दुनियाभर में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए वातावरण निर्मित करने, हिन्दी के प्रति अनुराग उत्पन्न करने तथा इसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रस्तुत करने के उद्देश्य से हर साल 10 जनवरी को ‘विश्व हिन्दी दिवस’ मनाया जाता है। यह वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी की महानता के प्रचार-प्रसार का एक सशक्त माध्यम है। विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन पहली बार 10 जनवरी 1975 को नागपुर में किया गया था। पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। उस आयोजन के जरिये विश्व हिन्दी सम्मेलन मनाए जाने की विधिवत शुरूआत हो जाने के बाद भारत के अलावा मॉरीशस, यूनाइटेड किंगडम, त्रिनिदाद, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि में भी आगामी वर्षों में विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया गया। विश्वभर में हिन्दी के बढ़ते प्रभाव का ही परिणाम है कि वर्ष 2017 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में पहली बार ‘अच्छा’, ‘बड़ा दिन’, ‘बच्चा’ और ‘सूर्य नमस्कार’ जैसे हिन्दी शब्दों को भी सम्मिलित किया गया। अमेरिका की ‘ग्लोबल लैंग्वेज मॉनीटर’ नामक संस्था ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि अंग्रेजी भाषा में जहां करीब दस लाख शब्द हैं, वहीं हिन्दी में करीब सवा लाख शब्दों का समृद्ध कोष है और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। तकनीकी रूप से हिन्दी को और ज्यादा उन्नत, समृद्ध तथा आसान बनाने के लिए अब कई सॉफ्टवेयर भी हिन्दी के लिए बन रहे हैं।
विश्व का प्रत्येक वह कोना, जहां भारतवंशी बसे हैं, वहां आज हिन्दी धूम मचा रही है। हिन्दी आज दुनिया के अनेक देशों में बोली जाती है और विश्वभर के अनेक विश्वविद्यालयों में पढ़ाई भी जाती है। बहुत सारे देशों में अब वहां की स्थानीय भाषाओं के साथ हिन्दी भी बोली जाती है। इसके अलावा दुनिया के सैंकड़ों विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है और यह वहां अध्ययन, अध्यापन तथा अनुसंधान की भाषा भी बन चुकी है। प्रत्येक भारतवासी के लिए यह गौरव का विषय है कि आज दुनिया के 50 से भी अधिक देशों में 150 से भी ज्यादा विश्वविद्यालयों में हिन्दी एक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है और 80 से भी ज्यादा विश्वविद्यालयों में हिन्दी का पूरा विभाग है। अमेरिका के ही 30 से भी ज्यादा विश्वविद्यालयों में भाषायी पाठ्यक्रमों में हिन्दी को महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ है। जब हम ऐसे देशों में भी हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी को भरपूर प्यार, स्नेह और सम्मान मिलता देखते हैं, जो अपनी मातृभाषाओं को लेकर बहुत संवेदनशील रहते हैं और अपनी मातृभाषाओं को अपनी सांस्कृतिक अस्मिता से जोड़कर देखते हैं तो यह निश्चित रूप से समस्त भारतवासियों के लिए गौरवान्वित होने वाली उपलब्धि ही है।
55 देशों में बोली जाती है हिन्दी
संयुक्त राष्ट्र की छह अधिकारिक भाषाएं चीनी (मंडारिन), अंग्रेजी, फ्रांसीसी, रूसी, स्पेनिश और अरबी हैं, जिनमें से यूएन का अधिकांश कामकाज अंग्रेजी और फ्रैंच में ही होता है। जून 2022 के दूसरे सप्ताह में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषणा की जा चुकी है कि यूएन की वेबसाइट पर हिन्दी, उर्दू तथा बांग्ला में भी जानकारियां मिलेंगी। दुनियाभर के लगभग 55 देशों में हिन्दी बोली या समझी जाती है और एक दर्जन देश तो ऐेसे हैं, जहां हिन्दी को पहली, दूसरी या तीसरी भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है। दक्षिण प्रशान्त महासागर के देश फिजी में हिन्दी को राजभाषा का अधिकारिक दर्जा प्राप्त है। फिजी में इसे ‘फिजियन हिन्दी’ अथवा ‘फिजियन हिन्दुस्तानी’ भी कहा जाता है, जो अवधी, भोजपुरी और अन्य बोलियों का मिला-जुला रूप है। फिजी के अलावा नेपाल, मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद, टोबागो इत्यादि में हिन्दी वहां की मुख्य भाषा में शामिल है। हिन्दी अब ऐसी भाषा बन चुकी है, जो प्रत्येक भारतीय को वैश्विक स्तर पर सम्मान दिलाती है।
दुनियाभर में 6900 मातृभाषाएं
माना जाता है कि विश्वभर में लगभग 6900 मातृभाषाएं बोली जाती हैं, जिनमें से 35-40 फीसदी अपने अस्तित्व के संकट से गुजर रही हैं। दूसरी ओर पूरी दुनिया में करोड़ों लोग हिन्दी बोलते हैं और यह दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है। विश्वभर की भाषाओं का इतिहास रखने वाली संस्था ‘एथ्नोलॉग’ के अनुसार चीनी तथा अंग्रेजी भाषा के बाद हिन्दी दुनियाभर में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा है। फिजी के अलावा भी दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जहां हिन्दी बोली जाती है। इन देशों में पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, सूरीनाम, त्रिनिदाद, मॉरीशस, युगांडा, गुयाना, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड, यूएई, साउथ अफ्रीका इत्यादि शामिल हैं। अमेरिका के अलावा यूरोपीय देशों, एशियाई देशों और खाड़ी के देशों में भी हिन्दी का तेजी से विकास हुआ है और निरन्तर हो रहा है। रूस के कई विश्वविद्यालयों में हिन्दी साहित्य पर लगातार शोध हो रहे हैं। रूसी विद्वानों की हिन्दी में इतनी ज्यादा दिलचस्पी है कि हिन्दी साहित्य का जितना अनुवाद रूस में हुआ है, उतना शायद ही दुनिया में किसी अन्य भाषा के ग्रंथों का हुआ हो। हिन्दी को विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक माना गया है। ‘लैंग्वेज यूज इन यूनाइटेड स्टेट्स-2011’ नामक एक रिपोर्ट में तो यह भी बताया जा चुका है कि हिन्दी अमेरिका में बोली जाने वाली शीर्ष दस भाषाओं में से एक है, जहां इसे बोलने वालों की संख्या साढ़े छह लाख से भी अधिक है। अमेरिकी कम्युनिटी सर्वे की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका में हिन्दी सौ प्रतिशत से अधिक तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है। अंग्रेजी में समय-समय पर कई भाषाओं के शब्दों को सम्मिलित किया जाता रहा है और हिन्दी के भी सैंकड़ों ऐसे शब्द हैं, जो हिन्दी से निकलकर अब अंग्रेजी शब्दकोष का हिस्सा बन गए हैं।
चीन को पछाड़ेगी हिन्दी
यदि हिन्दी बोलने वाले लोगों की संख्या देखें तो माना जाता है कि दुनिया भर में पचहत्तर करोड़ से भी ज्यादा लोग अब हिन्दी बोलते हैं और जिस प्रकार वैश्विक स्तर पर हिन्दी का वर्चस्व लगातार बढ़ रहा है, उसे देखते हुए यह भी कहा जा रहा है कि वह दिन ज्यादा दूर नहीं, जब हमारी हिन्दी चीन की राजभाषा को पछाड़कर शीर्ष पर पहुंच जाएगी। इंटरनेट पर भी हिन्दी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसका अनुमान इसी से सहज रूप में लगाया जा सकता है कि दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल द्वारा कुछ वर्ष पहले तक जहां इंग्लिश कंटेट को ही विशेष महत्व दिया जाता था, वहीं अब गूगल द्वारा भारत में हिन्दी तथा कुछ क्षेत्रीय भाषाओं की सामग्री को भी काफी बढ़ावा दिया जा रहा है। गूगल का मानना है कि हिन्दी में इंटरनेट पर सामग्री पढ़ने वाले हर साल करीब चौरानवे प्रतिशत बढ़ रहे हैं जबकि अंग्रेजी में यह दर प्रतिवर्ष सत्रह प्रतिशत घट रही है। गूगल के अनुसार आने वाले दिनों में इंटरनेट पर बीस करोड़ से भी ज्यादा लोग हिन्दी का उपयोग करने लगेंगे। कहना असंगत नहीं होगा कि हिन्दी की बढ़ती प्रतिष्ठा और उपादेयता के कारण ही यह तेजी से वैश्विक भाषा बन रही है।
लोकप्रियता का आसमान छू रही हिन्दी
इंटरनेट पर हिन्दी का जो दायरा कुछ समय पहले तक कुछ ब्लॉगों और हिन्दी की चंद वेबसाइटों तक ही सीमित था, अब हिन्दी अखबारों की वेबसाइटों ने करोड़ों नए हिन्दी पाठकों को अपने साथ जोड़कर हिन्दी को और समृद्ध बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आंकड़े देखें तो जहां वर्ष 2016 में डिजिटल माध्यम में हिन्दी समाचार पढ़ने वालों की संख्या लगभग साढ़े पांच करोड़ थी, वह अब बढ़कर पन्द्रह करोड़ से भी ज्यादा हो जाने का अनुमान है। यह हिन्दी के प्रचार-प्रसार और वैश्विक स्वीकार्यता का ही परिणाम है कि आज हिन्दी अपनी तमाम प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ते हुए लोकप्रियता का आसमान छू रही है। अब कई बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भी एशियाई देशों में अपनी व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए हिन्दी के प्रचार-प्रसार पर विशेष ध्यान देने लगी हैं। निश्चित रूप से यह हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी की बढ़ती ताकत का ही परिणाम है, जिसके कारण भारत में बहुत सारी विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भी अब हिन्दी का भी उपयोग करने पर विवश होना पड़ा है। हिन्दी की बढ़ती ताकत को महसूस करते हुए ही अमेजन, फ्लिपकार्ट, ओएलएक्स, क्विकर इत्यादि कई प्रमुख ई-कॉमर्स साइटें अधिकाधिक ग्राहकों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए हिन्दी में ‘एप’ ला चुकी हैं। बहरहाल, इंटरनेट पर हिन्दी का चलन जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसके मद्देनजर माना जा रहा है कि बहुत जल्द हिन्दी में इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या अंग्रेजी में इसका उपयोग करने वालों से ज्यादा हो जाएगी।
(लेखक साढ़े तीन दशक से पत्रकारिता में निरंतर सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार तथा कई हिंदी पुस्तकों के लेखक हैं)
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