ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग्स को लेकर लड़कियों के साथ अन्याय का सिलसिला लगातार जारी है। सरकार तो इसे नकार ही रही है, मगर यह बात कल्पना से परे है कि यह भी सरकारी अधिकारियों द्वारा कहा जा रहा है कि यदि इन अपराधियों पर कदम उठाए गए तो पूरे समुदाय के खिलाफ हिंसा फैल सकती है।
गार्डीअन में ब्रिटेन के हेल्थ सेक्रेटरी वेस स्ट्रीइंग का एक बयान प्रकाशित हुआ है। उन्होनें कहा है कि ग्रूमिंग गैंग्स के बारे में जो भड़काऊ बातें कही जा रही हैं, उनसे एक समुदाय के प्रति हिंसा भड़क सकती है। जैसे कि न्यूज़ीलैंड में मस्जिद में हुई थी और जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए थे।
वेस स्ट्रीइंग ने कहा कि यौन शोषण गिरोहों के “घृणित” अपराधों को उजागर करने में उन्हें “कोई कठिनाई या झिझक” नहीं है, लेकिन फिर भी इन बच्चों की पीड़ाओं का मूल रूप से गुमराह और राजनीतिक शुद्धता के विकृत विचारों द्वारा प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
गार्डीअन के साथ एक साक्षात्कार में इलफोर्ड नॉर्थ के सांसद ने चेतावनी दी कि “साथ ही, मेरे क्षेत्र में ऐसे लोग भी हैं जो या तो पाकिस्तानी विरासत के हैं या अलग दिखते हैं, जो पहले की तुलना में आज अधिक भयभीत हैं।”
यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है कि देश के सांसदों के लिए और उनके लिए जो अभी सत्ता में हैं, के लिए पाकिस्तानी मूल के लोगों के साथ भविष्य में होने वाला भेदभाव अधिक महत्वपूर्ण है, बजाय इसके कि वे लोग अपनी ही बेटियों की परवाह करें।
अपनी ही बेटियों के साथ हुए इन कुकृत्यों पर मौन रहकर या कहें उसे नकारकर वे पीड़ा में वृद्धि ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे ऐसी परिपाटी को शुरू कर रहे हैं, जिसमें वहाँ की लड़कियों का भविष्य ही सुरक्षित नहीं है। कीर स्टार्मर की सरकार पहले ही ग्रूमिंग गैंग की जांच की मांग को ठुकरा चुकी है।
कीर स्टार्मर की सरकार की इस प्रतिक्रिया का खुलकर समर्थन करने वाले स्ट्रीइंग ने कहा कि “पीड़ितों की आवाजों को पूरी तरह से अनदेखा किया गया और यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि केमी बेडेनॉच को इस बात पर कोई संदेह है कि इस मुद्दे पर गैर-जिम्मेदार और असभ्य सार्वजनिक चर्चा किस ओर ले जाएगी, तो दुनिया के दूसरे छोर पर, न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में देखिए, जहां किसी ने मस्जिद में घुसकर निर्दोष मुसलमानों को मार डाला था, और जिसकी बंदूक की एक मैगजीन पर ‘रॉदरहैम के लिए’ लिखा हुआ था।“
वर्ष 2019 में न्यूजीलैंड में दो क्राइस्टचर्च मस्जिदों में एक कथित दक्षिणपंथी ब्रेनटन टेरेंट ने गोली चलाकर 50 से ज्यादा लोगों को मार दिया था और उसकी एक मैगजीन पर “For Rotherham” लिखा गया था। यह बहुत ही हैरानी की बात है कि एक हमले को “श्वेत श्रेष्ठता” से ग्रसित पुरुष का हमला बता दिया गया, मगर हजारों लड़कियों के साथ बलात्कार करने वाले, उन्हें ड्रग्स और देह व्यापार में धकेलने वाले समूह को उनके मुल्क के नाम से इसलिए नहीं पुकारा गया या नहीं पुकारा जा रहा है कि कहीं उस समुदाय या मुल्क के खिलाफ हिंसा न फैल जाए? यह अत्यंत ही खतरनाक परिदृश्य है। यह इसलिए खतरनाक है क्योंकि इससे जहां अपराधियों का मनोबल बढ़ रहा है, तो वहीं पीडिताओं का मनोबल टूटता है।
ब्रिटेन में जो लोग सत्ता में बैठे हैं, उनके लिए यह चिंता का विषय है कि कहीं पूरे के पूरे समुदाय को ही निशाना न बनाया जाए, पूरे समुदाय को उस दृष्टि से न देखा जाए, मगर वे यह नहीं देखते कि क्या उस समुदाय की ओर से कोई भी निंदा का स्वर इन अपराधियों के लिए आया है?
सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक व्यक्तित्वों की बात की जाए तो एक भी ऐसे मुस्लिम का स्वर इन पीडिताओं के पक्ष में नहीं आया है, जो यूरोप में लगातार अपने पर नस्ल के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाते आए हैं। गार्डीअन में भी स्ट्रीइंग एक्स के स्वामी एलन मस्क पर निशाना साधते हुए दिखाई देते हैं और उन्होनें कहा कि हमने ऐसे टेक टाइटन को बहुत महत्व दे दिया है, जो दूसरे देश में रहता है और जिसे इस बारे में कुछ भी पता नहीं है कि ब्रिटेन में दरअसल हो क्या रहा है।
ब्रिटेन के लेबर दल के नेताओं को पाकिस्तानी मुस्लिमों की छवि की चिंता है, उन्हें यह चिंता है कि कहीं भड़काऊ भाषा से एक समुदाय विशेष के प्रति हिंसा न पैदा हो जाए, न्यूजीलैंड में केवल एक हमले के आधार पर श्वेत श्रेष्ठता की थ्योरी तो गढ़ लेते हैं और श्वेत नागरिकों के प्रति घृणा का संचार कर देते हैं। वे श्वेत पहचान के प्रति घृणा का विमर्श तैयार करते हैं, तो वहीं उस पहचान के विमर्श को नकारते हैं, जो उनकी ही बेटियों को लील रही है। और आगे जाकर उनके ही देश की पहचान को लील रही है।
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