लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन के “हफ्ते में 90 घंटे काम” करने और “पत्नी को निहारने” वाले विवादित बयान पर देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। सोशल मीडिया से लेकर उद्योग जगत तक, यह विषय चर्चा का केंद्र बन गया है। इस बहस में अब महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने भी अपनी राय दी है। उन्होंने इस बयान को कार्य-जीवन संतुलन और काम की गुणवत्ता से जोड़ते हुए एक नई दिशा दी है।
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान आनंद महिंद्रा ने कहा, “मैं काम की क्वालिटी में विश्वास करता हूं, न कि उसकी क्वांटिटी में।” उन्होंने बताया कि किसी भी पेशेवर का मुख्य उद्देश्य आउटपुट होना चाहिए, चाहे वह 10 घंटे काम करे या 90 घंटे। उन्होंने कहा, “आप 10 घंटे में भी दुनिया बदल सकते हैं। यह आपकी कार्यक्षमता और निर्णय क्षमता पर निर्भर करता है।”
कार्यक्रम के दौरान, आनंद महिंद्रा से सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता के बारे में सवाल किया गया। उन्होंने कहा, “मैं सोशल मीडिया पर इसलिए सक्रिय नहीं हूं क्योंकि इसलिए नहीं हूं कि मैं अकेला हूं।” मेरी पत्नी बहुत अच्छी है, मुझे उसे देखना पसंद है।” इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया उनके लिए एक बेहतरीन बिजनेस टूल है।
एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने अपने बयान में कहा था, “आप घर पर आखिर कितनी देर तक अपनी पत्नी को निहार सकते हैं?” इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है। आनंद महिंद्रा ने कहा कि सफलता के लिए काम की उत्कृष्टता और जीवन का संतुलन, दोनों ही बेहद महत्वपूर्ण हैं।
आनंद महिंद्रा ने कहा कि वह इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और अन्य उद्योगपतियों का सम्मान करते हैं लेकिन काम के घंटे बढ़ाने की बजाय काम की गुणवत्ता पर ध्यान देना अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, “यह बहस गलत दिशा में जा रही है। हमें आउटपुट पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”
महिंद्रा ने जोर देकर कहा कि काम के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन, परिवार, और चिंतन के लिए समय निकालना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा, “यदि आप परिवार और दोस्तों के साथ समय नहीं बिताते, किताबें नहीं पढ़ते, या चिंतन का समय नहीं निकालते, तो सही निर्णय कैसे लेंगे?”
आनंद महिंद्रा ने कामकाजी लोगों के समग्र विकास के लिए लिबरल आर्ट्स की पढ़ाई और संस्कृति के अध्ययन पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “आप इंजीनियर या एमबीए हों लेकिन कला और संस्कृति का अध्ययन आपको बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है।”
उन्होंने अपने ऑटोमोबाइल व्यवसाय का उदाहरण देते हुए बताया कि ग्राहकों की जरूरतें समझने के लिए उनके जीवन से जुड़ना जरूरी है। उन्होंने कहा, “अगर आप अपने परिवार या अन्य परिवारों के साथ समय नहीं बिताएंगे, तो यह कैसे समझेंगे कि लोग किस तरह की कार में बैठना चाहते हैं?”
लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने हाल ही में अपने कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा, “मुझे इस बात का अफसोस है कि मैं आपसे रविवार को काम नहीं करवा पाता।” उनके इस बयान ने काम और निजी जीवन के संतुलन को लेकर बहस छेड़ दी है। इससे पहले, इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने भी 70 घंटे काम करने का सुझाव दिया था। इन बयानों के बाद उद्योग जगत में काम के घंटों और कार्य संस्कृति को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
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