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आप को समर्थन के बहाने दलों का कांग्रेस और गांधी परिवार के खिलाफ खुली बगावत

दिल्ली विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही इंडी गठबंधन के दलों ने कांग्रेस पार्टी, विशेष रूप से गांधी परिवार के खिलाफ खुलकर असहमति जताते हुए बगावत का ऐलान कर दिया है।

Published by
अभय कुमार

दिल्ली विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही इंडी गठबंधन के दलों ने कांग्रेस पार्टी या यूं कहें कि गांधी परिवार के खिलाफ खुली बगावत का ऐलान कर दिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन देने के बहाने कांग्रेस इंडी गठबंधन के सहयोगियों ने कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है।

वर्तमान में महाराष्ट्र की शिवसेना (यूबीटी), पश्चिम बंगाल की अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस और उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस पार्टी को किनारे करके आम आदमी पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अपना खुला समर्थन जारी कर दिया है। आने वाले समय काल में कई अन्य विपक्षी दल जिनका इंडी गठबंधन से सीधा या नेपथ्य से गठबंधन हैं वो अपना समर्थन आम आदमी पार्टी के पक्ष में जारी कर सकते हैं। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल का अंतिम रुख इसलिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और लालू यादव के गांधी परिवार से काफी करीबी संबंध हैं।

इन पार्टियों को दिल्ली में कोई जनसमर्थन नहीं है।इन पार्टियों को दिल्ली में चुनाव लड़ने का कोई अनुभव नहीं है। लेकिन ये सभी पार्टियां कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के प्रति अपना अविश्वास और गुस्सा जाहिर करने के लिए आप के पीछे लामबंद हो रही हैं। केजरीवाल ने भी इन पार्टियों से समर्थन नहीं मांगा था, फिर भी ये पार्टियां उनके साथ आ रही हैं।

इंडी गठबंधन में कांग्रेस पार्टी के सहयोगी दल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन होने के कारण कांग्रेस पार्टी के वर्ताव में आया परिवर्तन इंडी गठबंधन के दलों को नागवार गुजर रही थी। इंडी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस पार्टी को दलों की बैठक करके आगे का एजेंडा तय करना चाहिए था।मगर कांग्रेस पार्टी ने चुनाव बाद किसी भी दल के साथ किसी तरह की राय सुमारी के बदले अकेले चलो की राह अपनाई. दरअसल, कई मौकों पर कांग्रेस पार्टी ने अपने सहयोगियों की अनदेखी की।
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने सहयोगी नेशनल कांफ्रेंस के खिलाफ सात सीटों पर उम्मीदवार उतारा। साथ ही अपने हिस्से की सीटों में कांग्रेस पार्टी ने मजबूती से चुनाव भी नहीं लड़ा। फारूक अब्दुल्ला ने बीच चुनाव में कांग्रेस पार्टी से अपने जिम्मे के जम्मू संभाग की सीटों के बदले कश्मीर घाटी की सीटों जहां नेशनल कांफ्रेंस चुनाव लड़ रही थी वहां राहुल गांधी ने प्रचार किया। बीच चुनाव में उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस पार्टी पर मजबूती से चुनाव नहीं लड़ने का आरोप मढ़ दिया। जम्मू कश्मीर में डोडा विधानसभा सीट को खुद के बल पर लड़कर आम आदमी पार्टी ने जीता। इस सीट पर भी कांग्रेस पार्टी ने नेशनल कांफ्रेंस के खिलाफ उम्मीदवार उतारा था और कांग्रेस पार्टी की इस सीट पर जमानत तक जब्त हो गई। नतीजन नेशनल कांफ्रेंस ने कांग्रेस पार्टी को मंत्रिमंडल में शामिल भी नहीं किया।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने आप या अन्य किसी भी दल को एक सीट भी देना उचित नहीं समझा और चुनाव पूर्व से ही अपने को विजेता मानकर सभी सहयोगी दलों के साथ अनमना व्यवहार करती रही। झारखण्ड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने सहयोगियों के खिलाफ खुलकर उम्मीदवार उतारे और झारखंड में कांग्रेस प्रभारी ने खुल कर अपने मतदाताओं से कांग्रेस पार्टी को ज्यादा सीट जिताने की अपील की। जिससे कांग्रेस वहां पर मुख्यमंत्री की कुर्सी अपने सहयोगी झामुमो के साथ अदल-बदल कर सकने की स्थिति में रहे। यह किसी भी सहयोगी दल के लिए नागवार गुजरने वाली बात है। परिणामतः सरकार बनाने में झामुमो ने कांग्रेस के उपमुख्यमंत्री पद की मांग को सिरे से खारिज कर दिया।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी का अपने सहयोगियो के साथ तालमेल का अभाव दिखा और महाविकाश अघाड़ी में आंतरिक खटपट शुरूआती दिनों से देखने को मिला और परिणामतः भाजपा और महायुति की उम्मीद से भी अच्छी जीत मिली।

पश्चिम बंगाल में छह सीटों के विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस का राज्य में पूर्व सहयोगी कम्युनिस्ट दलों के साथ गठबंधन टूट गया। वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने नौ सीटों के विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को एक भी सीट नहीं दी। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी अपने लोकसभा चुनाव में आशा से अधिक सीट जितने के खुमार में अपने सहयोगी दलों की जीती सीटों पर भी उम्मीदवार उतार दिया।

इन सब कृत्यों के कारण कांग्रेस पार्टी अपने सहयोगियों से दूर हो गई और अब सभी पार्टियां खुलकर कांग्रेस के खिलाफ आ रही हैं। आने वाले समय में कांग्रेस के खिलाफ सहयोगियो का यह विरोधी स्वर और भी सख्त होता जाएगा।

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