दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही अब दिल्ली में विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है। तीन प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी दिल्ली की राजनीति में मुख्य पार्टियां हैं। इनमें तीनों दलों को 1993 से दिल्ली में शुरू हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने का मौका मिला है। भाजपा को जहां एक बार 1993 में मौका मिला, वहीं कांग्रेस पार्टी को तीन बार मौका मिल चुका है। जबकि आम आदमी पार्टी को दो पूरे कार्यकाल और एक छोटा कार्यकाल मिला है।
दिल्ली में केजरीवाल ने बड़ी राजनीतिक लड़ाई लड़ी और 2013 के विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीतकर मजबूत दावेदारी पेश की। कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी का गुपचुप गठबंधन शुरूआती दिनों से ही रहा है। कांग्रेस पार्टी को यह आभास था कि शीला दीक्षित के 15 सालों के सत्ता में रहने के बाद अब कांग्रेस पार्टी दिल्ली की राजनीति के लिए प्रासंगिक नहीं रह गई है और भाजपा की वापसी तय है।
2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा स्पष्ट बहुमत से केवल 4 सीट दूर रही। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन देने में कोई देरी नहीं की और केजरीवाल को मुख्यमंत्री बना दिया। कांग्रेस पार्टी ने जिस तेजी से चुनाव बाद परिदृश्य में आप को समर्थन दिया, उससे यह स्पष्ट होने में देरी नहीं लगी कि इन दोनों दलों में पूर्व का साठगांठ है और चुनाव पूर्व की आपसी लड़ाई एक नूरा-कुश्ती से अधिक कुछ भी नहीं थी। दोनों दलों ने दिल्ली की जनता को दिग्भ्रमित करने के लिए आपसी लड़ाई की और बाद में बिना किसी देरी के सरकार भी बना ली। कांग्रेस पार्टी को दिल्ली की जनता ने इस धोखे का पूरा हिसाब किया और 2013 के बाद दिल्ली में कांग्रेस पार्टी को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं दी।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के आपसी तालमेल का एक और अनोखा उदाहरण 2024 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला, जब दोनों दल कांग्रेस पार्टी और आप ने भाजपा को रोकने के लिए फिर से गठबंधन कर लिया। लेकिन दिल्ली की जनता ने फिर भी इनके साठगांठ को नजरअंदाज करते हुए 2024 में पूर्व के दो लोकसभा चुनावों की तरह सभी सातों सीट भाजपा के झोली में डाल दी।
दिल्ली की जनता इस बात से भिज्ञ है कि इस विधानसभा चुनाव के बाद भी 2013 की भांति दोनों दल आपस में साठगांठ कर सकते हैं। अतएव दिल्ली की जनता ने इन दोनों दलों के इस साठगांठ से मुक्ति दिलाने के लिए इस बार भाजपा के पक्ष में बहुमत के लिए अपने को तैयार कर रही है।
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