उत्तराखंड

उत्तराखंड : अवैध मदरसे चलाने वालो ने खड़ी कर ली आलीशान कोठियां

फंडिंग के सोर्स की जांच होने पर हो सकते हैं, हैरान कर देने वाले खुलासे

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उत्तराखंड ब्यूरो

देहरादून । उत्तराखंड में अवैध रूप से चल रहे मदरसों की जांच में यदि शासन प्रशासन गहनता से जांच पड़ताल करे तो उसे हैरानी हो सकती है। मिली जानकारी के अनुसार अवैध या अपंजीकृत मदरसों के संचालकों के रहन सहन की समीक्षा की जाए तो कुछ साल पहले तक फटेहाल रहने वाले इन लोगों के पास महंगी कारे और आलीशान कोठियां कैसे बना ली है।

उत्तराखंड में उधम सिंह नगर, देहरादून और नैनीताल जिले से आने वाली फर्जी मदरसों की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। यहां बंगाल, असम, झारखंड,बिहार, यूपी के बच्चे क्यों लाकर पढ़ाए जा रहे है ये बड़ा सवाल है, उधम सिंह नगर के काशीपुर में एक मदरसे में बंगाल के बच्चे पढ़ रहे है और वो 6 माह पहले ही इधर आए और उनके आधार कार्ड भी बन गए। जिस जगह से बच्चे आए वो बंगलादेश के सीमावर्ती जिले से है, अब पुलिस प्रशासन ये जानने की कोशिश नहीं करता कि इन बच्चों के वहां के एड्रेस क्या क्या है ,कौन इनके अभिभावक है? क्या ये सीमा पार से आए बच्चे तो नहीं.?

यूपी  और असम सरकार ने मदरसों के ऊपर जब से नकेल कसी है,वहां से मौलवियों और मदरसा संचालकों ने अपने मदरसे उठाकर उत्तराखंड की तरफ रुख कर लिया है।

देहरादून के आजाद कॉलोनी के मदरसे में कुछ माह पहले जब बाल संरक्षण सुधार आयोग ने छापा डाला था तो वहां बाहरी राज्यों के बच्चे भी मिले और संचालक के खिलाफ शिकायतें भी मिली उसके बाद पुलिस ने इस मामले की जांच भी की और आरोपों को सही भी पाया।संचालक के खिलाफ फंडिंग के मामले भी सुर्खियों में रहे।

जानकारी के अनुसार कुछ समय पहले पुलिस के खुफिया विभाग ने भारत के गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भेजी थी जिसमें उसने उत्तराखंड में 1300 से अधिक मदरसे संचालित होने की बात कही थी,इनमें से 415 मदरसे पंजीकृत थे। शेष गैर कानूनी रूप से संचालित हो रहे है।

उधम सिंह नगर जिले में 129, देहरादून में 57 मदरसे भी तक अवैध रूप से संचालित होते पाए गए है,जबकि हल्द्वानी शहर में 32 मदरसे अवैध बताए जा रहे है।

जानकारी ये भी चौंकाने वाली है कि  इन मदरसों में कई हजार बच्चे है और ये कल उत्तराखंड के मूल निवासी होने का दावा करेंगे। हर साल ये संख्या बढ़ने वाली है।

उधर उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ये दावा और प्रचार करता है कि मदरसों में संस्कृत पढ़ाया जाएगा और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की किताबें पढ़ाई जायेंगी। हकीकत में ये बाते पिछले दो सालों से केवल प्रचार में ही है। एक दो मदरसों को छोड़ कर किसी भी मदरसे में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की किताबें, ठंडे बस्ते में रखी हुई मिल जाएंगी।

बरहाल उत्तराखंड की धामी सरकार की तरफ सभी की नजरें है कि वो इन फर्जी मदरसों के खिलाफ क्या सख्ती करती है?

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