पाञ्चजन्य के 78वें स्थापना वर्ष पर आयोजित ‘बात भारत की अष्टयाम’ कार्यक्रम में महाकुंभ पर बोलते हुए श्री सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “ये महाकुंभ 144 वर्षों में सबसे अलग कहा जा रहा है, लेकिन मैं कहूंगा कि यह कई सौ सालों के बाद आया है। यह पहला महाकुंभ है जो इलाहाबाद में नहीं, बल्कि प्रयागराज में हो रहा है। यह ऐतिहासिक परिवर्तन शताब्दियों बाद हुआ है। इस महाकुंभ का आयोजन उस समय हो रहा है जब श्रीराम की जन्मभूमि वाले जिले का नाम अब फैजाबाद नहीं, बल्कि अयोध्या हो गया है। और जब औरंगजेब के नाम पर बने जिले का नाम अब औरंगाबाद नहीं, बल्कि छत्रपति संभाजी नगर हो गया है। यह बदलाव सिर्फ भौगोलिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं।”
इसके अलावा बटेंगे तो कटेंगे पर बात करते हुए कहे की, बटेंगे तो कटेंगे या एक है तो सेफ है इसमें कहीं कोई किंतु-परंतु नहीं है? जब पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के बीच में बटे तो गौरी के हाथों कटे जब महाराणा प्रताप और मान सिंह के बीच में बटे तो अकबर के हाथों कटे जब छत्रपति शिवाजी महाराज एक तरफ थे और मिर्ज़ा राजा जयसिंह दूसरी तरफ थे, औरंगजेब के हाथ में कटे थे।
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