उत्तराखंड : जौनसार बावर में 35 साल पहले बंटे परिवार हुए एक, गांव में जश्न का माहौल
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उत्तराखंड : जौनसार बावर में 35 साल पहले बंटे परिवार हुए एक, गांव में जश्न का माहौल

जौनसार बावर के बिजनू गांव में 35 साल बाद बंटा हुआ परिवार एकजुट हुआ। यह खबर सामूहिक परिवार की परंपरा और जौनसारी समाज की सहकारिता भावना को उजागर करती है।

by उत्तराखंड ब्यूरो
Jan 6, 2025, 06:15 pm IST
in उत्तराखंड
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चकराता ( देहरादून) । ऐसे समय में जब परिवार विखंडित हो रहे हैं लोग एकाकी परिवारों में रहना पसंद कर रहे हैं तब जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर में एक ऐसा उदाहरण सामने आया है इस परिवार का 1990 में बटवारा हो गया था वह 2025 में एक हो गया। यह वास्तविकता है जौनसार बावर के खत ऊपरली अठगाव ग्राम बिजनू की।

बिजनू गांव में कुल 25 परिवार निवास करते हैं जिसमें‌ तिरनोऊ परिवार के तीन भाई अतर सिंह, सूरत सिंह और किशन सिंह सामूहिक रूप से रहते थे, तीनों ही सगे भाई है। सन 1990 में परिवार में कुछ विवाद हुआ और परिवार‌ का दो हिस्सों में बटवारा हो गया। जिसमें अतर सिंह और किशन सिंह एक तरफ हो गए और बीच वाले भाई सूरत सिंह अपने तीन बेटियों और दो बेटों पत्नी सहित अलग हो गए। समस्त गांव वासियों ने पंडित को बुलाकर नियमानुसार परिवार और खेती-बाड़ी का यह बंटवारा कर दिया।

सन 1990 में जब यह बंटवारा हुआ तब अतर सिंह के सबसे बड़े पुत्र नरेंद्र 8 साल के थे। 2009 में जब नरेंद्र के विवाह के बाद नरेंद्र  और उनकी पत्नी पुनम ने प्रयास किया कि जो परिवार बंटा है वह वापस एक हो जाए परंतु प्रयास असफल रहा। हालांकि दोनों परिवार आपस में प्रेम पूर्वक और मेल-मिलाप से रहते थे।

बड़े भाई अतर सिंह और छोटे भाई किशन सिंह दोनों साथ रह रहे हैं दोनों के बच्चे पढ़ लिख करके बाहर निकल गए हैं परंतु सूरत सिंह जी गांव में ही रहते हैं उनके बच्चे भी अपना रोजगार कर रहे हैं। 25 दिसंबर 2024 को  नरेंद्र ने अपने पुत्र सिद्धांत के जन्मदिन पर चकराता स्थित अपने होटल (सुकून) पर दोनों परिवारों के सभी सदस्यों को बुलाया और इस ख़ुशी के मौक़े पर एक बार फिर नरेंद्र ने  अपना प्रस्ताव रखा जिसे सभी लोगों ने सहर्ष स्वीकार किया। और अतर सिंह, सूरत सिंह, किशन सिंह पुन: एक हो गए, जिसमे नरेंद्र व पत्रकार वीरेश चौहान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

आखिकार यह प्रयास सार्थक हुआ  और 5 जनवरी 2025 को यह परिवार एक हो गया। सब लोगों ने एक दूसरे के गले लगाकर बधाई दी इस खुशी में सभी की आंखें नम हो गई। सभी रिश्तेदार व नज़दीक के लोगों के साथ साथ परिवार की जो बेटियां – बहने ब्याह कर अपने ससुराल जा रखी थी वह भी इस मौके पर मायके आई और परिजनों को बधाई व शुभकामनाएं दी।

35 वर्ष बाद एक हुए परिवार को सभी लोगों ने बधाई दी इस खुशी को लेकर संपूर्ण परिवार ने बिजनू गांव में एक बड़ा आयोजन किया जिसमें उनके रिश्तेदार और जौनसार बावर के प्रतिष्ठित लोग सम्मिलित हुए।

इस मौके पर खत तपलाड के सदर स्याणा विजयपाल सिंह, खत बौंदुर के स्याणा रजनैश सिंह, खत अठगांव के स्याणा विजयपाल, अतर सिंह पंवार ,डॉ अमर सिंह राय, दिनेश चौहान, अरविन्द चौहान, दिगंबर चौहान, (बिट्टु ) नितेश चौहान टीकम सिंह, फतेह सिंह, अनिल चांदना दीपक मौहल आदि अनेक लोग उपस्थित थे।

जौनसारी समाज में परिवार के बंटवारे को अच्छा नहीं माना जाता

देहरादून जनपद के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर में सामूहिक परिवार की परंपरा है यदि किसी परिवार का बंटवारा होता है तो उसे सामाजिक रूप से अच्छा नहीं माना जाता। हालांकि प्रारंभ में बंटवारे अधिक होते थे जो समय के साथ-साथ कम होते गए और अब ऐसे भी उदाहरण मिल रहे हैं कि जो परिवार बंटे हो वह पुनः एक हो रहे हैं। जौनसार बावर क्षेत्र में जो लोग सरकारी नौकरी और व्यवसाय के लिए बाहर गए हैं वह भी जब घर आते हैं तो सामूहिक परिवार में ही एक छत के नीचे 40 – 50 से अधिक लोग साथ रहते हैं और साथ ही भोजन करते हैं। इतना ही नहीं जौनसारी समाज में सहकारिता की भावना कूट-कूट कर भरी है। यहां परस्पर गांव में जो परिवार किसी भी कार्य में पिछड़ जाता है उसके सहयोग के लिए संपूर्ण गांववासी आगे आते हैं।

इससे पहले भी अनेक परिवार एक हुए हैं

जौनसार बावर में सामूहिक परिवार में यदि कोई विवाद हो जाता है तो हालांकि परिवारों के बंटवारे हुए हैं परंतु अनेक बार ऐसे उदाहरण भी मिले हैं कि कुछ समय अंतराल बाद जब सारे द्वेष भूल गए तो वह परिवार एक हुए हैं। बुजुर्गों का मानना है कि अनेक गांवों में इस प्रकार के क्षण आए हैं जब परिवार और जमीन जायदाद का संपूर्ण बंटवारा हो गया था उसके बाद भी परिवार एक हुए हैं, जो समाज के लिए एक अच्छा उदाहरण है।

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