इंडोनेशिया के अलावा पाकिस्तान के हुक्मरान भी पिछले लंबे समय से इस कोशिश में थे कि उन्हें ब्रिक्स का पूर्ण सदस्य बना लिया जाए। लेकिन जिन्ना के कंगाल देश की बात वैसे भी कोई गंभीरता से नहीं लेता। परन्तु इंडोनेशिया ने इस समूह के प्रति अपने योगदान को लेकर समूह को आश्वस्त कर दिया था। दो साल पहले यानी 2023 में दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में हुई ब्रिक्स बैठक में इंडोनेशिया के समूह से जुड़ने के प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया था।
दुनिया के सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया के ब्रिक्स जैसे समूह में आखिरकार शामिल होने से पाकिस्तान के सितारे और गर्दिश में आते दिख रहे हैं। चोट सालने में लगे जिन्ना के देश का आखिरकार यह ख्वाब भी चकनाचूर हुआ है। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की असफल कूटनीति की अब उनके देश में ही जबरदस्त लिजलिजी हो रही है।
ब्रिक्स समूह के स्थायी सदस्य ब्राजील ने सार्वजनिक रूप से ऐलान किया कि इंडोनेशिया को अब ब्रिक्स का पूर्ण सदस्य बना लिया गया है। दरअसल दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के समूह में किसी देश का शामिल होना एक बड़ी बात माना जाता है। भारत पहले से ही इस समूह का एक प्रतिष्ठित सदस्य है। यह ऐसा समूह है जिसे विकसित पश्चिमी देशों के सामने एक बड़ी शक्ति के तौर पर देखा जाता रहा है। बताया गया है कि इंडोनेशिया की विश्व के शासन तंत्रों में सकारात्मक योगदान देने की उत्कट इच्छा की वजह से उसे इस समूह में जोड़ा गया है।
इंडोनेशिया के ब्रिक्स के पूर्ण सदस्य बनने के संदर्भ में ब्राजील के विदेश विभाग ने कल बाकायदा एक बयान जारी करके कहा है कि दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले इंडोनेशिया को अब ब्रिक्स का सदस्य बनाया गया है। यह देश अब दूसरे सदस्यों के साथ मिलकर दुनिया के शासन तंत्रों में सकारात्मक सुधार में सहयोग करेगा। उल्लेखनीय है कि ब्रिक्स की इस वर्ष होने वाली बैठक की अध्यक्षता ब्राजील करने वाला है।
इंडोनेशिया के अलावा पाकिस्तान के हुक्मरान भी पिछले लंबे समय से इस कोशिश में थे कि उन्हें ब्रिक्स का पूर्ण सदस्य बना लिया जाए। लेकिन जिन्ना के कंगाल देश की बात वैसे भी कोई गंभीरता से नहीं लेता। परन्तु इंडोनेशिया ने इस समूह के प्रति अपने योगदान को लेकर समूह को आश्वस्त कर दिया था। दो साल पहले यानी 2023 में दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में हुई ब्रिक्स बैठक में इंडोनेशिया के समूह से जुड़ने के प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया था।
इसमें संदेह नहीं है कि ब्रिक्स से इंडोनेशिया का जुड़ना पाकिस्तान के लिए ऐसी चोट है जिसे वह आने वाले लंबे समय तक सालता रहने वाला है। पाकिस्तान की यह कोशिश थी कि दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया को इस समूह में जगह न मिल पाए। जबकि पाकिस्तान चाहता था कि उसे ब्रिक्स से जोड़ा जाए। कारण? समूह में चीन और भारत का साथ होना उसे रास नहीं आ रहा था और वह चाहता था कि समूह से जुड़ कर अपने ‘आका’ चीन के बगल में बैठने का मौका पा जाए। इसके लिए बताते हैं उसने चीन के सामने हाथ—पैर भी जोड़े लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली।
इस साल जुलाई माह में ब्रिक्स की बैठक ब्राजील के रियो डी जनेरियो में होने जा रही है। इस बैठक में ब्राजील का एजेंडा रहेगा वैश्विक दक्षिण के देशों में आपसी सहयोग को आगे बढ़ाया जाए और बहुपक्षीय संस्थानों को और सुधारा जाए।
पिछली बैठक साल 2024 में रूस के कजान में हुई थी। उसमें गैर-डॉलर कारोबारी लेन—देन को प्रमुखता देने के साथ ही स्थानीय मुद्राओं को बल देने के तरीकों पर बात की गई थी। ब्रिक्स देश चाहते हैं कि डॉलर कम से कम प्रयोग किया जाए जिससे उनकी स्थानीय मुद्राओं का महत्व बढ़े। इस ओर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल को सभी सदस्यों ने सराहा है।
यहां यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि ब्रिक्स समूह को साल 2009 में ब्राजील, रूस, भारत तथा चीन ने खड़ा किया था। अगले साल यानी 2010 में दक्षिण अफ्रीका भी समूह का सदस्य बना था। गत वर्ष समूह का विस्तार किया गया। इसमें ईरान, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात और इथियोपिया को भी जोड़ा गया। अब एक बार फिर इसका व्याप बढ़ाते हुए इंडोनेशिया जैसे दक्षिण एशिया के एक महत्वपूर्ण देश को शामिल किया जाना ब्रिक्स की बढ़ती ताकत और प्रभाव को रेखांकित करता है।
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