाकिस्तान की थानेदारी जैसी हरकतों को देखते हुए काबुल की सत्ता ने उसे धमकाया है उसकी संप्रभुता का सम्मान किया जाए। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र में पिछले दिनों जिस प्रकार के हमले बोले थे उसे देखते हुए तालिबान की ओर से उसे यह चेतावनी दी गई है।
काबुल में पाकिस्तानी जासूसों के मंडराने के सुराग अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के निकट के लोगों ने दिए हैं। उनका दावा है कि पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के लगभग 150 जासूस अफगानिस्तान के भीतर जासूसी कर रहे हैं, हवाई इलाकों पर खासतौर से नजर रखी जा रही है।
इसके बरअक्स ऐसी रिपोर्ट भी सामने आई हैं जो बताती है कि पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई की काट के लिए अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत जिहादी गुट इस्लामिक स्टेट यानी आईएस को मजबूत बना रही है। आईएस जिन्ना के देश के फौजियों को ठिकाने लगा रही है।
पूर्व उपराष्ट्रपति के निकट सूत्रों के अनुसार, आईएसआई के जासूसों के मुखबिर अफगानिस्तान एयर ट्रैफिक कंट्रोलर और हवाई अड्डों पर मौजूद हैं। ये जासूस हवाई मार्गों तथा बाकी की चीजों की खुफिया जानकारी जमा करते हैं। एक जासूस का तो नाम, नंबर तक जारी किया गया है। यह जासूस मुख्य रूप से काबुल और आसपास के हवाई अड्डों, मंत्रालयों में मौजूद मुखबिरों से संपर्क में रहता है।
रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2024 में मोहम्मद नाम के उक्त जासूस ने खोस्त के हवाई अड्डे के संचालन प्रबंध को लेकर तालिबान से संपर्क साधा था। हालांकि तालिबान इसके लिए राजी न हुए थे। फिर इसी मोहम्मद ने खोस्त हवाई अड्डे पर प्रोफेशनल कामगारों को तैनात करने को लेकर गुपचुप एक समझौता किया था। इस तरह मोहम्मद को हवाई अड्डों के साथ ही अन्य संवेदनशील ठिकानों की जानकारी मिलती रही है।
जिन्ना के देश के ये जासूस काबुल स्थित पाकिस्तानी दूतावास से जुड़े हुए हैं। पिछले साल काबुल में भारतीय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल के दौरे के वक्त से पाकिस्तान ने अपने जासूसों को और चुस्त करते हुए उनकी तादाद बढ़ाई है। शक है कि कई आईएसआई एजेंट तालिबान हुकूमत के बड़े नेताओं और अफसरों के साथ साठगांठ बनाए हुए हैं।
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