मध्य प्रदेश

‘धर्म की धुरी है गृहस्थाश्रम’

ओंकारेश्वर (म.प्र.) में कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की अखिल भारतीय बैठक आयोजित

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WEB DESK

गत दिनों ओंकारेश्वर (म.प्र.) में कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की अखिल भारतीय बैठक आयोजित हुई। इसका समापन 5 जनवरी को हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि भारत भूमि हमारा पालन-पोषण, संरक्षण और संवर्धन करती है। भारत भूमि में जन्म लेने वाले प्रत्येक जन में सेवा का स्वाभाविक संस्कार है।

भारत माता के पूजन का मतलब भारत में रहने वाले जन, जमीन, जंगल, जल और जानवरों की सेवा और सुरक्षा करना है। गृहस्थ आश्रम को धर्म की धुरी बताते हुए उन्होंने कहा कि जो जिस भी स्थिति में है, उसे समाज की सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए। जिस प्रकार गरुड़ ने माता की सेवा से विष्णु का वाहन बनने का आशीर्वाद पाया, उसी प्रकार हम भी भारत माता की सेवा के आशीर्वाद से धर्म के वाहक बनने में समर्थ हों।

इससे पहले बैठक में समर्थ कुटुंब व्यवस्था को लेकर विभिन्न प्रकार के विषयों पर चर्चा हुई। इसमें वक्ताओं ने बताया कि सृष्टि की सबसे अनुपम रचनाओं में एक भारतीय परिवार की रचना है।

भारतीय परिवारों को सुदृढ़ करने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य कुटुंब प्रबोधन गतिविधि द्वारा किए जाते हैं। कुटुंब मित्रों का परिवारों में आना-जाना, परिवारों से सकारात्मक चर्चा करना, ऐसे कई अलग-अलग क्रियाकलापों द्वारा कुटुंब व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने का काम किया जाता है। कुटुंब प्रबोधन गतिविधि द्वारा परिवारों को मजबूत बनाए रखने के लिए छह प्रकार के ‘भ’-‘भोजन’, ‘भजन’, ‘भाषा’, ‘भूषा’, ‘भ्रमण’ और ‘भवन’ पर प्रत्येक परिवार को काम करना होगा।

साथ ही साथ वर्तमान समय में बच्चों में जो विकृति दिखाई देती है, उसका सबसे बड़ा कारण मोबाइल का बड़ी मात्रा में उपयोग है। इस हेतु प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार में आपसी संवाद बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे घर के बच्चे अपने मन की बात बोल सकेंगे और निश्चित ही परिवार के वातावरण में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

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