हरिद्वार: करीब सौ साल पहले बने हरिद्वार नगर पालिका के बॉयलाज आज भी बहुत हद तक लागू होते हैं, ब्रिटिशर्स ने भी गंगा तीर्थ नगरी हरिद्वार के लिए सनातन बॉयलाज बनाए हुए थे। ब्रिटिश सरकार ने न केवल हरिद्वार, बल्कि ऋषिकेश, अयोध्या, मदुरै, वृंदावन के लिए भी कुछ ऐसे बॉयलाज बनाए थे।
उत्तराखंड में हरिद्वार, ऋषिकेश ऐसे दो सनातन तीर्थ स्थल है, जिसके नगर पालिका या अब कर नगर निगम क्षेत्र में आज भी सनातन से जुड़े बॉयलाज लागू है। हरिद्वार के मध्य कनखल, मायापुर क्षेत्र में गैर हिंदू को आवास बनाने की अनुमति है, ऐसा भी जिक्र है रात्रि प्रवास पर रहने की अनुमति नहीं है। ऐसे ही गंगा घाटों पर गैर हिंदू के प्रवेश पर पाबंदी है। किसी भी व्यक्ति को घाटों पर बीड़ी, सिगरेट, मदिरा सेवन, थूक फेकने, कपड़ा धोने, साबुन लगाने कर नहाने की अनुमति नहीं है।
हरिद्वार में गंगा में मछलियां पकड़ने पर भी प्रतिबंध लगाया हुआ है। इन बॉयलाज अनुपालन आज भी श्री गंगा सभा और पुलिस प्रशासन द्वारा कराया जाता है। हरिद्वार नगर क्षेत्र से 10 किमी तक शराब और मांस की दुकानें खोले जाने पर प्रतिबंध का जिक्र बॉयलाज में रहा, जिसे राज्य बनने के बाद कांग्रेस सरकार ने संशोधन करवा 3 किमी कर दिया गया। नतीजा ये हुआ कि अब नगर निगम क्षेत्र में दो शराब की दुकानें खुल गई और ज्वालापुर क्षेत्र में अंडे मांस की दुकानें भी खुल गई। गैर हिंदू आबादी भी धीरे-धीरे प्रतिबंधित क्षेत्र की तरफ बढ़ने लगी है।
एक दिलचस्प बात ये भी बॉयलाज में दर्ज है कि हरिद्वार और कनखल क्षेत्र में बेकरी भी नहीं लगाई जा सकती। ऐसा इसलिए किया गया था कि बेकरी में अंडा प्रयुक्त होता है। ऐसी भी जानकारी है कि ब्रिटिश हुकूमत के साथ ये बॉयलाज बनवाने के लिए महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने बहुत बड़ा आंदोलन किया था। जिसके बाद देश के पांच शहरों के लिए ऐसे बॉयलाज बने। बनारस, प्रयागराज के लिए भी इसी तरह के बॉयलाज, पंडित मालवीय जी ने बनवाए थे।
समय के बदलाव के साथ और नगर पालिका/निगम में सरकारों की तुष्टिकरण नीतियों ने कुछ बदलाव किए जिसे लेकर हरिद्वार का पंडा,तीर्थ पुरोहित समाज सहमत नहीं था। उत्तराखंड में बीजेपी की सनातन को मानने वाली धामी सरकार है और इस सरकार पर हरिद्वार को सनातन नगरी का स्वरूप बनाए रखने के लिए लगातार दबाव,संत समाज का भी रहता आया है। सीएम श्री धामी ये कहते रहे है कि उत्तराखंड देवभूमि है इसका सनातन स्वरूप बनाए रखा जाएगा। देखना अब ये है कि ये सरकार हरिद्वार, ऋषिकेश के हिंदू तीर्थ स्वरूप को और बेहतर बनाए रखने के लिए क्या योजना लाती है।
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