दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना का वही राजनीतिक हश्र होने की तैयारी है जैसा कि 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी के साथ हुआ था। जैसे अधीर रंजन चौधरी को गांधी परिवार के द्वारा बलि का बकरा बनाया गया था वैसी ही कहानी दिल्ली चुनाव में केजरीवाल दोहरा सकते हैं। राजनीतिक गलियारों में इस तरह की चर्चा सुनाई देने लगी है।
2024 के लोकसभा चुनाव के समय जो हालात सोनिया गांधी के थे वही हाल वर्तमान में आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का है। सोनिया गांधी का लोकसभा चुनाव में सारा प्रयास पश्चिम बंगाल के बहरामपुर के सांसद अधीर रंजन चौधरी को हराने पर टिका था। अगर अधीर रंजन इस बार भी बहरामपुर से लोकसभा का चुनाव जीत जाते तो मजबूरन सोनिया गांधी को नेता प्रतिपक्ष का पद उन्हें सौंपना पड़ता। इसकी तैयारी सोनिया गांधी ने चुनाव के बहुत पहले से ही कर रखी थी। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अधीर रंजन के क्षेत्र में दौरा भी नहीं किया था।
अधीर रंजन चौधरी को चुनाव हराने के लिए गांधी परिवार को गुपचुप तरीके से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी सहयोग मिला। ममता बनर्जी की पार्टी ने गुजरात से क्रिकेटर यूसुफ पठान को उम्मीदवार बनाकर अधीर को टक्कर दिलाई। अधीर रंजन 1999 से 2019 तक लगातार इस सीट से चुनाव जीत रहे थे मगर किसी भी चुनाव में उनका सीधा मुकाबला किसी मुस्लिम प्रत्याशी से नहीं हुआ था। इसलिए ममता बनर्जी ने मुस्लिम क्रिकेट खिलाड़ी को उतार कर तुरुप का एक्का चला और उसमें वह सफल भी रहीं। सोनिया गांधी ने भी मौका नहीं गवाया और अपने पुत्र राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता बना दिया।
अरविंद केजरीवाल भी कुछ ऐसी ही स्थिति में उलझ गए हैं और उनका पूरा प्रयास है मुख्यमंत्री आतिशी को चुनाव हराने की। केजरीवाल इस तथ्य से अवगत हैं कि अगर आतिशी चुनाव जीत जाती हैं तो उनको फिर से उन्हें अगले विधानसभा में पार्टी के नेता का पद देना उनकी मजबूरी हो जाएगी। अगर आतिशी चुनाव जीत जाती हैं तो फिर पार्टी की दिल्ली इकाई में केजरीवाल के खिलाफ एक समानांतर धड़ा तैयार हो जाएगा। अरविंद केजरीवाल पार्टी में अपने अलावा किसी और को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं और अपने इसी बर्ताव के कारण कई नेताओं को आप छोड़कर अलग भी होना पड़ा है।
टिप्पणियाँ