झारखंड में मिशनरी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे विद्यालयों द्वारा समय-समय पर ऐसी हरकतें कर दी जाती हैं , जिनसे पूरे राज्य को शर्मसार होना पड़ जाता है। कभी बच्चों को तिलक लगाने स्कूल में जाने से रोका जाता है, कभी मेहंदी लगाकर आने वाली छात्राओं को सजा दे दी जाती है तो कभी बिंदी लगाकर आने पर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। इस बार जो घटना घटी है वह बेहद ही शर्मनाक है। धनबाद के एक मिशनरी विद्यालय में दसवीं कक्षा की छात्राओं की कमीज उतरवा कर उन्हें इनरवियर में ही घर भेज दिया गया। उनका दोष सिर्फ इतना था कि वे लोग ‘पेन डे’ मना रही थीं और एक दूसरे की कमीज पर शुभकामना संदेश लिख रही थीं।
क्या है पूरा मामला?
ये घटना धनबाद के डिगवाडीह स्थित कार्मेल स्कूल का है। यहां 9 जनवरी को दसवीं कक्षा की छात्राएं ‘पेन डे’ मना रही थीं। यानी आगामी बोर्ड परीक्षा से पहले विद्यालय की सभी छात्राएं आखिरी दिन एक दूसरे की कमीज पर शुभकामना संदेश लिख रही थीं, ताकि अपने विद्यालय की अच्छी यादें सहेज कर रख सकें। इस बात का पता चलते ही विद्यालय की प्राचार्या सिस्टर देवश्री उनके पास पहुंचीं और सभी छात्राओं को डांट-फटकार लगाने लगीं। प्राचार्या का इतने से भी क्रोध शांत नहीं हुआ तो उन्होंने लगभग 80 छात्राओं के कपड़े उतरवा दिए। विद्यालय की सभी छात्राएं माफ करने की विनती करती रहीं , लेकिन प्राचार्या टस से मस नहीं हुई। प्राचार्या के डर से सभी छात्राओं को कपड़े उतारने पड़े और सिर्फ ब्लेजर पर ही सभी बच्चियों को अपने-अपने घर भेज दिया गया। सभी छात्राओं के लिए यह शर्मसार कर देने वाली घटना थी। अपनी इज्जत बचाते हुए किसी तरह से सभी बच्चियां अपने घर पहुंचीं। उनकी यह हालत देखकर अभिभावक बेहद आक्रोशित हुए।
इसके बाद सभी अभिभावकों ने धनबाद के उपायुक्त माधवी मिश्रा के पास विद्यालय के खिलाफ शिकायत की। मामले को प्रशासन ने भी गंभीरता से लिया और अनुमंडल पदाधिकारी राजेश कुमार की टीम स्कूल पहुंची। विद्यालय का सीसीटीवी फुटेज भी खंगाला गया।
कार्मेल स्कूल के इस प्रकरण में झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष पप्पू सिंह, महासचिव मनोज मिश्रा और दिलीप सिंह ने भी उपायुक्त को मांग पत्र सौंपा है। इसमें कहा गया है कि विद्यालय का व्यवहार ठीक नहीं था यह बच्चियों के मान सम्मान के साथ खिलवाड़ है। इस पत्र में मांग की गई है कि इसके लिए उच्च स्तरीय जांच कमेटी बने अन्यथा 14 जनवरी को रणधीर वर्मा चौक पर धरना दिया जाएगा।
इस मामले में छात्राओं के अभिभावकों ने भी मांग की है कि विद्यालय प्रशासन अपनी हिटलरशाही को दिखाने के लिए बच्चों को जब ऐसी सजा दे सकता है तो वह बच्चों के साथ कुछ भी कर सकता है। उन्होंने मांग की है कि जांच को ठंडे बस्ते में ना डालकर त्वरित कार्रवाई करें ताकि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो सके।
झारखंड अभिभावक संघ ने इस घटना के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी पत्र लिखकर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस पत्र में इस घटना के लिए विद्यालय प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया गया है।
इस घटना के बाद पूरे धनबाद में आक्रोश व्याप्त है। इसे लेकर 12 जनवरी को झरिया के युवा संगठन ने भी सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। झरिया धर्मशाला रोड पर विद्यालय की प्राचार्या का पुतला फूंका गया और उन्हें बर्खास्त करने की मांग की गई। इस संगठन ने यह भी कहा है कि अगर छात्रों को न्याय नहीं मिला तो यह आंदोलन पूरे जिले भर में किया जाएगा।
इस घटना को लेकर धनबाद के सांसद ढुल्लू महतो ने भी केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर विद्यालय पर कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि विद्यालय प्रबंधन ने अनुशासन के नाम पर सारी हदें पार कर दी हैं । उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी प्रधानाध्यापिका की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई यह अपने आप में हैरानी वाली बात है। उन्होंने जांच के नाम पर लीपा पोती करने का आरोप लगाते हुए सभी दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।
इस घटना की जानकारी मिलते ही झारखंड लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (झालसा) ने मामले पर स्वत संज्ञान लेते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। झालसा के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार तिवारी द्वारा गठित 8 सदस्य टीम ने 12 जनवरी को स्कूल पहुंचकर छानबीन की और सीसीटीवी फुटेज समेत 60 को सुरक्षित रखने के लिए प्रिंसिपल के कमरे को भी सील कर दिया है। टीम ने छात्राओं , अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन से भी मामले की जानकारी ली है।
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