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‘संस्कृति के विकास में वनवासियों की बड़ी भूमिका’

भाग्यनगर (हैदराबाद) में वनवासी कल्याण आश्रम का वार्षिकोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा-

by WEB DESK
Jan 3, 2025, 04:47 pm IST
in संघ, कर्नाटक, दिल्ली
वार्षिकोत्सव को संबोधित करते श्री दत्तात्रेय होसबाले

वार्षिकोत्सव को संबोधित करते श्री दत्तात्रेय होसबाले

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गत दिसंबर को भाग्यनगर (हैदराबाद) में वनवासी कल्याण आश्रम का वार्षिकोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम वनवासियों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए उल्लेखनीय प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि वनवासी समाज भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है।

उन्होंने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान जैसे विविध क्षेत्रों के वनवासी समुदायों को एक साझा मंच पर लाने का प्रयास कर रहा है। इस पहल ने इन समुदायों में आत्मविश्वास जगाया है, जिससे उन्हें यह एहसास हुआ है कि वे भी भारत का अभिन्न अंग हैं और उन्हें देश की विकास प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए। हमारे देश में 10 करोड़ से ज्यादा वनवासी हैं।

उन्होंने आगे कहा कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता जंगलों, वनों और नदी के किनारों पर विकसित हुई है। इसलिए हमारी संस्कृति के विकास में वनवासियों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि वनवासियों के इतिहास को बताए बिना देश के इतिहास को आकार देना असंभव है। वनवासी हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाते हुए, उसे एक दिव्य इकाई के रूप में पूजते आ रहे हैं। इसके विपरीत आधुनिक मनुष्य अपने आराम के लिए प्रकृति को नष्ट कर रहा है।

उन्होंने कहा कि वनवासियों ने अपने जीवन के लिए जरूरी कई चीजें बनाई हैं, स्वास्थ्य सेवा के लिए दवाइयां बनाई हैं, जीवित रहने के लिए कई तरह के हथियार और औजार बनाए हैं और यहां तक कि कई तरह के यंत्र भी विकसित किए हैं। इतना कुछ होने के बावजूद, वनवासियों ने कभी प्रकृति को नष्ट नहीं किया। उन्होंने कहा कि वन जीवन को नकार कर भारतीय जीवन समृद्ध नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि वन्य शहरों और गांवों में रहने वाले सभी लोग अपनी आजीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं। मनुष्य के दैनिक उपयोग से जुड़े हर आवश्यक वस्तु वनों से आती है। वनों ये पौधें से प्राप्त करना हमारा अधिकार है, लेकिन उन लोगों की सेवा करना भी हमारा कर्तव्य है, जो अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह वनों पर निर्भर हैं।

मंदिरों की मुक्ति के लिए चला अभियान

विश्व हिंदू परिषद् के संगठन महामंत्री श्री मिलिंद परांडे

विश्व हिंदू परिषद् ने हिंदू मंदिरों की सरकारी नियंत्रण से मुक्ति हेतु देशव्यापी जन-जागरण अभियान शुरू कर दिया है। गत दिनोें नई दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद् के संगठन महामंत्री श्री मिलिंद परांडे ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि अब सभी राज्य सरकारों को मंदिरों के नियंत्रण, प्रबंधन और दैनंदिनी कार्यों से स्वयं को अविलंब अलग कर लेना चाहिए, क्योंकि उनका यह कार्य हिंदू समाज के प्रति भेदभावपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि पूज्य संतों और हिंदू समाज के श्रेष्ठ लोगों की अगुआई में विजयवाडा (आंध्र प्रदेश) में आयोजित ‘हैंदव शंखारावम’ नामक लाखों लोगों के विशेष व विराट समागम में 5 जनवरी से जन जागरण अभियान का शंखनाद होगा।

उन्होंने कहा कि देश की स्वाधीनता के उपरांत मंदिरों को हिंदू समाज को सौंप देना चाहिए था, लेकिन इसके विपरीत एक के बाद एक अनेक राज्य सरकारें संविधान के अनुच्छेद 12, 25 और 26 की अनदेखी करती रहीं। जब कोई मस्जिद या चर्च सरकारी नियंत्रण में नहीं है, तो फिर मंदिरों पर सरकारी कब्जा क्यों?

श्री परांडे ने कहा कि मंदिरों के प्रबंधन और नियंत्रण का कार्य अब हिंदू समाज के निष्ठावान व दक्ष लोगों को सौंप देना चाहिए। इससे पूर्व गत 30 सितंबर, 2024 को विहिप ने देश के सभी राज्यों के राज्यपालों को ज्ञापन सौंप कर उनकी सरकारों को मंदिरों के प्रबंधन से हट जाने के लिए निवेदन किया था।

Topics: देशव्यापी जन-जागरणसंस्कृति के विकासCountrywide public awarenessdevelopment of cultureहिंदू समाजदत्तात्रेय होसबालेhindu societyवनवासी कल्याण आश्रमDattatreya HosabaleVanvasi Kalyan Ashram
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