कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। अपनी लिबरल पार्टी के सांसदों द्वारा दबाव बनाए जाने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि एक बार नए प्रधानमंत्री के नाम का चयन होने के बाद वे अपना पद छोड़ेंगे।
ट्रूडो ने अपने आधिकारिक रिड्यू कॉटेस निवास से ये घोषणा की। ट्रूडो का कहना है कि वे आंतरिक लड़ाई से पार नहीं पा सके हैं। उन्होंने कहा कि उनकी लिबरल पार्टी एक मजबूत, राष्ट्रव्यापी, प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के जरिए अपने अगले नेता का चयन करेगी। ट्रूडो कहते हैं कि कल रात खाने की टेबल पर मैंने अपने परिवार को अपने इस फैसले से अवगत कराया कि ये देश अगले चुनाव में वास्तविक विकल्प का हकदार है।
सीटीवी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रूडो ने गवर्नर जनरल मैरी साइमन से भी मुलाकात की और उनसे 24 मार्च तक संसद को भंग करने की मांग की। उन्हें इसकी इजाजत भी मिल गई है। ट्रूडो का कहना है कि खुद को नेतृत्व की प्रक्रिया से दूर रखकर वो अपना ख्याल रख सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: कनाडा में राजनीतिक अस्थिरता, जस्टिन ट्रूडो पर इस्तीफे का भारी दबाव, नेशनल कॉकस की मीटिंग में विद्रोह की आशंका
क्या है ट्रूडो के इस्तीफे की असल वजह
दरअसल, ये सारी बातें जस्टिन ट्रूडो मीडिया की संवेदना हासिल करने के लिए कर रहे हैं। लेकिन, वो इस्तीफा देने के लिए तैयार हुए इसकी असल वजह ये है कि कनाडा में बढ़ते खालिस्तानी चरमपंथ के कारण उनकी विश्वनीयता खत्म होती जा रही है। उनके ही देश में उनके ही लोग उनका विरोध कर रहे हैं। खालिस्तानियों की मदद से सरकार चला रहे ट्रूडो खालिस्तानी चरमपंथ पर हमेशा चुप रहे। उन्हें लोगों से अधिक कुर्सी की फिक्र रही।
उनकी कैबिनेट के आधा दर्जन के करीब मंत्रियों के अलावा एक दर्जन से ज्यादा सांसदों ने उनका साथ छोड़ दिया है और आगामी चुनाव तक ना लड़ने का कह दिया है जिसके चलते उन पर इस्तीफे देने का दबाव लगातार बढ़ रहा है। आगामी संसदीय चुनाव अक्टूबर 2025 से पहले होने वाले हैं, लेकिन अगर ट्रूडो इस्तीफा देते हैं, तो चुनाव तुंरत कराए जाने की संभावना बन सकती है।
टिप्पणियाँ